यूरोप या अमेरिका में परमानैंट बसने और ग्रीन कार्ड या नागरिकता लेने के लिए बहुत से भारतीयों के वहां की निवासी लड़कियों या औरतों से विवाह करने की बातें सुनी जाती हैं पर कोई 68 साल की ब्रिटिश नागरिक औरत 21 साल के भारतीय लड़के से विवाह कर के भारतीय नागरिकता लेना चाहे तो यह भौंहें चढ़ाने वाला काम तो है पर इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश के 21 वर्ष के हृदयनाथ को 68 वर्षीय जोन पामेला गुलविन से ‘प्रेम’ हो गया और दोनों ने स्पैशल मैरिज ऐक्ट में शादी करने के लिए दिल्ली की विवाह अदालत में अर्जी दी. इस तरह की अर्जियों पर पुलिस वैरिफिकेशन होती है. क्यों होती है, यह स्पष्ट नहीं है. जब हजारोंलाखों पंडों, मौलवियों, पादरियों, ग्रंथियों द्वारा कराए गए विवाहों पर कोई वैरिफिकेशन नहीं होती तो स्पैशल मैरिज ऐक्ट के अंदर विवाह करने पर पुलिस का दखल अनैतिक, सरकारी मनमानी, रिश्वत वसूलने का तरीका और विवाह में अड़चन डालने वाला काम है.इस वैरिफिकेशन में देर हो रही थी और जोन का वीजा समाप्त हो रहा था तो मामला उच्च न्यायालय में गया जहां अदालत ने और जटिल सवाल पूछने शुरू कर दिए. अदालत को शक होने लगा कि यह मामला कहीं ह्यूमन ट्रैफिकिंग का तो नहीं.विवाह के बाद पतिपत्नी को एकदूसरे पर हक भी मिलते हैं और समाज व कानून दोनों को कई सम्मिलित अधिकार भी देता है पर यह समझौता प्यार का है और इस पर ज्यादा सवाल उठाना गलत है, चाहे यह समझौता कई बार गलत काम के लिए इस्तेमाल क्यों न हो. घर में चूहे हों तो उन से छुटकारा पाने के लिए घर में पैट्रोल डाल कर आग तो नहीं लगाई जाती.
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