हम सब जानते हैं कि जिंदगी 4 दिनों की नहीं, जिसे यों ही बरबाद कर दिया जाए. जिंदगी तो एक खूबसूरत नगमा है, जिसे यदि सुरों के साथ गुनगुनाया जाए तो हमारे साथसाथ आसपास का माहौल भी खुशनुमा हो जाएगा. तो 4 साल के अंतराल पर आने वाले इस लीप ईयर में जिंदगी के सुरों को पहचानने और उसे खूबसूरती व पूर्णता के साथ जीने के लिए ये
4 बातें जरूर याद रखें:
ब्रेकअप ब्लूज को कहें बायबाय
जिंदगी में हर किसी को कभी न कभी प्यार जरूर होता है. यह प्यार जीवन में बेहतरी और पूर्णता के लिए हो तो बहुत अच्छा, मगर जब यह आंसुओं का सबब बनने लगे तो इस से किनारा कर लेना ही बेहतर है. कई दफा न चाहते हुए भी हमें ब्रेकअप का दर्द सहना पड़ता है. बात जो भी हो पर इस दर्द को खुद पर कभी हावी न होने दें.
नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 3.2% लोग प्यार में असफलता की वजह से आत्महत्या करते हैं. प्यार में असफलता या रिजैक्शन डिप्रैशन की वजह बनती है. 2012 में 2,023 पुरुषों ने तो 1,826 महिलाओं ने इस वजह से आत्महत्या की.
गो अहैड: जिसे आप ने चाहा वह आप का नहीं हो सका, तो उस के लिए परेशान न हों. जिंदगी ने जरूर आप के लिए कुछ और अच्छा सोच रखा है.
एक झटके में उसे अपनी जिंदगी से बाहर कर दें. शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी. इस के लिए उस से जुड़ी सारी यादों से नाता तोड़ने का प्रयास करें. उस की तसवीरें, खत, उपहार वगैरह को नष्ट कर दें या फिर लौटा दें. यही नहीं, अपने गैजेट्स से भी उस के संपर्कसूत्र पूरी तरह खत्म कर दें.
अब ऐसे ऐप्स उपलब्ध हो गए हैं, जो इस कार्य में आप की मदद करेंगे.
हाल ही में सोशल नैटवर्किंग वैबसाइट, फेसबुक रिश्तों में खटास पड़ने या रिश्ता खत्म होने की स्थिति में आप के दर्द को कम करने के लिहाज से नया टूल ले कर आया है. फेसबुक के इस नए ब्रेकअप टूल से बिना ब्लौक किए आप के ऐक्स की कोई पोस्ट न्यूज फीड पर नहीं दिखेगी और नया मैसेज आने या फोटो पोस्ट होने पर ऐक्स का नाम भी नहीं दिखेगा. इस से आप को उसे भूलने में सुहूलत होगी.
सच्चे प्यार का इंतजार करें: अपनी जिंदगी में किसी और के आने का रास्ता खुला रखें. प्यार एहसासों का कारवां साथ ले कर आता है. जीवन को सुनहरे रंग देता है. जबकि प्यार की कमी इनसान के मन में सूनापन भर देती है और यह स्थिति जिंदगी के प्रति नकारात्मक रवैया पैदा करती है. इसलिए स्वयं को इस से बचाएं. बिना शर्तों के प्यार करें.
गले लगाएं जिंदगी को: जिंदगी आप के दामन में खुशियों के फूल तभी गिराती है जब आप हंस कर उसे गले लगाते हैं. मन में उत्साह, सकारात्मकता और स्नेह के दीप जलाए रखें. हर किसी से खुल कर मिलें. अपने कंफर्ट जोन से बाहर आएं, जीवन को नए मकसद दें, अच्छे दोस्त बनाएं, फिर देखिए, जिंदगी कैसे कदम से कदम मिला कर चलती है.
अमेरिका की टीवी ऐंकर, एक्टीविस्ट अश्वेत अरबपति ओपरा विनफ्रे के शब्दों में, ‘‘जितना ज्यादा आप अपनी जिंदगी की तारीफ करेंगे और जश्न मनाएंगे, उतने ही ज्यादा जिंदगी में उत्सव मनाने के मौके आएंगे.’’ प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक अरस्तू के मुताबिक, ‘‘यदि आप चाहते हैं कि सब कुछ वैसा ही हो जैसा आप चाहते हैं, तो अपनी सोच को बदल दो, सब कुछ बदल जाएगा.’’
याद रखें, आप के पास जितना है, बहुत है. ऐसे लोगों की कमी नहीं, जिन्हें जिंदगी ने शारीरिक अपंगता, गरीबी और बदहाली दी, फिर भी उन्होंने नए कीर्तिमान स्थापित किए.
क्या आप जानते हैं कि आर्थिक परेशानी से जूझने वाले धीरूभाई अंबानी रिलायंस कंपनी को स्थापित कर के भारत के सब से अमीर व्यक्ति बने. लेखक मिल्टन और कवि सूरदास अंधे थे, म्यूजिक राइटर बीथोवन बहरे थे, इंगलैंड के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल हकलाते थे, दार्शनिक सुकरात की बीवी ने उन्हें आजीवन परेशान रखा. यदि वे चाहते तो ‘हम कुछ नहीं कर सकते’ का राग अलापते रहते.
जिंदगी के माने समझें: जिंदगी किसी एक रिश्ते या व्यक्ति पर आश्रित नहीं. जिंदगी मिली है एक मकसद के लिए, यह भूलें नहीं. अपनी जिंदगी का कोई मकसद तय करें और फिर उसे पाने के लिए स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर दें.
योजना
जिंदगी में योजनाओं की बहुत अहमियत है. हर काम योजनानुसार हो, तभी जिंदगी में सुकून रहता है. मानसिक योजनाबद्धता: मन को नियंत्रित रखना, उसे निश्चित दिशा में पूर्व योजनानुसार एकाग्रचित्त करना, सकारात्मक भावों से पोषित करना, अधिकतम ऊर्जा के प्रयोग हेतु तैयार करना, मानसिक योजनाबद्धता के तहत आते हैं. लेखक विलियम शैक्सपीयर के शब्दों में, ‘‘कोई भी चीज अच्छी या बुरी नहीं होती. हमारे सोचने का नजरिया ही उसे अच्छा या बुरा बनाता है.’’ भावी जीवन की योजनाएं: जीवन का हर पल अहम है. आने वाला वक्त वर्तमान पलों की दहलीज पर खड़ा है. तो क्यों न आज ही से कल को संवारने की नींव डाली जाए. आप का यह प्रयास मन को सुकून और जीवन को स्थिरता देगा.
वित्तीय योजना: डा. हर्षला चांडोरकर, सीनियर वाइस प्रैसिडैंट सिबिल के अनुसार, हमेशा लोन ईएमआई का भुगतान समय पर करें. अपने लोन की सभी ईएमआई और क्रैडिट कार्ड के खर्च पर नजर रखें और लोन का भुगतान करने व क्रैडिट कार्ड के बिल चुकाने के लिए हर महीने ऐडवांस में पूंजी निकाल कर रखें. सुनिश्चित करें कि आप अपने क्रैडिट कार्ड बिलों और लोन ईएमआई का भुगतान माह दर माह तय तिथि से पहले करते हैं.
भविष्य के लिए बचत: भविष्य के आप के क्या सपने हैं और आप क्या करना चाहते हैं, इस का एक रोडमैप तैयार करें, फिर अपने खर्चों और लोन भुगतान का नियोजन सावधानीपूर्वक करें. व्यवस्था हर जगह जरूरी: घर हो या औफिस या कहीं और, खुद को और अपनी चीजों को व्यवस्थति रखना बहुत जरूरी है. इस से न सिर्फ आप का समय बचता है वरन बेकार के तनाव से भी दूर रहती हैं. अपनी प्रत्येक चीज इस तरह करीने से व्यवस्थित रखें कि जब भी जरूरत हो आप मिनटों में उसे निकाल सकें वरना कुछ लोगों का आधा वक्त तो अपना सामान खोजने में ही निकल जाता है.
पहले स्वयं को आंकें
अकसर हम छोटीछोटी बातों पर दूसरों से नाराज होते रहते हैं और ऐसे समय में हमारे दिमाग में बस यही चलता रहता है कि सामने वाले ने हमारे साथ क्याक्या गलत किया. पर ऐसी स्थिति में हमें पहले स्वयं को आंकना चाहिए, फिर दूसरों को. ठंडे दिमाग से सोचें: किसी पर नाराज होना बहुत आसान है. जब हमें किसी बात पर गुस्सा आता है, तो अंदर तक शरीर में हड़कंप मच जाता है. क्रोध चिता समान है. यह शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाता है, मगर हम इस बात से इत्तफाक नहीं रखते.
हमें तुरंत आवेग में आने के बजाय ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए. हो सकता है सचाई जान कर आप को लगे कि बेवजह ही गुस्सा किया था और यदि गुस्सा बेवजह नहीं था तो भी जल्द ही सामने वाले को क्षमा कर नाराजगी भूल जानी चाहिए. जितनी अधिक देर तक आप गुस्से में रहेंगे, शरीर को उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचेगा. नसीहत देने से पहले स्वयं उस पर अमल करें: जिंदगी में दूसरों को नसीहत देना बहुत आसान होता है, मगर क्या आप ने ध्यान दिया है कि उन में से कितनी बातों पर आप स्वयं अमल करती हैं?
मान लीजिए, आप अपने बच्चे से कहती हैं कि झूठ बोलना गलत है, मगर स्वयं बेबात झूठ बोलती हैं. तो क्या आप का बच्चा आप की बात मानेगा? जब तक प्रैक्टिकली आप उसे वैसा ही कर के नहीं दिखाएंगी, भला वह आप की बात क्यों सुनेगा? दूसरों को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति त्यागें: हम में से ज्यादातर लोगों को आदत होती है कि दूसरों के अवगुण तो बढ़ाचढ़ा कर दिखाना जानते हैं, मगर अपनी गलतियों पर गौर नहीं करते. हम सोचते हैं कि फलां व्यक्ति ने हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया या झूठ बोला अथवा स्वार्थी रवैया अपनाया. मगर क्या हम ने व्यक्तिगत स्वार्थ त्याग कर उस की मदद की या कभी उस का साथ दिया, जो उस से कोई अपेक्षा रख रहे हैं?
विवादों की जड़ में आप ही तो नहीं: कभी आप ने यह गौर किया है कि आप की जिंदगी में किसी के साथ विवाद हो रहे हैं, उस की जड़ में कौन है? कहीं वह आप ही तो नहीं? किसी को गलत ठहराने या बुराभला कहने में एक पल भी नहीं लगता. मगर अपनी गलती स्वीकारने और क्षमा मांगने में पूरा जीवन भी कम पड़ जाता है.
देना सीखें
क्या आप ने कभी सोचा है, जिंदगी में आप दूसरों से कितना कुछ लेते हैं. मांबाप, रिश्तेदार दोस्तों से प्यारदुलार, समय, पैसा, भोजन, कपड़ा, जरूरत के वक्त सहयोग, सुरक्षा. समाज भी आप को सुरक्षित माहौल और व्यवस्था देता है. मगर जब कभी इन्हें कुछ देने की नौबत आती है, तो हम झिझकते हैं.
प्यार और खुशियां बांटें: जिस तरह बगैर कुछ सोचे हम लेते हैं, क्या उन के लिए कुछ सोचना हमारा फर्ज नहीं? कभी किसी को बिना स्वार्थ कुछ दे कर देखिए, खुशी का एक अलग एहसास आप के मन को महकाएगा. समय भी दें: व्यक्ति को आर्थिक या शारीरिक के साथसाथ मानसिक मदद की भी जरूरत होती है. जब आप किसी को यह एहसास दिलाते हैं कि आप हमेशा उस के साथ हैं, उसे भावनात्मक सपोर्ट दे रहे हैं, तो उस व्यक्ति के साथ आप का जो कनैक्शन जुड़ता है वह कभी टूटता नहीं. वह व्यक्ति भविष्य में आप की खुशियों की वजह बनता है. आप का दायरा बढ़ता जाता है और जीवन में आप कभी अकेले नहीं रहते.
एहसान जता कर न करें: किसी को कुछ दे रहे हैं, किसी तरह की मदद कर रहे हैं, तो कभी इस बात का एहसान न जताएं. इस बात की अहमियत नहीं होती कि आप कितना दे रहे हैं, अहमियत इस बात की होती है कि कितने प्यार और अपनत्व के साथ दे रहे हैं.
अपेक्षा न रखें: किसी को कुछ दे रहे हैं, तो यह जरूर याद रखें कि इस के बदले कुछ पाने की इच्छा आप के मन में न हो. दरअसल, जब आप मन में अपेक्षा रखते हैं और किसी वजह से वह व्यक्ति उसे पूरा नहीं करता तो आप का मन बहुत दुखता है. इस के विपरीत यदि आप कोई अपेक्षा ही नहीं रखते तो आप का मन शांत बना रहता है और यह जीवन को खुशहाल रखने के लिए जरूरी है.