फिल्म ‘तुझे मेरी कसम’ से बतौर सोलो हीरो कैरियर शुरू करने वाले रितेश देशमुख को बहुत जल्दी अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने अपना ट्रैक बदलते हुए ‘मस्ती’, ‘मालामाल वीकली’, ‘ब्लफ मास्टर’, ‘गोलमाल’, ‘कैश’, ‘अपना सपना मनीमनी’, ‘अलादीन’ जैसी मल्टीस्टारर और कौमेडी फिल्में कर अपना नाम व पहचान बनाई. मगर पिछले दिनों फिल्म ‘एक विलेन’ में विलेन के किरदार के अलावा स्वनिर्मित व निशिकांत कामत द्वारा निर्देशित मराठी भाषा की फिल्म ‘लय भारी’ में ठीक उस के विपरीत कौमर्शियल हीरो के डबल रोल में न सिर्फ नजर आए, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि वे किसी भी तरह के किरदार को निभाने में सक्षम हैं.

पेश हैं, रितेश देशमुख से हुई गुफ्तगू के अंश:

आप ने जब मराठी भाषा की फिल्म ‘लय भारी’ में अभिनय किया, तब मराठी भाषा को ले कर समस्या आई होगी?

‘लय भारी’ में 2 तरह की मराठी भाषा थी. एक ब्राह्मणप्रधान पुणे की मराठी बोलचाल की भाषा थी तो दूसरी गांव वाली मराठी थी. गांव वाली मराठी भाषा का जो लहजा था, वह मेरे गांव यानी लातूर का था. उस का टोन मुझे पता था. पर दूसरी ब्राह्मणप्रधान भाषा से मेरा परिचय नहीं था, इसलिए इसे मैं सैट पर निर्देशक निशिकांत कामत से सीखता था.

आप ने मराठी भाषा में 3 फिल्में बनाईं. अब आगे की क्या योजना है?

मैं ने मराठी भाषा में सब से पहले बच्चों की फिल्म ‘बालक पालक’ बनाई, फिर ‘येलो’ बनाई. उस के बाद कौमर्शियल फिल्म ‘लय भारी’ बनाई. अब चौथी फिल्म ‘माउली’ बना रहा हूं. इस फिल्म का भी निर्देशन निशिकांत कामत ही कर रहे हैं. यह भी एक ऐक्शन फिल्म होगी, जिस में मैं ही अभिनय करने वाला हूं.

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