Geeta Kapur : 17 साल की उम्र से बतौर कोरियोग्राफर अपना डांसिंग करियर शुरू करने वाली गीता कपूर जिन्हें लोग डांस की दुनिया में गीता मां भी बोलते हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी में कड़ा संघर्ष देखा है, उनकी जिंदगी गरीबी में बीती है . 10 /10 की खोली अर्थात छोटे से कमरे में अपना जीवन गुजारने वाली गीता मां ने पुरुष प्रधान समाज में अपने टैलेंट के जरिए अपना वर्चस्व स्थापित किया है.
गरीबी क्या होती है और गरीबों का लोग कैसे फायदा उठा सकते हैं, यह गीता मां से अच्छा कोई नहीं जान सकता. क्योंकि 51 वर्षीय गीता कपूर जिन्होंने बतौर असिस्टेंट कोरियोग्राफर फराह खान के साथ अपना संघर्षमय सफर शुरू किया था. उनकी मां जो उनकी पहली टीचर है, ने बताया था गुड और बैड टच क्या होता है, लोगों को कैसे परखा जाता है, पुरुष प्रधान समाज में स्थापित होने के लिए क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए , गीता कपूर की मां ने जो उनकी जिंदगी की पहली टीचर है ने उनको बहुत कुछ सिखाया है.
गीता मां के अनुसार मेरी मां मेरी पहली टीचर है जिन्होंने मुझे समाज में कैसे जीना है, कैसे रहना है आदि कई बातों की शिक्षा दी. मेरी मां ने मुझसे भी ज्यादा गरीबी देखी है और उनको जिंदगी का तजुर्बा, लोगों का मुखौटा वाला चेहरा, अच्छाई और बुराई की जानकारी बहुत अच्छे से है. इसलिए जब मैंने अपना करियर शुरू किया उस वक्त मैं बहुत छोटी थी, तब मेरी मां ही थी जिसने मुझे सही गाइड किया , गुड टच और बेड टच का फर्क बताया, लोगों को परखने की जानकारी दी, मेरी मां के अनुसार दुनिया में सब बुरे नहीं होते तो सब अच्छे भी नहीं होते, हमें सिर्फ यह देखना है कि हम किन के साथ काम कर रहे हैं. पैसे से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है मानसिक सुकून. इसलिए ऐसे ही लोगों के साथ काम करो जहां तुम पूरी तरह सुरक्षित हो. साथ ही सतर्क रहो ताकि तुम्हारा कोई फायदा ना उठा सके.
अपनी मां की दी हुई शिक्षा ने कामयाब बनने में ही नहीं, अच्छा इंसान बनने में भी पूरी मदद की है. मेरी मां ने मुझे बनाने के लिए अपने बारे में भी कभी नहीं सोचा. वह एक ग्रेट लेडी है मैं उनसे बहुत प्यार करती हूं.