Hidden Truth : एक नाव में सवार व्यक्ति पतवार खेता हुआ झंझटों और संकटों से जू?ाता यदि कोई भयानक दुर्घटना न हो तो अंतत: किनारे पर पहुंच ही जाता है. मगर उस का क्या जो 2 नावों में सवार हो? कहीं न कहीं, कभी न कभी उस के जीवन का संतुलन बिगड़ना तय है. वह कभी एक नाव को संभालता है, कभी दूसरी को. इसी कशमकश में कभी न कभी धोखा लगता है और संतुलन बिगड़ जाता है. नावें तो बह जाती हैं लेकिन ऐसे आदमी को किनारा नहीं मिलता, उस की नियति पानी में डूब जाना है.

रामप्रसाद कोई बहुत बड़ा नहीं तो छोटा आदमी भी नहीं था. उस का काम बहुत बढि़या नहीं तो खराब भी नहीं कहा जा सकता था. कभीकभार दोस्तों की महफिल जमती तो 2 पैग भी लगा लेता. मन हुआ तो सिगरेट के कश भी लगा लेता, लेकिन मीटमच्छी से दूर ही रहता. मनमौजी. अपने काम की परवाह करने वाला. अपने परिवार की चिंता करने वाला. 2 बेटियों का अच्छा पिता. एक छोटे से गिफ्ट सैंटर, ‘सलोनी गिफ्ट सैंटर’ का अच्छा मालिक और संचालक. अपनी पत्नी देवयानी का खूब खयाल रखने वाला पति. इस से अच्छा एक आम आदमी और क्या हो सकता है?

एक भारतीय नारी की तरह देवयानी घर को संभालती. घर का सारा काम खुद करती. रामप्रसाद ने कई बार कहा, ‘‘देवयानी, तुम घर का सारा काम करतेकरते थक जाती होगी, कोई झाड़ूपोंछा करने वाली लगा ही लो.’’

‘‘नहीं, जब तक इन हाथपैरों में जान है मैं कामवाली को पैसे न देने वाली. तुम्हारे पास पैसे ज्यादा आ रहे हों तो मुझे ही कामवाली समझ कर दे दिया करो.’’

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