Lifestyle: बीमारी या दुर्घटना कहकर नहीं आती मगर महंगे इलाज के लिए रकम जुटाना किसी के लिए भी मुश्किल हो सकता है. कोई दोस्त या रिश्तेदार इलाज के लिए मदद करने को कहे तो इसके लिए कभी मना ना करें. इसी तरह अगर कोई मित्र कोर्ट कचहरी के किसी केस में गलत तरीके से फंस गया है तो उसकी मदद जरूर करें. अगर कोई बच्चा होनहार है और आगे पड़ना चाहता है लेकिन फीस देने में सक्षम नहीं है तो उसकी हेल्प करें.

लेकिन कई बार देखने में आता है कि हम जरुरत ना होने पर भी पहुँच जाते हैं किसी की भी मदद करने और फिर बाद में खुदी परेशां भी होते हैं. इसलिए मदद करना बुरा नहीं है Enturisam समाज मदद करने से बनता है लेकिन मदद करने से पहले भी सोचा जाना चाहिए कि क्या वाकई यहाँ मदद करना बनता है या में बेकार ही मदद करके फंस रहा हूँ.

Enturisam समाज कब बनता है?

Enturisam समाज तब चलता है जब हम एक दूसरे की मदद करते हैं. लेकिन वो हेल्प तब होती है जब सब एक दूसरे की हेल्प कर रहें हो. आप अकेले ही बेफकूफ ना बने सामने वाला आपको तवज्जो ही नहीं दे रहा है और आप हेल्प करें जा रहें हैं. आप अकेले ही ये जिम्मेवारी ज्यादा समय तक नहीं उठा सकते. वो बोझ बन जाएगी. जैसे कि आपने अपनी सोसाइटी में ओल्ड आगे असोसिएशन बनाई और हर जरूरतमंद का बीड़ा आपने अपने कन्धों पर उठा लिया. लेकिन बाकी लोग इन्वॉल्व ही नहीं हो रहें हर काम के लिए आपको आगे कर देते हैं. जबकी अगर किसी एक फैमिली को डॉक्टर के जाने की जरूत है तो आज उसे आप लें गए और अगली बार कोई और लेकिन कोई और सामने आ ही नहीं रहा तो आप अकेले ये सब कब तक कर पाएंगे. इसे चलने के लिए सबके साथ और सहयोग की जरुरत होती है.

हेल्प मांगने पर ही हेल्प करें

कई बार किसी को मदद की जरुरत भी नहीं होती और हम उसकी सिचुएशन देखकर पहुँच जाते हैं मदद करने. ऐसे में कई बार सुनने को भी मिल जाता है भाईसाहब ये हमारे घर का मामला है हम निबटा लेंगें कृपया आप बीच में ना पड़ें. ऐसे में आप अपना सा मुँह लेके आ जाते हैं. ऐसा कई बार अजनबियों की मदद करने पर भी होता है जैसे की :

जिसने मुसीबत में आपका साथ नहीं दिया उसकी हेल्प ना करें

अगर आपने कभी किसी की मदद की लेकिन जरुरत पड़ने पर उस व्यक्ति ने आपको पहचानने से भी इंकार कर दिया और अगली बार आपको भी उसकी मदद करने की जरुरत नहीं है. हो सकता है उसे सबक मिले और आगे से वह इस बात को समझें कि मदद लेना देना गिव एंड टेक से जुड़ा मामला है कल सामने वाले को जरुरत है तो हो सकता है कि कल आपको जरुरत हो.

मदद उसकी करें जिसके साथ सम्बन्ध अच्छ हो

हर अजनबी की मदद करना ठीक नहीं. मदद उसकी करों जिससे आपके सम्बन्ध अच्छे हो. इससे सामाजिकता बढ़ती है. लेकिन अगर मदद लेने वाले से आपकी ज्यादा मित्रता नहीं है और आप फिर भी पहुँच गए मदद करने तो आपसे मदद लेने वो हिचकिचायेगा उसे लगेगा में इससे मदद क्यूँ लूँ अपने फॅमिली मेंबर या दोस्त से मदद लूंगा. ऐसे में आप अपना सा मुँह लेकर लौटेंगे इसका क्या फायदा है.

पैसा देकर फंस गया यार

“पैसा उधार न देना अच्छा, न लेना अच्छा; उधार स्नेह की कैंची है,” अंग्रेज़ नाटककार विलियम शेक्सपियर ने लिखा था. यह तो पक्का है कि पैसा उधार लेना-देना बहुत ही नाज़ुक मामला है और इससे रिश्‍ते तक टूट जाते हैं. चाहे कितनी भी अच्छी योजना क्यों न बनायी गयी हो और कितने भी नेक इरादे क्यों न रहे हों, कब स्थिति बदल जाए हम नहीं जानते.

क्या पता ऐसी स्थिति हो जाए कि उधार लेने वाले के लिए अपना कर्ज़ चुकाना मुश्‍किल या असंभव हो जाए. या ऐसा भी हो सकता है कि उधार देनेवाले को अचानक उस पैसे की ज़रूरत आन पड़े जो उसने उधार दिया है या फिर कई बार उधार लेने वाले की नियत बदल जाती है उसे लगता है अब मैं उधार क्यूँ वापस करूँ इसलिए उधार देने से पहले सोच लें कि कहीं आप अपने पैसे भी गवाएं पर बार बार मांगकर बुरे भी बने. जब ऐसी बातें होती हैं, तो जैसा शेक्सपियर ने कहा, दोस्ती और रिश्‍तों में दरार पड़ सकती है.

सामने वाले को मदद की जरुरत है भी या नहीं देख लें

कई बार हम किसी को मुसीबत में देखकर इमोशनल होकर मदद करने पहुँच जाते हैं लेकिन उन्होंने कह दिया कि अरे आपने बेकार ही कष्ट किया हम तो मैनेज कर ही लेते या आप हेल्प करने चले तो उनके ही घर के 4- 6 आदमी पहले ही आ गए. हेल्प करने में कई बार आप हेल्प भी करते हैं और बात भी नहीं बनती है. इसलिए देख लें सामने वाले वो मदद की जरुरत है भी या नहीं. जैसे कि आप अपने किसी क्लास के स्टूडेंट को उसके घर नोट्स देने बिन बोले पहुँच गएँ ताकि उसकी मदद हो सहकेँ क्यूंकि आज वो छुट्टी पर था लेकिन वहां जाकर पता चला उसने तो व्हाट्सप पर अपने किसी और दोस्त से मंगवा लिए हैं आपने बेकार ही अपना टाइम लगाया.

अजनबियों की मदद करके फंस सकते हैं आप

अगर आपने सड़क पर या मॉल में अगर बच्चे की माँ कहीं इधर उधर है और आपने किसी रोते हुए बच्चे को गोद में उठा लिया तो माँ नाराज होकर आपको किडनेपर भी कह सकती है.इसलिए मदद करने से पहले 10 बार सोचें कि आप किसकी और कैसे मदद करने जा रहे हैं. ऐसा नहीं के आप ने बीच रास्ते में लड़की खड़ी देखी और मदद के लिए रुक गए. वह लड़की फ्रॉड भी हो सकती है. इस तरह नजान की मदद करने में आप फंस भी सकते हो.

अपना जुगाड़ बैठाकर मदद के लिए ऑफर करों नहीं तो फंसोगे

आपने जोश जोश में किसी को कह तो दिया कि हां मैं आपकी जॉब की बात अपनी कंपनी में करूँगा लेकिन यह कहते वक्त आप भूल गएँ कि बॉस से तो आजकल आपकी खटपट चल रही है और आपकी अपनी परफॉर्मेंस पर सवाल उठ रहें हैं ऐसे मी आप दूसरे की जॉब की बात कैसे कर सकते हैं. वही वह व्यक्ति आपसे बार बार पूछ रहा है बात हो गई मेरी जॉब के लिए. अब आपने बैठे बैठाएं बेकार की टेंशन पाल ली. ये गले की वो हड्डी बन गई जो ना निगलि जाए ना ऊगली जाए. इसलिए मदद का ऑफर देने से पहले अपनी स्तिथि का अंदाजा भी लगा लें कि आप मदद करने लायक स्थिति में हैं भी या नहीं.

वादा करके फंस ना जाना –

वादा तो कर दया कि दोस्त की बेटी के एडमिशन की जिम्मेवारी मेरी है क्यूंकि बहिन के ससुर उस स्कूल में प्रोफेसर हैं लेकिन अब वो बार बार कहने पर बह कोई जवाब नहीं दे रहें. बिना बात बहिन की ससुराल से मन खट्टा हो गया. बेहेन की ससुर के लिए जो इज़्ज़त पहले थी वो अचानक से ख़तम हो गई. लगा इन्होने मेरी समय पर मदद नहीं की. इससे बेवजह रिश्ते में दूरी आ गई. जबकि आपका कोई अपना काम भी नहीं था. हो सकता है आपके काम के लिए वो मन भी ना करते पर किसी अजनबी की मदद करना उन्हें जरुरी न लगा हो और इस वजह से बेवजह आप दोनों के रिश्ते में खटास आ गई. इसलिए मदद का वादा अपने बलबूते करों दूसरे के बलबूते नहीं क्यूंकि ऐसे में आप खुद किसी की मदद के मोहताज हो जाते हो.

एक की मदद कर चार लोगों से दुश्मनी ना पाल लेना-

अगर आपके चार दोस्त हैं और उनमे से किसी ने आपसे 2 दिन के लिए आपकी कार मांग ली और आपने भी आने जाने की असुविधा के बावजूद उन्हें कार दे दी. वह तो खुश हो जायेगा लेकिन अगली बार किसी दूसरे दोस्त के मांगने पर आपने मना कर दिया तो उसे लगेगा कि आप पहले दोस्त से ज्यादा दोस्ती निभा रहें हैं उससे नहीं. इस वजह से दोस्ती में दरार पड़ जाएगी. इसलिए मदद करने से पहले सोच लें कि अगर आपने आज ऊँगली दिखाई तो कल आपका हाथ भी पकड़ा जा सकता है उसके लिए तैयार रहें.

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