Sanitary Pads : आज के आधुनिक काल में सैनिटेरी पैड और डायपर्स हमारे जीवन का एक जरूरी प्रोडक्ट बन चुका है, जो पर्सनल हाइजीन और सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, हालांकि ये प्रोडक्ट हमें आराम और सुविधा मुहैया करवाती है, लेकिन इसके लिए पर्यावरण को एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. इनकी प्रोडक्शन, कन्सम्शन और डिस्पोजल जैसे कई इकोलोजीकल इश्यू से गुजरना पड़ता है, जैसे डिफोरेस्टेशन, प्रदूषण और लैंडफिल की भरमार होती जा रही है. वाटरएड इंडिया और मेंस्ट्रुअल हाइजीन एलायंस औफ इंडिया (2018) के अनुसार भारत में तकरीबन 33.6 करोड़ महिलाओं को पीरियड्स होते हैं, जिसमें हर साल 1200 करोड़ सैनिटरी पैड्स का कूड़ा निकलता है, जो लगभग 1,13,000 टन है.
क्या कहते हैं आंकड़े
पूरी दुनिया के लिए सैनिटरी पैड्स का कचरा एक समस्या बन चुका है, न केवल सैनिटरी पैड्स बल्कि बच्चों के डायपर्स भी सेहत और पर्यावरण, दोनों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं.
सेंट्रल पौल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की 2018 - 19 की रिपोर्ट के अनुसार सैनिटरी पैड में 90 प्रतिशत प्लास्टिक होता है, जिससे भारत में हर साल 33 लाख टन प्लास्टिक का कूड़ा निकलता है. यहां पर जारी 'मेंस्ट्रुअल वेस्ट 2022' की रिपोर्ट के अनुसार सैनिटरी नैपकिन में Phthalates नाम का केमिकल इस्तेमाल होता है. यह केमिकल कैंसर का कारण बन सकता है. साथ ही इनफर्टिलिटी, पीसीओडी और एंडोमेट्रियोसिस की दिक्कत भी कर सकता है. इससे लकवा मार सकता है और याद्दाश्त भी जा सकती है.
टौक्सिक लिंक की रिसर्च के अनुसार सैनिटरी पैड में वोलेटाइल और्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) नाम का केमिकल भी इस्तेमाल होता है. यह केमिकल पेंट, डियोड्रेंट, एयर फ्रेशनर, नेल पॉलिश जैसी चीजों में डाला जाता है. सैनिटरी पैड में इस केमिकल की मदद से फ्रेंगरेंस यानि खुशबू जोड़ी जाती है. इनकी एनवायरनमेंट ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2021 में 1230 करोड़ सैनिटरी पैड्स कूड़ेदान में फेंके गए. एक सैनिटरी पैड पर्यावरण को 4 प्लास्टिक बैग के बराबर नुकसान पहुंचाता है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन