व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं में पत्नियों की किसी से प्रेम करने व यौन संबंध बनाने की स्वतंत्रता है या नहीं, यह अच्छी रोचक बहस का मामला है. भारतीय दंड विधान स्पष्ट कहता है कि किसी की पत्नी के साथ संबंध बनाने पर पुरुष को दंड दिया जा सकता है पर पत्नी किसी पर पुरुष से संबंध बनाए तो उसे दंड नहीं दिया जा सकता. ऐसे मामले में पति पत्नी को तलाक अवश्य दे सकता है.

नौसेना ने ब्रिगेडियर रैंक के एक अफसर को इसलिए निकाला है क्योंकि उस ने अपने एक सहयोगी की पत्नी के साथ अपनी पत्नी की इच्छा के बिना संबंध बना लिए थे. पतिपत्नी के बीच क्या हुआ यह तो नहीं मालूम पर इस संबंध को अपराध या दुर्व्यवहार की संज्ञा देना गलत होगा. कहा यही जाता है कि विवाह के बाद पतिपत्नी को एकदूसरे के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए और किसी तीसरे की ओर नजर नहीं डालनी चाहिए. पर यह सलाह है, कानूनी निर्देश नहीं. अगर दोनों में से कोई इस वादे को तोड़ता है तो उसे विवाह तोड़ने का हक कानून में है और उस का इस्तेमाल किया जा सकता है पर इस के लिए तीनों में से किसी को भी दंडित करना गलत होगा.

विवाह से पतिपत्नी को एकदूसरे पर बहुत से अधिकार मिलते हैं पर ये अधिकार आपसी समझौते और समझदारी के हैं. समाज का काम इन पर पहरेदारी करना नहीं है.

समाज ने इस बारे में सदा एकतरफा व्यवहार किया है. सदियों से औरतों को कुलटा कहकह कर इसलिए बदनाम और घर से बेदखल किया जाता है, क्योंकि उन को पति की संपत्ति का सा हक दे दिया गया है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...