Kaushaljis vs Kaushal Review :  हमारे जीवन में कई चीजें आसपास होती है, लेकिन हम उसे यूंही देखकर आगे बढ़ जाते है, उसकी गहराई को समझ नहीं पाते, जबकि वे हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होते है. मध्यम वर्गीय परिवार की ऐसी ही भावनाओं और संबंधों को व्यक्त करती हुई फिल्म ‘कौशलजीज वर्सेज कौशल’ है, जिसमें आज के पेरेंट्स और बच्चों के बीच के संबंधों को बारीकी से दिखाया गया है.

जहां आज के कई पेरेंट्स बच्चों के हिसाब से चलने की कोशिश करते है, लेकिन बच्चे कई बार इसे नजरअंदाज करते है और उन्हे ग्रांटेड ले लेते है और अंत में उसे ठीक करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते है. जियो हौट स्टार पर रिलीज हुई इस फिल्म को अच्छी कहा जा सकता है.

कहानी कन्नौज के कौशल परिवार की है, जिसके मुखिया साहिल कौशल (आशुतोष राणा) कव्वाल बनने के सपने को कुर्बान कर अकाउंटेंट बन जाते हैं, ताकि बच्चों की पढ़ाई का खर्च सही से उठा सकें, जबकि उनकी पत्नी संगीता (शीबा चड्ढा) ने बच्चों को पूरा समय देने के लिए इत्र बनाने की चाहत दबाकर घर परिवार में बच्चों की जिम्मेदारी पर ध्यान देने लगती है.

बेटा युग (पवैल गुलाटी) नोएडा में एक ऐड एजेंसी में नौकरी करता है और काम की व्यस्तता की वजह से घर आना तो दूर, मां-बाप से बात करने का भी वक्त नहीं रहता. बेटी भी बाहर एक एनजीओ में काम करती है. ऐसे में घर में अकेले रह रहे साहिल और सीमा अपनेअपने सपनों को दोबारा जीने की कोशिश तो करते हैं, मगर एकदूसरे के मन की बात नहीं समझ पाते. हर वक्त एकदूसरे की कमियां निकालकर लड़ते रहते हैं, लिहाजा एक दिन इस कलेश को खत्म करने के लिए दोनों तलाक लेने का फैसला लेते हैं. जबकि युग की अमेरिका में रहने वाली गर्लफ्रैंड कियारा (ईशा तलवार) को शादी के लिए ऐसा घर चाहिए, जहां एक परिवार हंसीखुशी रहते हों, क्योंकि उनके परिवार में उनके पेरेंट्स उनके बचपन में ही डिवोर्स ले चुके है, ऐसे में क्या युग के पेरेंट्स डिवोर्स लेते है? क्या युग को अपना जीवन साथी मिलेगी ? ऐसी ही कुछ प्रश्नों के जवाब देती हुई फिल्म अंजाम तक पहुंचती है.

दो पीढ़ी में शामिल इंटरनेट

निर्देशक सीमा देसाई, जिन्होंने को राइटर सिद्धार्थ गोयल के साथ इस कहानी को लिखा है. यह फिल्म आज के दौर में दो पीढ़ियों के बीच आने वाली गैप, जो आज थोड़ी अलग हो चुकी है, जिसमें इंटरनेट और सोशल मीडिया शामिल हो चुकी है. इस बात को दर्शाने की कोशिश है. हालांकि फिल्म की स्क्रिप्ट कसी हुई नहीं लगती और कई स्थान पर उपदेशात्मक भी लगती है, लेकिन साहिल संगीता के तलाक लेने के फैसले के बाद कहानी में कसाव दिखा. खासकर कोर्ट रूम के सीन भावुक कर देते हैं. फिल्म में शीबा चड्ढा ने काफी अच्छा अभिनय किया है और फिल्म की गति को पकड़े रखा.

झुंझलाए हुए पति के रूप में आशुतोष राणा की अदायगी भी देखने लायक रही है. पवैल गुलाटी और ईशा तलवार ने भी सधा हुआ अभिनय किया है. जबकि बृजेंद्र काला, ग्रुशा कपूर और दीक्षा जोशी ने सीमित स्क्रीन स्पेस में ठीकठाक काम किया है. फिल्म का म्यूजिक और प्रौडक्शन डिजाइन औसत है. वहीं, एडिटिंग और धारदार होनी चाहिए थी.

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