स्मार्ट फोनों ने लोगों की दुनिया को बदल दिया है. अब जिसे देखो वह फेसबुक या व्हाट्सऐप गु्रप पर लगा है और हर 2 सैकंड के बाद बजती बीप सुन कर उसे लगता है कि वह दुनिया में अकेला नहीं, कोई उसे जानता है, उसे सुनता है. कहने को गालिब खयाल अच्छा है पर सच यही है कि मोबाइल की दुनिया ने आप को स्क्रीन के अंदर कैद कर दिया है. और चाहे खिड़की के बाहर दुनिया नजर आए, यहां नजर उठा कर देखोगे तो सिर्फ कमरे की सपाट सुनसान दीवारें नजर आएंगी.
अनजान या जानेपहचाने लोगों को अपने सैल्फी, रेस्तरां में खाने के, कहीं घूमने के, बच्चों के फोटो भेजने के या घिसेपिटे चुराए गए मैसेज फौरवर्ड कर के जो दुनिया बनाई जा रही है वह सैकंडों तक स्क्रीन तक रहने वाली है, ठोस नहीं. दुनिया को हिला डालने वाले मैसेज भेजने वाले आप को जरूरत पड़ने पर नजर नहीं आएंगे, क्योंकि वे अपनेआप में इतनेव्यस्त हैं कि उन्हें आप की समस्याओं को शेयर करने की नहीं, अपनी भड़ास निकालने की आदत पड़ गई है.
दूसरों की जिंदगी में झांकने का मजा है पर जब दूसरे केवल अपने बारे में अपनी बड़ाई दिखाएं तो केवल कंपीटिशन हो सकता है कि स्क्रीन, स्क्रीन, हू इज फेयरस्ट औफ आल. मोबाइल स्क्रीन अब यह कहने के काम आ रही है कि मैं ने यह किया, वह किया, मुझे यह मैसेज अच्छा लगता है, वह अच्छा लगता है.यानी मैं ही मैं. दूसरों के मैसेजों को सैकंडों में डिलीट करने वाले यह गलतफहमी पाले रखते हैं कि उन के भेजे गए मैसेज महीनों दोस्तों, रिश्तेदारों या अनजानों के स्क्रीन पर सुरक्षित रहेंगे. जबकि सच तो यह है कि व्हाट्सऐप और फेसबुक का डिजाइन ही ऐसा है कि कुछ मिनटों में आप का भेजा गया संदेश दूसरों के संदेशों के नीचे दब गया.
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