अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कमला हैरिस को बहुत आसानी से हरा दिया. हालांकि, इस चुनाव में उन की जीत के पीछे कुछ महत्त्वपूर्ण कारण थे, जो उन के मजबूत नेतृत्व की छवि, मुद्दों की सटीक पकड़ और अलगअलग सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को ले कर नैरेटिव सेट करने से जुड़े हुए थे. यही वजह रही कि वे चुनाव जीतने में सफल रहे। वहां की महिलाएं मानती हैं कि डोनाल्ड ट्रंप एक आर्टिस्ट हैं और मजबूत छवि बनाने के लिए कुछ भी ऐक्टिंग कर सकते हैं और यही उन्होंने किया, जो इस प्रकार रहे :

हमले के बाद खुद को नायक के रूप में पेश करना

चुनाव में ट्रंप ने राष्ट्रवादी नेता के रूप में अपनी छवि को बखूबी स्थापित किया. उन्होंने अमेरिकी हितों की सुरक्षा को सब से बड़ा मुद्दा बनाते हुए खुद को विश्व मंच पर अमेरिका की साख दोबारा स्थापित करने वाले नेता के रूप में पेश किया. उन की मजबूत छवि और उन पर हुए हमले के बाद जनता में उन के प्रति सहानुभूति और बढ़ गई, जिस से उन्हें नायक के रूप में देखा गया.

अप्रवासियों के लिए विरोधी नीति का अपनाना

बाइडेन शासन में करीब 11.7 मिलीयन लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुसे हैं. इन अप्रवासियों पर कड़ी काररवाई और अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के वादे ने ट्रंप को खासतौर पर स्थानीय वोटरों का समर्थन दिलाया. ट्रंप ने इस मुद्दे पर जोर दे कर कहा कि अमेरिकी टैक्स का पैसा अवैध प्रवासियों पर नहीं खर्च होना चाहिए. उन्होंने अमेरिकी नागरिकता के कानून को भी सख्त बनाने का वादा किया, जिस से उन्हें बड़ी संख्या में समर्थन मिला.

श्वेत महिलाओं का समर्थन

हालांकि कमला हैरिस ने महिलाओं के मुद्दों, खासकर गर्भपात के अधिकार को चुनावी अभियान में प्रमुखता से उठाया था, लेकिन ट्रंप ने सफेद महिलाओं को यह समझाने में कामयाबी पाई कि गर्भपात अकेला मुद्दा नहीं है और इसे उन्होंने संस्कृति का हिस्सा बताया, जिस में चर्चवादी लोगों का बहुत अधिक योगदान रहा. इस से श्वेत महिलाएं प्रभावित हुईं और वोट दिया.

देश की आर्थिक हालात और बढ़ती महंगाई पर जोर देना

अमेरिका में आर्थिक हालात और महंगाई एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरे. बाइडेन सरकार के दौरान आर्थिक स्थिति बिगड़ने और महंगाई बढ़ने से जनता में असंतोष था. ट्रंप ने इसे प्रमुख मुद्दा बनाते हुए यह संदेश दिया कि उन की सरकार में आर्थिक सुधार होंगे.

अचानक से जो बाइडेन का पीछे हट जाना

डैमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस को बहुत देर से घोषित किया. जो बाइडेन की उम्र को ले कर सवाल उठने पर उन की उम्मीदवारी कमला हैरिस को दी गई, लेकिन उन्हें तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिला. इस देरी के कारण स्विंग वोटर ट्रंप के पक्ष में चले गए और इस से कमला हैरिस की संभावनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ा.

बिजनैस टाइकून एलन मस्क का ट्रंप को साथ देना

एलन मस्क ने ट्रंप के समर्थन में खुल कर रैलियां कीं और सोशल मीडिया पर उन के पक्ष में माहौल बनाया. मस्क का समर्थन ट्रंप के लिए एक बड़े एक्स फैक्टर की तरह काम आया, जिस ने चुनाव प्रचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

नहीं खुश अमेरिकी महिलाएं

इस तरह से डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन चुके हैं और 20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेंगे, लेकिन उन के राष्ट्रपति बनने को ले कर अधिकतर महिलाएं खुश नहीं हैं, क्योंकि ट्रंप महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में नहीं हैं, जिस में अबौर्शन मुख्य रूप से शामिल
है.

उन के हिसाब से पेट में पल रहे बच्चे का अबौर्शन एक तरीके की हत्या है। ऐसे में महिलाओं को रैपिस्ट के बच्चे को जन्म देना पड़ेगा. महिलाएं इसे हत्या नहीं मानतीं, वे इसे उन का मूल अधिकार समझती हैं और उन के स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारों की श्रेणी में आता है. इसलिए उन के शरीर के बारें में निर्णय लेने का हक उन का ही होना चाहिए. इसे ले कर कई हेट स्पीच भी ट्रंप के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर दिए गए, जिस का विरोध महिलाएं जम कर कर रही हैं.

4B मूवमैंट की शुरुआत

ट्रंप की जीत से आहत महिलाएं इसे पुरुषों की गलती मानते हुए 4B यानि Four Nos मूवमैंट में शामिल हो रही हैं. साउथ कोरिया में 2016 में 4B आंदोलन की शुरुआत हुई थी. यह #MeToo जैसा ही मूवमैंट था, जिस में महिलाओं के लिए समानता और अधिकारों की बात कही गई थी. साउथ कोरिया से निकल कर यह आंदोलन एशिया और अब अमेरिका तक पहुंच गया है.

महिलाएं विरोध में सिर मुड़वा रही हैं

महिलाओं का कहना है कि वह पितृसत्तात्मक समाज द्वारा तय किए गए ब्यूटी के पैमानों को नहीं मानेंगी.
इस आंदोलन के तहत सैक्स रिश्ते शादी और बच्चे करने से वे इनकार कर रही हैं, ताकि विरोध का तरीका और प्रतिशोध का संकेत हो सके, जिस में ‘योर बौडी माय चौइस ’ को बहिष्कार करने की गूंज भी शामिल है. इस की आंधी आगे कहां तक जाएगी इस का पता समय के साथ चल पाएगा.

पुरुषपंथी विचारों और क्रिस्टियनिटी का हावी होना

डोनाल्ड ट्रंप का ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA)’ आंदोलन एक पुरुषपंथी और क्रिस्टियनिटी को बढ़ाने की दिशा में सोचीसमझी रणनीति का परिणाम है. इस से यह पता चलता है कि अमेरिका तभी फिर से महान बन सकता है, जब आधुनिक अमेरिकी पुरुष अपने पिता और दादाओं की तरह मजबूत पुरुष बनना सीखें और महिलाओं पर प्रभुत्व स्थापित करें.

यह आंदोलन अमेरिका को उस काल्पनिक स्वर्णिम युग में वापस लाने के वादे पर आधारित है, जहां शिक्षित महिलाएं अपनी जगह जानते हुए खुशहाल जीवन बिताते हुए भी गलती की और डोनाल्ड ट्रंप जैसे व्यक्ति को अपना नेता चुन बैठी. दुर्भाग्य से दुनिया के सब से मजबूत राष्ट्र में आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए माहौल इन महिलाओं ने ही तैयार कर दिया है. अब अमेरिका एक ऐसी वास्तविकता में रह रहा है, जहां लाखोंकरोड़ों अमेरिकी पुरुष, डोनाल्ड ट्रंप को पुरुष शक्ति के प्रतीक के रूप में देखते हैं और उन का दूसरी बार राष्ट्रपति चुना जाना देश की कई समस्याओं का एकमात्र समाधान मानते हैं.

देखा जाए तो पूर्व राष्ट्रपति और रियलिटी टीवी स्टार डोनाल्ड ट्रंप का सोशल मीडिया और टैलीविजन पर महिलाओं का अपमान करने और उन्हें नीचा दिखाने का इतिहास रहा है. प्रमुख महिलाओं और विशेषरूप से उन महिलाओं के बारे में भद्दी और आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं, जो उन के टैलीविजन रैलियों में
हजारों लोगों की मौजूदगी में सार्वजनिक रूप से उन के खिलाफ़ बोलती हैं.

वह उन की शारीरिक बनावट की आलोचना करते हैं, उन के परिवारों और यहां तक कि उन के प्रजनन विकल्पों का भी अपमान करते हैं. कम से कम 26 महिलाओं ने उन पर यौन दुराचार और हमले का आरोप लगाया है. ये आरोप 1970 के दशक से ही लगे हुए हैं और इन में बलात्कार, अवांछित चुंबन, छेड़छाड़ आदि शामिल हैं.

पिछले साल एक सिविल ट्रायल में जूरी ने उन्हें यौन उत्पीड़न के लिए उत्तरदायी पाया और उन पर आरोप लगाने वाले को 5 मिलियन डौलर दिया. हालांकि ट्रंप सभी आरोपों से इनकार करते हैं, लेकिन महिलाओं के प्रति उन का तिरस्कार उन के शब्दों और आचरण पर विचार करने की जरूरत है. यहां तक कि उन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस भी एक खुलेतौर पर महिला विरोधी हैं, जो अपने डैमोक्रेटिक प्रतिद्वंदी को ‘चाइल्डलैस कैट लेडिज’ कह कर उन का अपमान करते हैं.

राष्ट्रपति के रूप में, ट्रंप ने न्यायाधीशों को नियुक्त किया, जिन्होंने रो बनाम वेड मामले को पलट दिया और कई राज्यों में अमेरिकी महिलाओं को अपने शरीर और जीवन पर सार्थक नियंत्रण से वंचित कर दिया.

क्या है सोच

इंडियाना पोलिस की अमेरिकी नागरिक और वैज्ञानिक कहती हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के अलावा महिलाओं के पास कोई औप्शन महिलाओं के लिए बचा नहीं था, क्योंकि बाइडेन शासन में 11.7 मिलियन अवैध माइग्रैंट अमेरिका में घुसे हैं, जिन्हें छोटेछोटे शहरों और गांव में टेंट लगा कर शरण दिया गया है. ये लोग अपना पेट पालने के लिए हर इल्लीगल काम कर रहे हैं. इन के पास सही डाक्यूमैंट नहीं हैं, ऐसे में अवैध रूप से घुस कर सारे अनैतिक काम कर रहे हैं. इस के अलावा आज महिलाओं में एकजुटता की भी कमी है, इसलिए उन की आवाज बुलंद नहीं हो पा रही है,अमेरिका में चोरी, रेप, मर्डर आदि के मामले पहले से काफी बढ़ चुका है, क्योंकि यहां आने वालों को काम नहीं मिल रहा है.  क्योंकि अमेरीका के पुरुषों और क्रिस्टियनिटी ने संस्कृति और परंपरा के महत्त्व को बताते हुए सब का ब्रैनवौश कर दिया है, जबकि तथ्य बहुत अलग हैं.

वे आगे कहती हैं कि 22 वर्षीय जौर्जिया की नर्सिंग छात्रा लैकेन रिले का जौगिंग से लौटते वक्त 26 वर्षीय वैनेजुएला निवासी जोस एंटोनियो इबारा द्वारा रेप कर मर्डर कर देना, अमेरिका की महिलाओं को झकझोर देने वाला रहा, क्योंकि वहां रहने वाली कोई भी महिला इन अवैध घुसपैठियों की वजह से अब खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही रही है. यह व्यक्ति पिछले साल टैक्सास के एल पासो से अवैध रूप से दाखिल हुआ था, ऐसे में ट्रंप का लैकेन रिले के परिवार से मिलना और उन्हें आश्वासन देना कि वे अमेरिका से सारे अवैध लोगों को उन के देश भिजवा देंगे, सब के मन मुताबिक था, जिस का फायदा ट्रंप को जीत में मिली.

यह सही है कि अमेरिका से उठी किसी भी आवाज की गूंज पूरे विश्व में सुनाई पड़ती रही है, जिस की नींव ट्रंप के जीतने पर कमजोर हुई है. यह दर्शाता है कि महिलाओं में एकजुटता की कमी ही आवाज कम होने की एक वजह है, जिस का खामियाजा आने वाले समय में पूरे विश्व की महिलाओं को भुगतना पड़ेगा.

इस के अलावा एक समझदार दुनिया में महिलाओं के प्रति घृणा और हिंसक पुरुषों का यह ट्रैक रिकौर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त होगा कि ट्रंप के पास कभी भी व्हाइट हाउस में वापस आने का कोई मौका नहीं था, लेकिन अमेरिका की जनता एक समझदार दुनिया में शायद नहीं रह रही है, तभी उन्हें चुनना उस देश की महिलाओं के लिए एक गलत अंजाम हो सकता है, जिसे
उन्हें अगले 4 साल तक भुगतना पड़ेगा.

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