Interesting Hindi Stories : सुबह औफिस के लिए घर से निकली पाखी रात के 8 बजे तक घर नहीं लौटी थी. उस का फोन भी आउट औफ कवरेज बता रहा था. इसलिए उस की मां विशाखा को उस की चिंता सताने लगी. वैसे बोल कर वह यही गई थी कि कालेज से सीधे अपनी दोस्त प्रार्थना के घर चली जाएगी.क्योंकि उस की तबीयत ठीक नहीं है. कुछ देर उस के साथ रहेगी तो उसे अच्छा लगेगा लेकिन इतनी देर. और फोन क्यों नहीं लग रहा उस का. चलो, एक बार प्रार्थना को फोन लगा कर देखती हूं, अपने मन में ही सोच विशाखा ने प्रार्थना को फोन लगा दिया. ‘‘हैलो प्रार्थना, अब तुम्हारी तबीयत कैसी है बेटा? पाखी तो वहीं होगी न, तुम्हारे साथ? जरा बात तो कराओ उस से.’’

‘‘मेरी तबीयत को क्या हुआ है. मैं तो बिलकुल ठीक हूं,’’ आंटी ‘‘प्रार्थना हंसी और बोली, ‘‘मैं तो देहरादून अपनी मौसी की बेटी की शादी में आई हुई है.’’

प्रार्थना की बात सुन कर विशाखा बुरी तरह चौंक पड़ी कि फिर पाखी ने उस से ?ाठ क्यों कहा कि इस की तबीयत खराब है और वह इसे देखने जा रही है.

‘‘उफ, शायद मुझ से ही सुनने में गलती हुई होगी. कोई बात नहीं, ऐंजौय करो तुम,’’ कह कर विशाखा ने फोन रख दिया. लेकिन उस का दिमाग झनझना उठा यह सोच कर कि उस की बेटी ने उस से ?ाठ कहा. पर क्यों?

तभी कौलबैल बजी, तो उसे लगा पाखी ही आई होगी लेकिन सामने अपने पति रजत को देख कर उस के मुंह से निकल गया, ‘‘अरे तुम हो?’’

‘‘क्यों, किसी और का इंतजार कर रही थी?’’ रजत हंसा.

‘‘नहीं, वह… मुझे लगा पाखी आई है. वैसे आने के पहले फोन क्यों नहीं किया तुम ने?’’

‘‘अब अपने घर आने के लिए भी फोन करना पड़ेगा मुझे,’’ अपनी आदतानुसार रजत हंस पड़ा और कहने लगा, ‘‘कल गुरुनानक जयंती की छुट्टी है तो सोचा घर जाकर तुम्हें सरप्राइज दूं. लेकिन तुम्हें देख कर तो लग रहा है मेरे आने की तुम्हें जरा भी खुशी नहीं हुई.’’

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. अच्छा तुम फ्रैश हो जाओ, तब तक मैं तुम्हारे लिए चाय बना लाती हूं.’’

‘‘नहीं, चाय की जरूरत नहीं है मुझे. तुम यहां आ कर बैठो,’’ विशाखा का गंभीर चेहरा देख कर रजत ने अंदाजा लगाया कि कोई बात जरूर है, ‘‘क्या हुआ सब ठीक है? और पाखी अभी तक औफिस से नहीं आई है क्या?’’

‘‘अब पता नहीं औफिस में है कि कहां है. क्योंकि घर से तो यही बोल कर गई थी कि उस की दोस्त प्रार्थना की तबीयत खराब है इसलिए औफिस से सीधे उस के घर चली जाएगी पर वह वहां भी नहीं है. फोन किया था मैं ने.’’

‘‘अरे, तो होगी अपनी किसी दूसरी दोस्त के घर, आ जाएगी. बेकार में टैंशन मत लो.’’ रजत ने कह तो दिया पर पता है उसे कि विशाखा फिर भी टैंशन लेगी ही क्योंकि आदत जो है उस की हर छोटीछोटी बात पर टैंशन लेने की. लेकिन रजत को नहीं पता कि वह फालतू में टैंशन नहीं ले रही है. रजत तो महीनेपंद्रह दिन पर मुश्किल से 5-6 दिन के लिए घर आता है, तो वह क्या जाने कि उस की बेटी पाखी क्या कर रही है. रोज कोई न कोई बहाना बना कर, अपनी मां से झूठ बोल कर वह उस लड़के रोहित से मिलने जाती है, जबकि जानती है विशाखा को वह लड़का जरा भी पसंद नहीं है. अरे, वह है ही नहीं पाखी के लायक. लेकिन जाने उस रोहित ने कौन सा मंत्र फूंक दिया है पाखी के कानों में कि वह उसी का नाम जपती रहती है. रोहित को देखते ही विशाखा को चिढ़ हो आती है क्योंकि शक्ल से ही चालबाज लगता है वह.

‘‘अच्छा, अब ज्यादा ओवरथिंकिंग करना बंद करो, समझ. बेकार में कुछ भी सोचती रहती हो और मेरा भी दिमाग खराब करती हो. अरे, दोस्त हैं दोनों, तो मिलने चली गई होगी. इस में कौन सी बड़ी बात हो गई,’’ विशाखा को गुम बैठे देख रजत बोला.

‘‘अरे, कोई दोस्तवोस्त नहीं है दोनों. प्यार करती है वह उस लफंगे से. अगर जाना ही था तो ?ाठ बोल कर जाने की क्या जरूरत थी?’’ विशाखा विफर उठी.

‘‘अब तुम जैसी हिटलर मां हो तो बेचारे बच्चे तो झूठ ही बोलेंगे न. वैसे सच कहूं तो मुझे भी तुम से बहुत डर लगता है,’’ बोल कर रजत ठहाके लगा कर हंसा तो विशाखा को जोर का गुस्सा आ गया.

‘‘तुम्हें हर बात में बस खीखी करना आता है. तुम ने ही बिगाड़ रखा है अपनी लाडली को. तुम्हारे कारण ही उस की नजरों में मैं एक बुरी मां साबित हो गई हूं क्योंकि मैं उस की मनमानी नहीं सहती न. तुम्हारी तरह उस की हर आलतूफालतू बात में हां बेटा हां बेटा नहीं करती न. तो मैं तो उस की दुश्मन लगूंगी ही.’’

विशाखा का गुस्सा देख रजत कहने लगा कि वह तो बस मजाक कर रहा था. और क्यों वह बेकार में इतनी टैंशन लेती है. पाखी कोई बच्ची थोड़े ही है. अपना भलाबुरा खूब समझती है वह. और विशाखा का कहना था कि बेवकूफ है वह लड़की. नहीं समझती कि वह लड़का केवल उसे यूज कर रहा है.

तभी गाड़ी रुकने की आवाज से विशाखा बालकनी में भागी तो देखा पाखी रोहित की गाडी से बाहर निकल रही है. दोनों को एकदूसरे को किस करते देख विशाखा के तनबदन में आग लग गई. मन तो किया उस का कि अभी नीचे जा कर उस लड़के को 2-4 थप्पड़ लगा दे और कहे कि पाखी को छूने की उस की हिम्मत भी कैसे हुई. मगर जब यहां अपना ही सिक्का खोटा है तो किसी और को क्या कहा जाए.

‘‘कहां थी तुम?’’ दरवाजा खोलते ही विशाखा फट पड़ी.

‘‘कहां थी का क्या मतलब है? अरे, बोल कर तो गई थी कि प्रार्थना की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए औफिस से सीधे उस के घर चली जाऊंगी.’’

‘‘अरे, और कितना झूठ बोलोगी,’’ पाखी का कंधा पकड़ कर उस ने जोर से धकेला, तो वह हिल गई.

‘‘तुम्हें क्या लगा, तुम हमारी आंखों में धूल झांकती रहोगी और हमें कुछ दिखाई नहीं देगा? तुम फिर उस लफंगे रोहित से मिलने गई थी न? मैं ने तुम्हें उस से मिलने को मना किया था न? फिर क्यों गई उस से मिलने?’’ विशाखा चीख पड़ी.

‘‘ज्यादा चिल्लाओ मत,’’ पाखी ने भी आंखें तरेरीं, ‘‘हां, गई थी उस से मिलने तो? तो क्या कर लेंगी आप? आप सुन लो कान खोल कर. मैं रोहित से प्यार करती हूं और आप मुझे उस से मिलने से नहीं रोक सकतीं. वैसे भी आप होती कौन हो मुझे रोकने वाली?’’ पाखी की बात पर रजत ने उसे डांटा कि वह अपनी मम्मी से ऐसे कैसे बात कर रही है. तमीज नाम की कोई चीज है कि नहीं उस में?

‘‘और मम्मी में तमीज है कोई? हर समय जो वे, ‘वह लफंगा वह लफंगा’ कहती रहती हैं क्या उस का कोई नाम नहीं है? पापा आप ही बताओ, क्या मैं कोई मुजरिम हूं जो रोजरोज इन के सवालों के जबाव देने पड़े मुझे? जरा कभी औफिस से आने में देर क्या हो जाती है, पुलिस की तरह सवाल पर सवाल दागने लगती हैं. इन्हें क्यों लगता है कि रोहित आवारा, लफंगा लड़का है? मुझ में भी दिमाग है. मुझे पता है कि मेरे लिए कौन सही और कौन गलत है.’’

दोनों मांबेटी को यों लड़तेझगड़ते देख कर रजत परेशान हो उठा. किसी तरह पाखी को समझाबुझा कर उसे उस के कमरे में भेज कर विशाखा को भी चुप रहने को कह वह भी अपने कमरे में चला गया. समझ ही नहीं आ रहा था उसे कि यहां कौन सही है और कौन गलत. पाखी कोई 2 साल की बच्ची तो है नहीं न जो उसे हर बात के लिए रोकाटोका जाए. रस्सी को उतना ही खींचना चाहिए, जितना जरूरी हो वरना वह टूट जाएगी. विशाखा को यह बात समझासमझा कर हार गया था वह, पर वह समझती ही नहीं थी. जवान लड़की है, कहीं कुछ ऐसावैसा कर लिया तो क्या करेगी फिर?

‘‘नहीं, बहुत हो गया अब तो. मुझे अब इस घर में रहना ही नहीं है,’’ भुनभुनाती हुई पाखी अपने कमरे में जा कर अपना कपड़े अटैची में डालने लगी क्योंकि अपनी मां की रोजरोज के रोकटोक से वह तंग आ चुकी थी. अभी वह घर से बाहर निकलने ही लगी कि विशाखा ने उस का हाथ जोर से पकड़ लिया, ‘‘कहां जाओगी?’’ विशाखा को लगा कहीं बेटी सच में ही घर से चली न जाए. भले ही वह अपनी बेटी पर रोकटोक लगाती थी, मगर प्यार भी वह उस से बहुत करती थी. विशाखा को इसी बात की चिंता लगी रहती थी कि उस की मासूम बेटी कहीं किसी मुसीबत में न फंस जाए उस लफंगे के चक्कर में. जमाना ठीक नहीं है. किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है. मगर पाखी को तो अपनी मां दुश्मन ही नजर आती.

‘‘कहीं भी, लेकिन इस घर से और आप से बहुत दूर. छोड़ो मुझे,’’ विशाखा का हाथ जोर से ?ाटकते हुए वह बोली, ‘‘मैं पूछती हूं आप मेरी जिंदगी में दखल देने वाली होती कौन हो?’’

‘‘तेरी जिंदगी. अब यह तेरी जिंदगी है? मैं ने तुम्हें 9 महीने अपनी कोख में रखा, पालापोसा, बड़ा किया और अब यह तुम्हारी जिंदगी हो गई. हम तुम्हें किसी मुसीबत में नहीं फंसने देना चाहते हैं, यह बात क्यों नहीं समझती तू? वह लड़का तेरे लिए कहीं से भी ठीक नहीं है. तू उस के साथ कभी खुश नहीं रह पाएगी. उस के साथ तेरी जिंदगी बरबाद हो जाएगी बेटा,’’ एक मां होने के नाते उस ने पाखी को समझना चाहा. लेकिन पाखी कहां समझने वाली थी. उसे तो अपनी मां की कोई भी बात अच्छी नहीं लग रही थी.

‘‘सब से बड़ी मुसीबत तो आप हो मेरी जिंदगी में. आप बरबाद कर रही हैं मेरी जिंदगी. आप ने मुझे पैदा कर के कोई बहुत बड़ा एहसान नहीं किया है. बेटा यह मत करो, बेटा वह मत करो, यहां मत जाओ, वहां मत जाओ. अरे, थक चुकी हूं मैं आप से और आप के इन बेतुके सवालों से. मैं कह रही हूं आप निकल जाओ मेरी जिंदगी से,’’ पाखी चीख पड़ी, ‘‘नहीं आप मत निकलो, मैं ही निकल जाती हूं आप की जिंदगी से हमेशाहमेशा के लिए, खुश?’’

अपनी बेटी के व्यवहार को देख विशाखा की आंखों से आंसू गिर पड़े.

पाखी बाहर जानेलगी तो रजत ने उसे रोका कि इस तरह इतनी रात गए बाहर जाना उचित नहीं है, इसलिए वह अपने कमरे में जाए.

रजत का कहा मान कर वह अपने कमरे में जा कर उस ने इतनी जोर से दरवाजा लगाया कि अपने पापा का भी लिहाज नहीं किया कि उन्हें बुरा लगेगा.

पाखी का ऐसा व्यवहार देख कर रजत को बहुत दुख हुआ. लेकिन गुस्सा उसे विशाखा पर भी आ रहा था कि जरूरत ही क्या उसे कुछ बोलने की. वह अब बच्ची थोड़े है.

‘‘क्या फायदा हुआ बोलने का बोलो? तुम और उस की नजरों में बुरी बनती जा रही हो,’’ रजत ने अपनी पत्नी को समझाना चाहा.

‘‘फायदा? यह तुम्हारा बैंक नहीं है रजत जो हर चीज में लौस और प्रौफिट देखा जाए. पाखी हमारी बेटी है. जानबूझ कर उसे गड्ढे में गिरने नहीं दे सकते. हम उसे सही रास्ता नहीं दिखाएंगे तो और कौन दिखाएगा?’’

विशाखा सही ही कह रही थी, रोहित अच्छा लड़का नहीं है. लड़कियों के साथ घूमना, शराबसिगरेट और ड्रग्स पीना उस की आदत में शामिल है. यह भी सच है कि पहले उस की एक शादी हो चुकी है. लेकिन शादी के 2 महीने बाद ही उस की बीवी एक ऐक्सीडैंट में मर गई. अब पता नहीं ऐक्सीडैंट हुआ या करवाया गया.

विशाखा को यह सारी बातें अपनी एक किट्टी की फ्रैंड से पता चलीं जो उसी सोसायटी में रहती है जिस सोसायटी में रोहित और उस की मां रहती है. उस की दोस्त ने यह भी बताया कि रोहित के मातापिता का वर्षों पहले तलाक हो चुका है और वह सिंगल मदर है. रोहित की मां एलआईसी में जौब करती है और ज्यादातर वह अपने घर से बाहर ही रहती है. बेटा क्या करता है, कहां रहता है इस बात की उसे कोई खबर नहीं होती है.

ऐसा नहीं है कि रोहित अनपढ़ गंवार है. इंजीनियरिंग की है उस ने. जौब भी लगी पर वह जौब उस ने छोड़ दी क्योंकि उसे वहां मजा नहीं आ रहा था. वह बिजनैस करना चाहता था. मगर बिजनैस में भी वह फिसड्डी निकला. अभी वह फिर किसी छोटीमोटी प्राइवेट कंपनी में जौब कर रहा है. लेकिन उसे बहुत पैसा चाहिए, इसलिए उस ने पैसे वाली पाखी को अपने जाल में फंसाया, उस से प्यार का नाटक किया और अब उस से शादी करना चाहता है ताकि पूरी जिंदगी उस की आराम से कट सके. खैर, उन की निजी जिंदगी से विशाखा को कोई लेनादेना नहीं है. लेकिन वह इसलिए उस के बारे में जांचपड़ताल करती रहती है क्योंकि उस की बेटी रोहित के चक्कर में फंसी है.

विशाखा ने कई बार समझाया अपनी बेटी को कि रोहित उस से नहीं बल्कि उस के पैसों से प्यार करता है. जानता है कि पाखी इतनी बड़ी कंपनी में नौकरी करती है. पाखी के पापा यानी रजत भी बड़े सरकारी बैंक में ऊंचे ओहदे पर हैं. इस के अलावा उन की जितनी भी संपत्ति है, उन के बाद पाखी की ही होने वाली है. मगर पाखी यह बात मनाने को तैयार ही नहीं है कि रोहित उस से नहीं बल्कि उस के पैसों से प्यार करता है. पता नहीं क्या घुट्टी पिला दी है उस लड़के ने पाखी को कि उस के बारे में एक शब्द नहीं सुनना चाहती वह. उलटे अपनी मां से ही लड़ने लगती है जैसे वह उस की सब से बड़ी दुश्मन हो.

उस रात विशाखा बोलतेबोलते सुबक उठी कि कहीं उस लड़के ने उस की बेटी के साथ कुछ ऐसावैसा कर दिया तो क्या करेंगे वे? एक ही तो बेटी है उन की. कैसे जीएंगे उस के बिना?

‘‘एक मां होने के नाते तुम्हारी चिंता जायज है लेकिन यह भी तो हो सकता है तुम जो सोच रही हो वह निरधार हो? चलो अब सो जाओ, रात बहुत हो गई है,’’ अपने सिर पर हाथ रख रजत ऊपर छत की तरफ देखते हुए न जाने क्या सोचने लगा और फिर उस की आंख लग गई.

27 साल की पाखी कौरपोरेट जौब करती है. मोबाइल शौप में उस की मुलाकत रोहित से हुई थी. दोनों अकसर मिलने लगे तो उन की दोस्ती हो गई जो धीरेधीरे प्यार में बदल गई. दोनों 2 साल से रिलेशनशिप में हैं और अब वह अपने इस रिश्ते को एक नाम देना चाहते हैं. लेकिन हाल तो यह है कि विशाखा इस रिश्ते के खिलाफ है और पाखी है कि रोहित के अलावा और किसी से शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती.

‘‘अब हमारे पास एक ही रास्ता बचता है और वह यह कि हम भाग कर शादी कर लें,’’ पार्क में घास पर लेटे रोहित ने सुझाया.

‘‘भाग कर? नहींनहीं मैं ऐसा नहीं कर सकती.’’

‘‘तो फिर जाओ, कर लो अपने मांपापा

के पसंद के लड़के से शादी,’’ रोहित जरा चिढ़ते हुए बोला.

‘‘और तुम क्या करोगे फिर?’’ पाखी मुसकराई.

‘‘मैं? मैं भी अपनी मां की पसंद की लड़की से शादी कर लूंगा और क्या. लेकिन एक बात सुनो. हम दोनों एकदूसरे की शादी में जरूर आएंगे, यह वादा करो,’’ रोहित की बात पर पाखी को हंसी आ गई.

रोज की तरह आज भी पाखी औफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी. मगर उस के दिमाग में ढेरों उल?ानें चल रही थीं. सम?ा नहीं आ रहा था उसे कि बात कैसे और कहां से शुरू करे. वह अपनी मां विशाखा से उल?ाना नहीं चाहती थी बेकार में. लेकिन बात तो करनी ही होगी, अपनेआप में भुनभुनाते हुए जब उस की नजर घड़ी पर पड़ी तो घबरा उठी कि आज रोहित ने उसे जल्दी बुलाया है. तभी विशाखा ने आवाज लगाई कि वह आ कर नाश्ता कर ले, रोहित से ध्यान हट कर अपनी मां की बातों पर चला गया.

‘‘देखो, आज मैं ने तुम्हारी पसंद के छोलेभठूरे बनाए हैं,’’ प्लेट में उस के लिए नाश्ता परोसते हुए विशाखा बोली. कल की बात को ले कर विशाखा भी गिल्ट फिल कर रही थी कि पाखी को कितना कुछ सुना दिया उस ने. पाखी ने अजीब तरह से नाश्ते की तरफ देखा और यह कह कर कुरसी से उठ खड़ी हुई कि इतना औयली नाश्ता उस के गले से नहीं उतरेगा.

‘‘तो तो मैं तुम्हारे लिए उपमा या पोहा बना देती हूं न, अभी 2 मिनट में बन जाएगा.’’

‘‘नहीं, कुछ नहीं चाहिए. वैसे भी मुझे देर हो रही है,’’ कह कर वह घर से निकल गई. न कोई बाय न यह बताया कि घर कब आएगी. किसी से फोन पर बात करते हुए बाहर निकल गई. अजीब व्यवहार होता जा रहा था उस का अपने मातापिता के प्रति और यह बात रजत भी अब नोटिस करने लगा था.

दरअसल, कल रात पाखी और उस के पापा के बीच शादी की बात को लेकर जरा अनबन हो गई. पाखी का कहना था कि वह रोहित से प्यार करती और उस से ही शादी करना चाहती है. लेकिन रजत का कहना था कि पहले वह जान तो ले कि रोहित उस के लायक है भी या नहीं. उस पर पाखी कहने लगी कि उसे पता है रोहित उस के लायक है. और कोई क्या सोचता है उन के रिश्ते के बारे, इस बात से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

पाखी का इशारा अपनी मां की तरफ था. उस की बात पर रजत को गुस्सा आ गया और उस ने कह दिया कि वे उस के मातापिता हैं. इसलिए उस का भला बुरा सोचना भी उन का ही काम है. वह अभी नासमझ है. उसे नहीं पता है कि दुनिया में कितने धोखेबाज इंसान, शराफत का चोला ओढ़े घूम रहे हैं

‘‘ठीक है आप लोगो को जो समझना है समझते रहिए. लेकिन रोहित मेरे लिए सही है और यही सच है. और मेरा फैसला अब भी वही है पापा की शादी तो मैं रोहित से ही करूंगी वरना उम्रभर कुंआरी रह जाऊंगी.’’

जवान बेटी से ज्यादा मुंह लगाना रजत को अच्छा नहीं लगा, इसलिए चुप रहने में ही भलाई समझ. पाखी को जिद पर अड़े देख कर रजत को अब डर लगने लगा था कि कहीं यह लड़की किसी मुसीबत में न फंस जाए. वह स्वयं तो 15 दिन पर मुश्किल से 2 रोज के लिए घर आ पाता है. बाकी के दिन तो वह दूसरे शहर में अपनी नौकरी में व्यस्त रहता है.

रजत ने जानबूझ कर बैंक से हफ्तेभर की छुट्टी ले ली ताकि उस रोहित के बारे में पर्सनली जानकारी जुटा सके. देखना चाहता था वह कि क्या सच में रोहित का कई लड़कियों से चक्कर है और यह भी कि वह कुछ कमाता भी है या यों ही डींगे मारता है.

मगर विशाखा ने जोजो बातें उस रोहित के बारे में बताईं वे सब सच निकलीं. रोहित एक बिगड़ा हुआ लड़का है. रोज नईनई लड़कियों के साथ घूमनाफिरना और ऐश करना उस की आदतों में शामिल है. शराबसिगरेट का भी आदी है वह. सब से बड़ी बात की उन का अपना कोई घर नहीं है. दोनों मांबेटे एक किराए के घर में रहते हैं, जिसे वह सब से अपना बताते फिरता है, जबकि उस मकान का मालिक कोई और ही है. हां, उस की पहले भी एक शादी हो चुकी है. इस के अलावा रोहित की मां का अपने पति से वर्षों पहले तलाक हो चुका है और रोहित के पिता दुबई में रहते हैं.

रोहित ने खूब सोचसमझ कर पाखी को अपने प्यार के जाल में फंसाया ताकि उस की जिंदगी आराम से गुजार सके. लेकिन रजत यह बात पाखी को बताएगा कैसे? और क्या वह रजत की बातों पर विश्वास करेगी. लेकिन बताना हो पड़ेगा.

मगर वही हुआ जिस का रजत को डर था. अपने पापा की बात समझने के बजाय वह उन से ही लड़ पड़ी और गुस्से में अपना सामान उठा कर रोहित के घर रहने चली गई. रोहित की मां का दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गया तो रोहित यहां अकेले ही रह रहा था. अब पाखी भी उस के साथ उस के घर में रहने लगी. वहां से वह रोज औफिस आनेजाने लगी.

आज महीना हो चुका था पाखी को इस घर से गए. इस बीच न तो उस ने अपने मांपापा को कोई फोन किया न ही उन का फोन उठाया. एक रोज रजत और विशाखा जब उस से मिलने उस के औफिस पहुंचे तो उस ने अपने मातापिता से मिलने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वे उन के कुछ नहीं लगते. बेचारे दोनों रोंआसे से हो कर घर लौट आए. जो मांबाप अपने बच्चों के लिए क्याक्या नहीं करते हैं उन की खुशियों को पहले देखते हैं वही बच्चे इतने स्वार्थी और पत्थर दिल कैसे बन जाते हैं. खैर, रजत और विशाखा ने भी अब अपने दिल पर पत्थर रख लिया था.

उधर रोहित के साथ रहते हुए पाखी का दिन सोने के और रातें चांदी की हो गई थीं.

रोज वह उस के साथ घूमफिर और मौज कर रही थी. उसे तो अब अपने मांपापा की याद भी नहीं आती थी. जो भी था बस रोहित ही था उस के लिए. दोनों ने कोर्ट मैरिज करने का फैसला कर लिया था और इस के लिए उन्होंने कोर्ट में अर्जी में डाल दी थी.

कल रोहित का जन्मदिन था और पाखी ने उस के लिए कुछ सरप्राइज प्लान किया था. सुबह वह यह कह कर अपने औफिस के लिए निकल गई कि आज शायद उसे घर आने में थोड़ी देर हो जाए. इसलिए वह खाने पर उस का इंतजार न करे. लेकिन असल में उस ने 2 दिन की छुट्टी ले रखी थी ताकि रोहित का जन्मदिन अच्छे से सैलिब्रेट कर सके. मगर यह बात उस ने रोहित को बताई नहीं थी क्योंकि उसे सरप्राइज जो देना चाहती थी.

मौल जा कर उस ने रोहित के लिए ढेर सारी शौपिंग की. बढि़या होटल बुक किया. उस के लिए ऐक्पैंसिव गिफ्ट खरीदा. 4-5 घंटे तो उस के इसी सब में निकल गए. बहुत थक चुकी थी. इसलिए घर जा कर थोड़ा आराम करना चाहती थी क्योंकि फिर शाम की पार्टी की भी तैयारी करनी थी उसे. डुप्लिकेड चाबी से दरवाजा खोल कर जब वह घर के अंदर गई और जो उस ने देखा, उस के पांवों तले की जमीन खिसक गई. रोहित एक लड़की के साथ हमबिस्तर था. गुस्से के मारे वह थरथर कांपने लगी. वह कमरे के अंदर जा ही रही थी कि उन दोनों की बातों ने उस के कदम वहीं रोक लिए.

‘‘अब तो तुम उस पाखी से शादी करने जा रहे हो, फिर मुझे तो भूल ही जाओगे,’’ अपनी ऊंगली रोहित के बदन पर फिराते हुए वह लड़की बोली.

‘‘हां शादी तो करने जा रहा हूं पर उस से नहीं, बल्कि उस के पैसों से.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यह कि शादी मैं किसी बंधन में बंधने के लिए नहीं कर रहा हूं बल्कि लग्जरी लाइफ जीने के लिए कर रहा हूं. पाखी तो बस एक जरीया है मेरी ऐशोंआराम के साधन का,’’ और रोहित ठहाके लगा कर हंसा, ‘‘बेवकूफ लड़की. उसे लगा वह कोई हूर की परी है और मैं उस की सुंदरता पर मर मिटा हूं. लेकिन उस की जैसी कितनी आई और गईं मेरी जिंदगी से और सब को मैं ने यों ही मसलमसल कर फेंक दिया. वह तो पाखी बहुत पैसे वाली बाप की एकलौती बेटी है इसलिए उस के साथ बेइंतहा प्यार का नाटक करना पड़ रहा है मु?ो और यह शादी भी एक नाटक ही है मेरी जान,’’ कह कर उस ने उस लड़की को अपनी आगोश में भर लिया और उसे यहांवहां चूमने लगा, जो पाखी से देखा नहीं गया. रोहित की बात सुन कर पाखी का खून खौल उठा. उस ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि रोहित इतना घटिया इंसान है.

‘‘और तुम्हें क्या लगता है पाखी तुम्हें इतने आराम से अपनी दौलत लुटाने देगी?’’ वह लड़की बोली.

‘‘हां, लेकिन उस के बाद तो उस की सारी संपत्ति का मालिक मैं ही होऊंगा न.’’

‘‘पर कैसे?’’ उस लड़की ने पूछा.

‘‘अब रोज कितने ही ऐक्सीडैंट होते हैं तो एक और सही.’’

रोहित की बात सुन कर पाखी की रूह कांप उठी. एकाएक उसे अपनी मां की कही बातें याद आने लगीं कि रोहित की पहले भी एक शादी हो चुकी है और उस की बीवी एक ऐक्सीडैंट में मर गई. तो क्या इस रोहित ने ही अपनी बीवी का… और क्या यह सिर्फ मेरे पैसों से प्यार करता है मुझ से नहीं? कितना सम?ाया मां ने, पापा ने मुझे कि रोहित अच्छा लड़का नहीं है. लेकिन मैं पागल उन्हें ही अपना दुश्मन सम?ा बैठी,’’ पाखी ने अपने बाल नोच लिए कि यह क्या कर लिया उस ने. कैसे नहीं समझ पाई इस रोहित को  और इस के नापाक इरादों को?

पाखी ने अपने आंसू पोंछे और रोहित की 1-1 बात अपने मोबाइल में रिकौर्ड कर ली और वहां से निकल गई क्योंकि अब यहां रुकना उस की जान के लिए खतरा था.

रात के 11 बजे दरवाजे की घंटी की आवाज से रजत और विशाखा दोनों घबरा उठ बैठे, ‘‘इतनी रात गए कौन हो सकता है?’’

‘‘पता नहीं, देखते हैं,’’ बोल कर जब विशाखा ने दरवाजा खोला और सामने पाखी को खड़े देखा तो हैरान रह गई.

कुछ बोलती उस से पहले ही पाखी अपनी मां के गले लग फूटफूट कर रोने लगी. कहने लगी कि उस की मां सही थी. रोहित अच्छा लड़का नहीं है. उस ने उस से चीट किया. उस से बहुत बड़ी गलती हो गई उसे पहचाने में. अपने मांपापा को ले कर जो गलतफहमियां उस ने अपने मन में पाल रखी थीं वे सब दूर हो चुकी थीं.

मगर सारी बातें जानने के बाद रजत का खून खौल उठा. सोच लिया कि वह रोहित को छोड़ेगा नहीं. उसे पुलिस में देगा. लेकिन विशाखा ने उसे शांत करते हुए कहा कि जो हुआ उस बात पर मिट्टी डालो. खुश हो जाओ कि हमारी बेटी हमारे पास वापस आ गई. लेकिन पाखी उस रोहित को सबक सिखाना चाहती थी.

उस के कई बार फोन करने के बाद भी जब पाखी ने उस का फोन नहीं उठाया तो रोहित खुद उस से मिलने उस के घर पहुंच गया और कहने लगा कि उसे पाखी की बहुत चिंता होने लगी कि कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया.

‘‘नहीं, कुछ नहीं हुआ है मुझे बल्कि मेरे साथ अनहोनी होतेहोते रह गई.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ तुम्हें? तुम ठीक तो हो?’’ पाखी के करीब जाते हुए रोहित बोला.

‘‘अब अपना यह नाटक बंद करो समझे?’’ कह उस ने रोहित के गाल पर तड़ातड़ 3-4 थप्पड़ जड़ दिए और उस की रिकौर्डिंग की हुई सारी बात उसे सुना दी, जिसे सुन कर वह सन्न रह गया.

‘‘तुम भी सोच रहे होंगे कि यह क्या हो गया? बात बनतेबनते रह गई. अब तुम्हारी ऐशोआराम का क्या होगा? नहीं, कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है क्योंकि तुम्हारा असली चेहरा अब मेरे सामने है. इसलिए जाओ यहां से और कभी मुझे अपनी यह मनहूस शक्ल मत दिखाना नहीं तो सीधे जेल जाओगे,’’ कह उस ने रोहित को अपने घर से धक्का दे कर बाहर निकाल दिया और दरवाजा बंद कर दिया. मांबेटी के बीच जो भी गलतफहमियां थीं वे सब दूर हो चुकी थीं.

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