Parenting Tips : परीक्षाओं का वक्त करीब है, ऐसे में पेरैंट्स के आपस में बातचीत करने के लिए ऐग्जाम के अलावा कुछ नहीं बचा है. बच्चा चाहे दूसरी कक्षा का विद्यार्थी हो या 10वीं के बोर्ड ऐग्जाम हर एज ग्रुप के पेरैंट्स पर ऐग्जाम का एकजैसा स्ट्रैस ही दिखता है. सच है कि बच्चों की परीक्षाएं सिर्फ उन के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए भी एक चुनौती होती है. मातापिता जिस में खासकर मांएं इस दौरान तनाव में आ जाती हैं, क्योंकि उन्हें बाकी जिम्मेदारियों के साथ बच्चे के ऐग्जाम स्ट्रैस का बर्डन अकसर अकेले ही झेलना पड़ता है.
बदलते जमाने के साथ अब पिता को वक्त के साथ बच्चे के ऐग्जाम की बराबर जिम्मेदारियां लेनी जरूरी हैं ताकि एक पर सारा भार न पड़े और वे इस के चक्कर में बीमार न पड़ जाएं. बच्चे की परवरिश मातापिता की साझा जिम्मेदारी है, ऐसे में जब परिक्षा की घड़ी हो तो एक के सिर बोझ डालना गलत है, पिता को चाहिए कि वे जितना हो सके उनता ही लोड शेयर करें क्योंकि जब एक पर दबाव ज्यादा पड़ता है तो वह दबाव न चाहते हुए भी बच्चे तक पहुंचता है जो उस के लिए सही नहीं.
इसलिए जैसे इनवेस्टमैंट के लिए आप प्लान करते हैं ठीक वैसे ही बच्चे के ऐग्जाम में किसे क्या काम करना है प्लान करें.
जिम्मेदारियां मिल कर निभाएं
मातापिता दोनों को अपने काम आपस में बांटने चाहिए ताकि किसी एक पर सारा भार न आ जाए. अगर पिता खाना बनाने में मदद नहीं कर सकते, तो कम से कम ग्रोसरी खरीदने जैसे काम कर सकते हैं. घर की सफाई और बाकी जरूरी कामों में हाथ बंटाना चाहिए, ताकि मां को बच्चे की पढ़ाई में मदद करने का समय मिल सके. बच्चों के लिए एक अच्छा माहौल तैयार करें, जिस से उन्हें पढ़ाई में ध्यान लगाने में मदद मिलें. आप चाहें तो सब्जैक्ट्स बांटें, कुछ सब्जैक्ट्स की तैयारी की जिम्मेदारी आप लें कुछ आप की पत्नी ले.
परीक्षा के दौरान पिता की भूमिका
पिता की भूमिका सिर्फ कमाई करने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. पिता परीक्षाओं के वक्त मां और बच्चे का बड़ा सपोर्ट सिस्टम बन कर खड़े हो सकते हैं. कई लोग घर की स्थिति को नहीं समझते, उन्हें बस अपने 8 घंटों के काम के बाद सिर्फ अपना आराम दिखता है और वे सिर्फ अपनी जरूरतों और आराम तक सीमित रहते हैं. लेकिन यह ऐटिट्यूड हो सकता है आम दिनों में किसी को परेशान न करे, लेकिन जब मां पर पहले ही ऐक्स्ट्रा ऐग्जाम का लोड हो तो यह घर में परेशानी खड़ी कर सकती है. इसलिए अगर कुछ दिन आप को खाने के लिए गैस से उतरी गरम रोटियां न मिल कर, कैसरोल से रोटियां खुद ले कर खानी पड़ें तो आप को बिना शिकायत किए ऐडजस्ट करना सीखना चाहिए. साथ ही आप बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रेरित करें और उन का हौसला बढ़ाएं.
अगर बच्चे को किसी विषय में दिक्कत हो रही है, तो उस की मदद करें या टीचर से बात करें. परीक्षा के डर को कम करने के लिए बच्चों से पौजिटिव बातें करें. आप की पत्नी अपनी सीमाओं से आगे बढ़ कर काम कर रही हैं तो उन को भी क्रेडिट जरूर दें.
खाना पहले से तैयार रखें
परीक्षा के समय खाने की टैंशन न हो, इस के लिए पहले से प्लानिंग कर लेना अच्छा रहेगा. पूरे हफ्ते का खाना का प्लान बना लें, ताकि आखिरी समय में परेशानी न हो. कुछ खाना पहले से बना कर रख सकते हैं, ताकि परीक्षा के दौरान ज्यादा मेहनत न करनी पड़े. अच्छे प्रोटीनयुक्त खाने की प्रीप्लानिंग कर के उन्हें डीप फ्रीज कर सकते हैं जिस से खाने के वक्त कुछ ही मिनटों में वह तैयार हो जाए और उस की प्रीपरेशन में आप को ज्यादा वक्त न लगे. बच्चों को हलका और हैल्दी खाना दें, जिस से उन्हें थकान न हो और दिमाग तेज चलें.
बच्चे और मां की नींद का ध्यान रखें
बच्चे अकसर परीक्षा के समय देर रात तक जाग कर पढ़ाई करते हैं, जिस से उन की नींद पूरी नहीं हो पाती. मां भी उन के साथ जागती रहती हैं, जो सही नहीं है. बच्चों को समझाएं कि अच्छी नींद जरूरी है, क्योंकि इस से दिमाग बेहतर काम करता है. मां को भी अपनी नींद का ध्यान रखना चाहिए, ताकि वह शांत और खुश रहें. इस में पिता को चाहिए कि वह आगे बढ़ कर दोनों की मदद करे. अगर मां ने रात को देररात तक बच्चे को समय दिया है तो सुबह उठ कर पिता नाश्ता बना दे, बच्चे को रैडी कर दे जिस से मां को कुछ वक्त की ऐक्सट्रा नींद मिल सके. बच्चों और पेरैंट्स के सोने और जागने का समय तय करें और कोशिश करें कि उस रूटीन को फौलो करें.
बच्चों को मानसिक सपोर्ट दें
मातापिता का नैतिक समर्थन बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में बहुत मदद करता है. परीक्षा को जिंदगीमौत का सवाल न बनाएं, बल्कि इसे सीखने का एक मौका समझें. बच्चों को डांटने के बजाय उन का हौसला बढ़ाएं और उन के प्रयासों की सराहना करें. अगर बच्चा किसी विषय में कमजोर है, तो उसे डांटने की बजाय उस की मदद करें.
पढ़ाई के लिए सही माहौल बनाएं
बच्चों की पढ़ाई सही से हो, इस के लिए मातापिता को माहौल ठीक रखना चाहिए. घर में शांति बनाए रखें और टीवी या मोबाइल का शोरगुल कम करें. बच्चे का ध्यान सोशल मीडिया से हटा कर पढ़ाई पर केंद्रित करने में मदद करें. पढ़ाई का एक टाइम टेबल बनाएं और उस पर चलने की आदत डालें. किसी एक विषय में सारा वक्त खपाने की बजाए हर विषय को सही वक्त दें. अगर किसी विषय में बच्चे को दिक्कत हो तो उस के लिए अतिरिक्त समय जरूर निकालें.
परीक्षा के बाद भी सपोर्ट करें
अकसर मातापिता परीक्षा के नतीजों को ले कर ज्यादा चिंता करने लगते हैं, जिस से बच्चों पर और दबाव आ जाता है. परीक्षा के बाद भी बच्चों का हौसला बढ़ाएं, चाहे रिजल्ट जैसा भी हो. अगर परिणाम उम्मीद के मुताबिक न आए, तो बच्चे को डांटने के बजाय सुधार करने के लिए प्रेरित करें. परीक्षा के बाद परिवार के साथ कुछ अच्छा समय बिताएं, जिस से बच्चे का स्ट्रैस कम हो. अगर रिजल्ट आप के मुताबिक न हो तो परिजन एकदूसरे पर भी दोष निकालना शुरू कर देते हैं, ऐसा न करें. एकदूसरे का साथ दें और अगली बार के लिए बेहतर तैयारी करें.
परीक्षा जिंदगी का सिर्फ एक हिस्सा है, न कि सबकुछ. मातापिता को चाहिए कि वे परीक्षा के समय बच्चों का साथ दें, उन का हौसला बढ़ाएं और एक पौजिटिव माहौल बनाए रखें. जब परिवार मिल कर काम करता है, तो परीक्षा का तनाव कम हो जाता है और बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है.