कुछ अरसा पहले गुड़गांव स्थित पारस अस्पताल में एक दुर्लभ मामला तब सामने आया जब 32 वर्षीय पूजा हांडा को पेट में तेज दर्द और योनि से अनियमित रक्तस्राव के चलते अस्पताल लाया गया. जांच करने पर उस में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का पता चला. इस समस्या की पहचान करने में 1 माह का समय लग गया. 1 महीना पहले उस की एमटीपी कराई गई. तब वह 7 सप्ताह की गर्भवती थी. एमटीपी के पहले ही उसे पैल्विक क्षेत्र में दर्द था और सर्जरी के द्वारा गर्भपात करने के बाद भी उसे दर्द रहता था. इस स्थिति में यूटरस और फैलोपियन ट्यूब में प्रैगनैंसी एकसाथ होती है. इसलिए संभवतया इस डायग्नोसिस के बारे में नहीं सोचा जाता है.
हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी है क्या
हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी एक असामान्य अवस्था है, जिस में 2 या 3 से अधिक गर्भधारण एक ही समय पर अलगअलग स्थानों यानी गर्भाशय के भीतर और बाहर दोनों जगह हो जाते हैं. हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के मामले बहुत ही कम देखने को मिलते हैं. भारत में 10 से 30 हजार गर्भवती महिलाओं में से 1 को यह समस्या होती है. अमेरिका और पश्चिमी देशों में जरूर लगभग 2% महिलाओं में यह समस्या पाई जाती है. हाल ही में हुए कई अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस प्रकार के मामले असिस्टेड रिप्रोडक्शन आईवीएफ में अधिक देखे गए हैं. आईवीएफ के दौरान हाइड्रोस्टैटिक प्रैशर उत्पन्न होता है, जिस से भू्रण को गर्भाशय में हस्तांतरित करने के दौरान खतरा और अधिक बढ़ने की आशंका बनी रहती है. पिछले कुछ वर्षों से हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, क्योंकि गर्भधारण के लिए आईवीएफ और दूसरी असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीकों का उपयोग काफी बढ़ रहा है.
बढ़ जाता है मृत्यु का खतरा
आंकड़ों के अनुसार गर्भावस्था और प्रसूति के दौरान होने वाली कुल मौतों में से 10 से 15% का कारण हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी है. चूंकि इस का डायग्नोसिस कठिन होता है, इसलिए इस के कारण होने वाला रक्तस्राव घातक साबित होता है.
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कारण
हाल में हुए सर्वेक्षणों के अनुसार उन महिलाओं में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी होने का खतरा 35% होता है, जिन में पहले भी यह समस्या हुई हो. 31% में श्रोणि सूजन की बीमारी पहले से हो सकती है. 33% महिलाओं में जिन की पहले पुनर्निर्माण ट्यूबल सर्जरी हुई होती है उन में भी इस की आशंका बढ़ जाती है. वैसे हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के अधिकांश मामले असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीकों से ही संबंधित होते हैं. इस के अलावा उन महिलाओं में भी इस की आशंका बढ़ जाती है जो तंबाकू का सेवन करती हैं.
लक्षण
पेट के निचले भाग में दर्द हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का सब से सामान्य लक्षण है. योनि से रक्तस्राव और पेट की बाईं ओर दर्द होना भी इस का लक्षण है. कई महिलाओं में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के कारण आंतरिक रक्तस्राव भी होता है.
रिस्क फैक्टर्स
निम्न परिस्थितियां हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के खतरे को बढ़ा देती हैं:
- जिन महिलाओं में पहले भी हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी हुई हो.
- संक्रमण जिस के कारण फैलोपियन ट्यूब की सामान्य अवस्था गड़बड़ा जाती है. इस के कारण फैलोपियन ट्यूब्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं या उन में रुकावट आ जाती है, जिस से हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का खतरा बढ़ जाता है.
- फैलोपियन ट्यूब्स का ट्यूमर भी महिलाओं में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का खतरा बढ़ा देता है.
- पैल्विक क्षेत्र का संक्रमण भी इस का खतरा बढ़ा देता है.
- कई लोगों से शारीरिक संबंध होने के कारण भी संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.
- गर्भधारण के समय में सिगरेट पीने से भी हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी की आशंका बढ़ जाती है.
डायग्नोसिस
हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का डायग्नोसिस ब्लड हारमोन टैस्ट और पैल्विक अल्ट्रासाउंड के द्वारा किया जाता है. पैल्विक क्षेत्र में होने वाले दर्द और प्रजनन की उम्र में रक्तस्राव की कभी अनदेखी न करें. कोई भी गर्भवती चाहे वह प्राकृतिक रूप से गर्भवती हुई हो या असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी के द्वारा, अगर वह पेट दर्द की शिकायत करती है तो जो विभिन्न डायग्नोसिस किए जाते हैं उन में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी की संभावना का भी ध्यान रखना चाहिए.
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उपचार
इस का उपचार सर्जरी और दवाओं दोनों के द्वारा किया जाता है. हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के लिए पारंपरिक सर्जरी के बजाय लैप्रोस्कोपी सर्जरी ही डाक्टर और मरीज की प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इस में रक्तस्राव और दर्द कम होता है. फिर अस्पताल में भी अधिक दिनों तक नहीं रहना पड़ता. ठीक होने में भी कम समय लगता है और खर्च भी अधिक नहीं आता.
-डा. नुपुर गुप्ता
कंसलटैंट ओब्स्टिट्रिशन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट, पारस अस्पताल, गुड़गांव