देश भर के फुटकर किराना दुकानदारों को इन दिनों नियमित और अनियमित दोनों तरह के ग्राहकों के इस सवाल के जवाब पर सफाई देना मुश्किल हो रहा है कि कहीं इस चावल में चाइना का प्लास्टिक वाला चावल तो नहीं मिला है? सुना सभी ने है कि आजकल चावल में मिलावट हो रही है पर वह कृत्रिम रूप से बने प्लास्टिक के चावल की है, इस से उपभोक्ताओं में दहशत फैली हुई है और वे अब चावल जांचपरख कर खरीद रहे हैं. लेकिन इस के बावजूद वे आशंकित हैं कि इस में कहीं वह नया जानलेवा प्लास्टिक चावल न मिला हो.
मैगी में सीसे की मिलावट और प्रतिबंध के बाद आम लोग मिलावट को ले कर संभले भी नहीं थे कि नई खबर चाइनीज चावल की आ गई कि देश भर में इस की मिलावट हो रही है. इसे चावल में मिला कर बेचा जा रहा है, क्योंकि यह कृत्रिम चावल हूबहू असली चावल जैसा ही है जिस की जांच कर पाना आसान काम नहीं. गृहिणियां चावल देख कर पका रही हैं, लेकिन उन्हें भी नहीं मालूम कि यह चाइनीज प्लास्टिक चावल क्या बला है और इस की पहचान क्या है. बीती 8 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता सुग्रीव दुबे ने एक याचिका दायर की थी, जिस में दावा किया गया था कि देश भर में असली चावल में चीन से आयातित चावल मिला कर बेचा जा रहा है. इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस जी. रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की पीठ ने सुनवाई की. अगली तारीख हालांकि 20 अगस्त तय की है, लेकिन तब से ले कर अब तक खासा हड़कंप भारतीय बाजार में मच चुका है और लोग चावल और विक्रेता दोनों को शक की निगाह से देखने लगे हैं.
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