त्योहार है दीपों का, उत्साह और मौजमस्ती का, धूमधड़ाके और मिलनेमिलाने का. इस के साथ ही दीवाली त्योहार दिखावे का भी है. इस दिन कुछ तो दिखावा कीजिए, कुछ तो शो औफ कर लीजिए. आजकल मौका ही कहां मिलता है दिखावा करने का? अपनी महंगी ज्वैलरी और स्टाइलिश ड्रैसेज इठला कर पहनने और दूसरों को जलाने का? अपने घर को सजानेसंवारने का क्योंकि आजकल घरों में शादियां या ऐसे बड़े मौके आते ही बहुत कम हैं.
पहले संयुक्त परिवार होते थे. घर में कोई न कोई शादी होती रहती थी जिस में लोग अपने सारे अरमान पूरे कर लेते थे. मगर आज पूरे परिवार में 2-3 या मुश्किल से 4 सदस्य होते हैं और वे भी अपनेअपने कमरे में बंद मोबाइल में लगे रहते हैं. घर में किसी अपने की शादी 10-15 साल में कभी होती है. अपने घर की जो शादी होती है उस की बात ही अलग होती है. तब इंसान बेहतर से बेहतर कपड़े खरीदता है ताकि सैकड़ों लोग देखें. स्टाइलिश और महंगे कपड़े तथा हैवी ज्वैलरी पहन कर राजारानी बन कर घूमता है, घर को सजाता है. महंगीमहंगी चीजें लाता है. मगर अब शादियों का मौका ही 10-12 साल बाद आता है.
ऐसे में दीवाली एक ऐसा बड़ा त्योहार है जो सब के घर में मनाया जाता है. यह किसी एक व्यक्ति या एक जाति के लोगों का त्योहार नहीं है. यह ऐसा पर्सनल मौका भी नहीं कि हम ने ऐनिवर्सरी मना ली या बर्थडे मना लिया. यह तो ऐसा त्योहार है जिसे सारे लोग मना रहे हैं, मिल कर खुशियां मना रहे हैं तो क्यों न इस मौके पर कुछ खास करें अपने लिए, अपने घर के लिए और अपनों के लिए भी.