आज की स्ट्रैस भरी जिंदगी से आराम पाने की इच्छा पाले कई लोग लैंडस्केपिंग द्वारा प्रकृति की ओर लौटने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि लोगों के अंदर हरियाली और प्रकृति के प्रति शुरू से ही असीम प्रेम रहा है.
बढ़ रही है लैंडस्केपिंग
प्राकृतिक विशेषताओं को समेट कर प्रकृति के अनुरूप हरियाली तैयार करने को लैंडस्केपिंग कहा जाता है. यह सिर्फ आज की सोच नहीं है. हजारों साल पहले लोग सड़कों व भवनों के दोनों ओर पेड़पौधे लगा कर यह तरीका अपनाते थे. वहीं रोम के निवासी अपने घर का आंगन सजाने के लिए लौन लगाते थे. खूबसूरत लैंडस्केपिंग अब नया ट्रैंड बन रहा है. घर, विला, प्लौट, रैजिडैंशियल व बिजनैस एरिया, पार्क, बगीचा यहां तक कि रिजौर्ट के टैरेस में भी लैंडस्केपिंग बढ़ रही है. घर में फ्रंट यार्ड, किचन, बाथरूम, डाइनिंगरूम, बैडरूम आदि जगहों में भी लैंडस्केपिंग कराई जाती है.
लैंडस्केपिंग 2 प्रकार की होती है. एक सौफ्टस्केपिंग और दूसरी हाईस्केपिंग.
सौफ्टस्केपिंग
इस में अपने प्रदेश की खास हरियाली को बराकरार रखते हुए किसी प्रकार का निर्माण कार्य किए बिना हौर्टिकल्चर तत्त्वों को जुटा कर सौफ्टस्केपिंग करते हैं. जैसे लौन तैयार करना.
हार्डस्केपिंग
हार्डस्केपिंग का मतलब है कंकरीट, पेड़ पौधों या उसी प्रकार की दूसरी चीजों के द्वारा किए जाने वाले निर्माण कार्य. जैसे लकड़ी के बने फैंस बांधना और स्टैच्यू, स्टोन वगैरह से सजा कंकरीट का पैदल चलने का मार्ग तैयार करना आदि. ऐसे रास्तों पर कृत्रिमता महसूस न करने के लिए फैंसी आर्टिफिशियल आइटम्स लगा देने से लैंडस्केपिंग बेहतर होती है. लेकिन सीमैंट से बने एक पत्थर को प्रकृति के नैसर्गिक पत्थर की स्वाभाविकता नहीं मिल सकती, क्योंकि एक तो इस में टूटफूट होगी, वहीं काई लगने की भी संभावना रहेगी. फिर भी खंभे, छोटे शिल्प, टेराकोटा चीजें, फुहारों व कुमुदिनी और कमल से युक्त तालाब, हैंड रेलिंग से युक्त पुल, विभिन्न आकार के पत्थर, ग्रेनाइट, चिप्स आदि चीजें लैंडस्केपिंग को बेहतर सौंदर्य प्रदान करेंगी. लौन में फैंसी आइटम्स, वाटरफौल आदि हाईलाइट हो सकते हैं. इस से लौन रात के समय ज्यादा आकर्षक लगेगा.
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