वास्तव में, एक व्यक्ति को रिटायरमेंट को एक विशेष लक्ष्य के तौर पर लेना चाहिए और उसके हिसाब से निवेश करना चाहिए. अपनी भविष्य निधि (पीएफ) के समान ही अपने पहले वेतन के समय से ही आप को म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश करना चाहिए.

इक्विटी फंड में सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) नियमित एवं अनुशासित बचत का मार्ग प्रशस्त करती है और साथ ही साथ दीर्घकालिक तौर पर उच्च स्तरीय रिटर्न प्रदान कर मंहगाई से निजात पाने में सहायता करती है.

जैसे वेतन बढ़ने पर पीएफ की राशि में बढ़ोतरी होती है, वैसे ही वेतन बढ़ने पर एसआईपी में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए. एक व्यक्ति को पीएफ एवं एसआइपी दोनों में समान योगदान करने की नीति अपनानी चाहिए (नियोक्ता व कर्मचारी दोनों द्वारा).

वास्तव में इन राशियों में जितनी ही वृद्धि होगी, रिटायरमेंट के बाद उतना ही सुख प्राप्त होगा. एसआईपी के अतिरिक्त व्यक्ति को इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए एक इक्विटी फंड में वार्षिक बोनस, इंसेंटिव के एक भाग का भी निवेश करना चाहिए.

बचत के एक हिस्से को ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) फंड में निवेश करना चाहिए, जो वर्तमान समय में आयकर अधिनियम, 1961 के अनुभाग 80 सी के अंतर्गत कर में छूट प्रदान करता है. यह आप के रिटायरमेंट के लिए एक और अच्छी बचत हो सकती है.

कैसे लगाएं रिटायरमेंट कोष का अनुमान

वास्तविक रिटायरमेंट कोष का पूर्वानुमान लगाना कई बार मुश्किल लगता है, लेकिन एक अनुमानित महंगाई दर के आधार पर आप अपने वर्तमान खर्चे को नियंत्रित कर सकते हैं और आप को इस आधार पर रिटायरमेंट के लिए आवश्यक कोष की अनुमान लगा सकते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...