हर इंसान अपने जीवन में कभी ने कभी झूठ का सहारा लेता ही है. कोई अच्छी तरह से झूठ बोलना जानता है तो कोई खराब लेकिन इसका सहारा सब लेते हैं. तो आप व्यक्ति के झूठ को कैसे पहचान सकते हैं? दरअसल, किसी को भी झूठ पकड़ने के लिए किसी खास ज्ञान की जरूरत नहीं होती है. आइए जानें कि जब आपके आस-पास के लोग अगर झूठ बोलें तो आप उन्हें कैसे पहचान सकते हैं.
शारीरिक संकेतों को समझें
झूठे लोग आपसे नजरें मिलाने का दिखावा करेंगे. उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा फ्रीज होगा. वे झूठी हंसी हंसने की कोशिश करेंगे, आवाज धीमी होगी. साइंस ने इसे पकड़ने के अन्य सूचकों के बारे में भी बताया है. तो जब आप धोखे को पकड़ने के विज्ञान, सुनने, देखने की कला को साथ मिला देंगे तो आप खुद को झूठ से दूर रख सकेंगे.
बालों में हाथ फेरना
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि झूठ बोलता है तो वो सामने वाले आंखो में देखकर बात नहीं कर पाता. बात करते समय उसकी नजरें झुकी रहती हैं क्योंकि उसे डर लगता है कि कहीं उसका झूठ पकड़ में ना आ जाए.
आत्मविश्वास में कमी
ईमानदार शख्स की बॉडी लैंग्वेज आत्मविश्वाल से भरपूर होती है. जबकि झूठ बोलने वाला बार-बार अपनी बांह चढ़ाकर बात करता है. उसके पैर या तो अंदर की ओर मुड़े होते है या फिर वह उनका मूवमेंट कम से कम रखता है. उसके हाथ भी अक्सर पीछे बंधे रहते हैं क्योंकि वह अपनी बेचैनी को किसी को दिखाना नहीं चाहता.
चेहरे पर गौर करें
जब आपकों लगता है कि सामने वाला आपसे झूठ बोल रहा है तो उसके फेस को गौर से देखें. झूठ बोलते समय चेहरे के भाव बिल्कुल बदल जाते हैं. झूठ बोलते समय गालों का रंग बदल जाता है, क्योंकि भीतर झूठ के पीछे छिपी चिंता से लोग मन ही मन शर्मिंदा रहते हैं.इसके अलावा नाक के नथुने फूल जाना, गहरी सांस लेना, बार-बार पलकें झपकाना और होंठ चबाना इस बात की निशानी हैं कि दिमाग ज्यादा चल रहा है.
मुस्कुराहट से पकड़ें
मुस्कुराहट भी कई बार सच्ची भावना बयां करने का काम करती हैं. आप किसी का झूठ पकड़ना चाहती हैं तो इस बात पर ध्यान दें कि सामने वाले मुस्कुरा कैसा रहा है. सच्ची मुस्कुराहट होंठों और आंखों से झांकती है,लेकिन झूठे शख्स की आंखों में मुस्कुराहट नहीं होती.
आवाज के बदलाव को पहचानें
हालांकि झूठ बोलने वाला कई बार इतनी सफाई से झूठ बोलता है कि आप उसकी आवाज के उतार-चढ़ाव को पहचान नहीं पाते, लेकिन आप अगर बोलने की गति और सांस के लेने की तरीके पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि झूठ बोलते वक्त इन दोनों में बढ़ोत्तरी होती या कमी. अगर ऐसा है तो संभव है कि आप सच नहीं सुन रहे हैं.