महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक पति ने शादी के सिर्फ 48 घंटे बाद इसलिए अपनी शादी तोड़ दी, क्योंकि पत्नी वर्जिनिटी टैस्ट में फेल हो गई यानी प्यार और विश्वास पर टिकने वाला पतिपत्नी का रिश्ता पत्नी के वर्जिनिटी टैस्ट में पास न होने पर फेल हो गया. हुआ यह कि पंचायत द्वारा दूल्हे को सुहागरात के दिन एक सफेद चादर दी गई और उस से कहा गया कि वह अगले दिन इसे वापस करे. सुहागरात के बाद दूल्हे ने पंचायत को चादर दिखाई, जिस में खून का कोई धब्बा नहीं था. फिर क्या था. पंचायत ने दूल्हे को रिश्ता खत्म करने का आदेश दे दिया.
वर्जिनिटी से ही जुड़ा एक अन्य मामला बैंगलुरु में भी सामने आया, जिस में शादी से करीब 2 माह पहले लड़के ने लड़की से मांग की कि अगर वह वर्जिनिटी टैस्ट कराने को तैयार होती है तभी वह उस से शादी करेगा. लड़की को यह बात बुरी तो लगी, लेकिन वह उस लड़के से विवाह करने के मौके को खोना नहीं चाहती थी. अत: वह टैस्ट के लिए तैयार हो गई.
लड़की टैस्ट में पास हो गई. फिर दोनों की धूमधाम से शादी हो गई. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती है. विवाह के बाद भी लड़के ने लड़की पर शक करना जारी रखा और वह उसे प्रताडि़त करने लगा. लड़के को अभी भी शक था कि लड़की का चरित्र ठीक नहीं है, जबकि वह वर्जिनिटी टैस्ट में पास हो चुकी थी.
रोज की प्रताड़ना से तंग आ कर लड़की शादी के 4 माह बाद पति के खिलाफ मामला दर्ज कराने थाने गई. पुलिस ने लड़के के खिलाफ उत्पीड़न का मामला दर्ज कर लिया.
सही नहीं धारणा
हैरानी की बात है कि जहां एक तरफ हम चांद और मंगल पर पहुंच गए हैं, वहीं दूसरी तरफ आज भी वर्जिनिटी को मूल्यों और संस्कारों से जोड़ कर देखा जाता है. विवाह की बात आते ही मामला लड़की की वर्जिनिटी पर आ कर अटक जाता है. विवाह से पहले लोग अकसर यह पूछते नजर आते हैं कि अपनी गर्लफ्रैंड या पत्नी की वर्जिनिटी के बारे में कैसे पता लगाया जाए. इस का बस यही एक जवाब है कि ऐसा कोई तरीका नहीं है.
दरअसल, लोगों के बीच यह धारणा आम है कि जब भी कोई युवती पहली बार शारीरिक संबंध बनाती है, तो उसे ब्लीडिंग होती है. लेकिन यह धारणा सही नहीं है, क्योंकि जहां कई महिलाओं में कौमार्य झिल्ली नहीं होती है, वहीं कुछ में यह इतनी लचीली होती है कि कुछ केस में तो यह बचपन में खेलतेकूदते समय ही फट जाती है, इसलिए अगर पहली बार संबंध बनाने पर ब्लीडिंग नहीं होती है, तो इस का मतलब यह नहीं कि वह वर्जिन नहीं है.
यह नहीं वर्जिन होने का पैमाना
कोई महिला वर्जिन है या नहीं, यह केवल उस की प्रैगनैंसी हिस्ट्री से पता चल सकता है या फिर तब जब वह खुद इस के बारे में बताए. वैसे भी फैक्ट्स के अनुसार, केवल 42% महिलाओं को पहले इंटरकोर्स के दौरान ब्लीडिंग होती है, इसलिए पहली बार ब्लीड होने का अर्थ वर्जिन होना कदापि नहीं है. औनलाइन सैक्स टौय रिटेलर लव हनी डौट को डौट यूके द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जहां महिलाएं 17 साल की उम्र में अपनी वर्जिनिटी खो देती हैं और 28 की उम्र में यौन संबंधों को सब से ज्यादा ऐंजौय करती हैं, वहीं पुरुष 33 वर्ष की उम्र में यौन संबंधों को सब से ज्यादा ऐंजौय करते हैं. सर्वे में शामिल 40 फीसदी लोगों ने माना कि वे सैक्स के लिए 28 की उम्र को सब से बेहतर मानते हैं. सर्वे में यह बात भी सामने आई कि पुरुष 18 की उम्र में अपनी सैक्सुअल पीक पर पहुंचते हैं, जबकि महिलाएं 30 की उम्र में.
पुरुष मानसिकता
आप को जान कर हैरानी होगी कि स्कूलकालेज में ऐडमिशन व नौकरी के लिए टैस्ट के अलावा एक देश ऐसा भी है जहां स्कौलरशिप के लिए छात्राओं को वर्जिनिटी टैस्ट से गुजरना होता है. साउथ अफ्रीका के उथूकेला में स्कूलकालेज जाने वाली वर्जिन छात्राओं को जिले की महिला मेयर डूडू मोजिबूको स्कौलरशिप देती हैं. इस स्कौलरशिप को पाने के लिए छात्राओं को वर्जिनिटी टैस्ट देना होता है.
कैसी मानसिकता का शिकार है हमारा पुरुष समाज? जिस के लिए विवाहपूर्व रिलेशनशिप में वर्जिनिटी कोई माने नहीं रखती, लेकिन रिलेशनशिप के बाद जब बात विवाह की आती है, तो वर्जिनिटी उस के लिए बहुत बड़ा सवाल बन जाता है. वैसे भी विवाह के बाद एक महिला को ही क्यों अपनी वर्जिनिटी साबित करनी पड़ती है? एक पुरुष से यह क्यों नहीं पूछा जाता कि वह वर्जिन है या नहीं?