Parents : आमतौर पर देखा जाता है कि मातापिता एकदूसरे से अकसर झगड़ते रहते हैं. वे कई दिनों तक एकदूसरे से बात नहीं करते और कोई बात करनी हो, तो टीनऐजर्स उन के दूत बन जाते हैं। कभीकभी मां या पिता एकदूसरे के खिलाफ अपनी भड़ास टीनऐजर के सामने निकालते हैं और कभीकभी टीनऐजर को मांबाप में से किसी एक का पक्ष लेने के लिए कहा जाता है या फिर वे खुद ही किसी एक का पक्ष लेने लगते हैं. या फिर वे पेरैंट्स की लड़ाई के बीच में आ कर उसे सुलझाने का असफल प्रयास करते हैं. इन में से कोई भी स्तिथि टीनऐजर्स के लिए ठीक नहीं हैं. आइए जानें कैसे.
वियतनामी बौद्ध भिक्षु और मशहूर राइटर तिक न्यात हन्ह ने अपनी किताब ‘फिडिलिटी : हाउ टू क्रिएट लविंग रिलेशनशिप दैट लास्ट्स’ में इस बारे में लिखा है- पेरैंट्स के झगड़े का बच्चे पर असर। पेरैंट्स के झगड़े का बच्चे की मैंटल और इमोशनल हैल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस से वे तनाव महसूस कर सकते हैं और उन में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। पेरैंट्स के बीच बातबहस और झगड़े को देख कर बच्चे में घबराहट और डर पैदा हो सकता है.
यह सही भी है क्योंकि अपने पेरैंट्स को लड़ते हुए देखना बच्चा हो या टीनऐजर किसी को भी को अच्छा नहीं लगता। दरअसल, यह उम्र ही ऐसी होती है कि वे सब समझने लायक हो जाते हैं और चाहते हैं कि मातापिता की लड़ाई में बीचबचाव करें और सिचुएशन को सही करने की कोशिश करें लेकिन यह आप का काम नहीं है. पेरैंट्स आप से बड़े हैं, समझदार हैं। उन्हें उन का फैसला खुद लेने दें.
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