“पचपन खम्भे लाल दीवार’ धारावाहिक से अपने अभिनय कॅरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता अमन वर्मा को छोटे पर्दे पर पहचान गेम शो ‘खुल जा सिम-सिम’ से मिली. इसके बाद उन्होंने ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कुमकुम’, ‘तीन बहूरानियाँ’, ‘बिगबौस’, आदि कई धारावाहिकों और रियलिटी शो में काम किया.
टीवी के साथ-साथ उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किये जिसमें ‘संघर्ष’, ‘बागबान’, ‘कोई है’, ‘जानेमन’,‘प्राण जाये पर वचन न जायें’ आदि फिल्में है.उन्होंने एक बांग्ला और दो पंजाबी फिल्में भी की है.
करीब 30 सालों तक इंडस्ट्री में काम कर चुके अमन वर्मा एक बार ‘कास्टिंग काउच’ में भी फंसे. जिसका असर उनके कॅरियर पर पड़ा. वे कई सालों तक छोटी-मोटी भूमिका निभाकर ही संतुष्ट रहे. वे अपने व्यवहार की वजह से कई बार सुर्खियों में आएं लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी इमेज को ठीक किया.
वे मानते है कि जितनी प्रसिद्धि उन्हें मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली, क्योंकि कई बार सफलता को सम्हालना मुश्किल होता है, वह सिर चढ़ जाती है. लेकिन अब वे उस बारें में अधिक नहीं सोंचते और आगे बढ़ जाना पसंद करते है.
अभी वे जी टीवी पर धारावाहिक ‘एक माँ जो लाखों के लिए बनी अम्मा’ में शेखरन शेट्टी की भूमिका निभा रहे है. अमन उसी गेटअप में हमारे सामने आए और हमारी बात हुई. पेश है कुछ अंश.
प्र. इस शो से जुड़ने की वजह क्या है?
यह शो अलग है. इसमें मेरी भूमिका एक साउथ इंडियन व्यक्ति की है जो 10 साल की उम्र में मुंबई पहुचा था, कैसे वह मुंबई का ‘रोबिनहुड’ बन जाता है, अमीरों से पैसा छीनकर वह गरीबों को दे देता है. मेरा ये चरित्र कुछ लोगो के लिए पॉजिटिव तो कुछ के लिए नेगेटिव लगेगा.
इसमें मैंने अपने आवाज को नीचा कर अपना अलग लुक दिया है. इसके लिए मैंने कई तमिल औए तेलगु वर्ड्स उठाएं है, ‘नायकन’ और ‘दयावान’ जैसी फिल्में देखी हैं. कई एक्टर के अभिनय को देखा है कि कैसे कोई दक्षिण भारतीय व्यक्ति हिंदी बोलता है उसे पकड़ने की कोशिश की है. ये सब करने में खूब अच्छा लगा. उम्मीद है सबको मेरा काम पसंद आयेगा. एक एक्टर के नाते हम चाहते है कि लोग हमारे अभिनय को पसंद करें.
प्र. किसी किरदार से बाहर निकलना कितना मुश्किल होता है ?
ये मुश्किल अवश्य है, जब मैं ‘न आना इस देश लाडो’ कर रहा था तो लगता था कि मैं अब हरियाणवी में ही बात न करने लगू, क्योंकि कोई भी चरित्र धारावाहिकों में काफी समय तक करना पड़ता है. थोड़ा समय लगता है पर आप कलाकार है तो आपको चरित्र से निकलना आना चाहिए.
प्र. तनाव होता है तो क्या करतें हैं?
तनाव होने पर मैं ‘जिम’ में चला जाता हूँ और तब तक दौड़ता हूँ जब तक कि मेरा तनाव कम न हो जाए .इससे मेरा तनाव पसीने के रूप में बाहर निकल जाता है.
प्र. इतने सालों में अपने आप में और इंडस्ट्री में क्या बदलाव महसूस करते है ?
मैंने काफी बदलाव देखा है पहले जो टीवी धारावाहिक बनाता था निर्माता, निर्देशक सोचते थे कि कौन सी धारावाहिक बनानी है लेकिन जबसे इतने सारे चैनल आ गए है तब से चैनल ही निर्णय लेता है कि कौन सी धारावाहिक बनेगी, थोड़े दिनों बाद ये भी वे ही सोंचने लगे कि एक्टर कौन होगा, फिर निर्देशक का चुनाव भी वे ही करने लगे अभी तो टेबल के कपड़े, सेट, पोशाक, यहाँ तक कि कहानी भी क्या होगी वे ही सोंचते है. इस तरह छोटी-छोटी बातें अब वे ही निर्णय लेने लगे है.
टीवी अब पूरी तरह से बदल चुकी है. कॅन्टेंट की अगर बात करें तो टीआरपी के अनुसार कहानी जाती है, आजकल नागिन, भूत-प्रेत, चुड़ैल, मक्खी सब चल रहा है, क्योंकि दर्शक देख रहे हैं और टीआरपी बढ़ रही है. लेकिन एक अच्छा एक्टर हमेशा अच्छा ही रहेगा और अच्छे एक्टर की जरुरत उन्हें हमेशा रहेगी.
मैं ‘ग्रो’ तो हुआ हूँ पर लगता है कि और भी आगे जाने की जरुरत थी वह संभव नहीं हो पाया. जगह तो इतनी बनाई है कि आज वह रोल मेरे पास आते है जिसे कम से कम पांच लोगो ने करने से मना किया हो तब डायरेक्टर इतना समझ लेता है कि मैं ही हूँ जो इसे कर पाउँगा और वे मेरे पास आ जाते है.
प्र.क्या आप अपनी कॅरियर से संतुष्ट है?
नहीं, मुझे अवश्य और आगे जाना चाहिए था. लेकिन मैं उसके बारे में सोचकर बैठ नहीं सकता. हाँ अगर किसी नामचीन एक्टर के घर में पैदा हुआ होता तो मुझे आगे बढ़ने में अधिक मदद मिलती. मैं दिलीप कुमार से काफी प्रभावित हूँ. ये सही है कि टीवी पर काम करते हुए आपकी फिल्मों से दूरी बन जाती है पर इस इंडस्ट्री में आप कभी भी इत्मिनान नहीं हो सकते कि आपने जो फिल्म की है वह चलेगी अगर नहीं चली तो आप घर बैठ गए और वह मुझसे नहीं हो सकता इसलिए मुझे जो काम मिला मैं करता गया .
प्र.आगे और क्या है ?
दो कोमेडी फिल्में ‘आई एम नॉट देवदास’ दूसरी ‘डांस में मेरी लग गई ’इसके अलावा एक और शो करने वाला हूँ.
प्र.क्रिएटिव लोग रिश्ते निभाने में असमर्थ क्यों होते है ?
जब दूसरा व्यक्ति आपके जीवन में आ जाता है तो बहुत सारी बातें जो पहले आप खुले दिमाग से सोंच सकते थे वह नहीं हो पाता वे एक बंधन में बंध जाते हैं और वे ये नहीं चाहते कि कोई उसे बांधे. लेकिन ऐसा नहीं है बहुत सारे ऐसे भी है जिन्होंने शादी की है और सुखी है.
प्र.आपने जीवन में आए कंट्रोवर्सी को कैसे लिया?
मेरे साथ ‘स्टिंग ऑपरेशन’ हुआ था ,उस समय गोविंदा और सलमान खान ने मेरा साथ दिया. उन्होंने सलाह दी थी कि मैं अपना काम करूँ, इन बातों पर अधिक ध्यान न दूँ. मैंने वैसा ही किया. मैं बहुत अपसेट था, पर धीरे-धीरे सब ठीक हुआ. कॅरियर पर इतना असर हुआ था कि निगेटिव रोल मिलने लगे थे.
प्र. यूथ जो दूसरे शहरों से यहाँ अभिनय के लिए चले आते है उनके लिए क्या मेसेज देना चाहते है?
कोई भी शॉर्टकट रास्ता नहीं होता, अगर आपमें अभिनय की प्रतिभा है और वैसा प्रूव हुआ है तो मेहनत करें. अगर नहीं तो कामयाबी हर क्षेत्र में मिलती है उसे चुने जो प्रतिभा आप में है.
प्र. क्या इंडस्ट्री में ग्लैमर, सफलता और पैसे को सम्हालना मुश्किल होता है?
वाकई मुश्किल होती है वहां आपकी फैमिली आती है. अगर फैमिली आपके साथ है आपकी ‘अपब्रिंगिंग’ ऐसी है कि आप किसी भी माहौल को सम्हाल सकते हैं तो कोई समस्या नहीं होती. मुझे याद आता है जब मैं सफल हो रहा था तो मेरा दिमाग भी एक तरह से घूम गया था. इसलिए मैं सोचता हूँ कि हमारे तीनों खान 25 साल से कामयाब है वे कैसे अपने आप को सम्हाले हुए हैं, सालों साल वे बड़े से बड़े होते ही जा रहे है.
प्र.आपकी ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है? क्या निर्माता या निर्देशक बनने की इच्छा है?
बहुत सारी फिल्में है जिसे मैं करना चाहता हूँ, सुनील दत्त की फिल्म ‘मदर इंडिया’, दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ आदि कई फिल्में अगर रीमेक हो तो करना चाहता हूँ. फिल्में या शो बनाना काफी रिस्की होता है चलेगी या नहीं चलेगी ये सोचना पड़ता है. आजकल आप कुछ कह नहीं सकते, ऐसे में बिना सोंचे समझे इस ओर पांव बढ़ाना नहीं चाहता.
प्र.परिवार में कौन-कौन है, जो आपके साथ रहते है?
मेरी माँ दिल्ली में रहती है बहन कोलकाता में है. मेरी एंगेजमेंट वंदना लालवानी के साथ हुई है कुछ दिनों में हम ‘डेट डीसाइड’ करने वाले है, हम इस साल के अंत तक शादी करने वाले है. वह भी इंडस्ट्री से है वह भी एक्ट्रेस है. मैं उनसे एक शो ‘शपथ’ के दौरान मिला था. करीब एक साल से मैं उन्हें जनता हूँ. एक क्षेत्र में रहने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, कई बार एक फिल्ड से होने पर भी वे साथ नहीं रह सकते. कई बार बाहर से आकर भी अच्छी तरह रह लेते है. मेरे हिसाब से वह हर एक व्यक्ति पर निर्भर करता है.