My Body My Right : भगवा सरकार अब उसी तरह ओटीटी प्लेटफौर्म पर दिखाई जाने वाली फिल्मों को सैंसर करने पर लग गई है जैसे वह वर्षों से सैंसर बोर्ड के मार्फत सिनेमा हाल में दिखाई जाने वाली फिल्मों के पीछे पड़ी थी. ‘इन्फौर्मेशन ऐंड ब्रौड कास्टिंग मिनिस्ट्री’ ने शायद ठेका ले लिया है कि वह ठीनकली नैतिकता की ठेकेदार बनी रहेंगी और लोगों का चरित्र ठीक कर के रहेंगी.
इस देश में जहां हर रोज बीसियों रेप के मामले दर्ज होते हैं और सैकड़ों बिना पुलिस में जाए दब जाते हैं, जहां लोग बातबात में मांबहन की गालियां देते हैं, जहां देवीदेवताओं के अश्लील प्रसंग बड़े चाव से सुने जाते हैं, जहां नैतिकता और धार्मिकता फैलाने के दिखाऊ जागरणों और कांवड़ यात्राओं में पेशेवर नाचने वालियों को बुलाया जाता है जो कामुकता की हद खुले बाजार में करती हैं, वहां सरकार जनता को मोरैलिटी का पाठ पढ़ाने पर तुली है.
चूंकि अब फैसले अफसर और पूजापाठी लेते हैं और दोनों बहुत दोगले, ऊपर से कुछ अंदर से कुछ होते हैं, जो अपनी बात छिप कर लागू करते हैं, जिन के अपने चेहरे दिखते नहीं हैं और जिन का अपना जीवन सामने नहीं आता, किसी से बहस नहीं की जा सकती.
सरकार के कौरीडोरों में बंद दरवाजों और आश्रमों के तहखानों में क्या कुछ नहीं होता? जो छिटपुट मामले सामने आ जाते हैं, उन से साफ है कि मोरैलिटी के भी ठेकेदार खुद रंगे हाथों वाले हैं.
ओटीटी पर चाहे जम कर सैक्स, शराब, ड्रग्स को ग्लैमराइज किया जा रहा है पर साथ ही समाज की पोल भी खोली जा सकती है. मेन लाइन सिनेमा जो सैंसर बोर्ड से निकल कर आता है, सरकारी नौकरियों से आता है और उस में भूतप्रेत दिखा सकते हैं, उस में देवीदेवताओं के चमत्कार दिखा सकते हैं, उस में श्रापों और वरदानों का बखान हो सकता है पर लड़की को अपनी पूंजी दिखाने की सख्त मनाही है.
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