सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी सुंदरता और बुद्धिमानी का अद्भुत संगम होती है. ऐसी पत्नी समाज में किसी सैलिब्रिटी से कम नहीं होती है. इस के साथ रिश्ता निभाने के लिए जरूरी है कि रिश्ता खुले दिल से निभाएं. दिल में कहीं कोई मैल रखा तो परेशानी खड़ी हो सकती है. शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर इस बात का सब से बड़ा उदाहरण हैं. आज समाज में ऐसी पत्नियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. कई बार दूसरी पत्नी के रूप में भी ऐसी सुंदर, चतुर और स्मार्ट ट्रौफी पत्नी मिलती है. ऐसे में जरूरी है कि उस के साथ रिश्ता खुले दिल से निभाएं. आज आपसी सहमति से तलाक जल्दी मिलने लगे हैं. ऐसे में दूसरी शादी का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इन रिश्तों में अगर किसी तरह का कोई छिपाव होता है, तो पतिपत्नी में से किसी के लिए ठीक नहीं होता. कई बार इस तरह के छिपाव अपराध का कारण भी बनते हैं, जो आप की खुशहाल जिंदगी को बरबाद कर सकते हैं.

सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी का अपना एक सामाजिक दायरा होता है. वह हर तरह के सामाजिक दायरे में अपने को फिट रखती है. ऐसे में कई बार पति को हीनभावना का शिकार होना पड़ता है. पति अगर हीनभावना का शिकार हो कर सुंदर, चतुर और समार्ट पत्नी पर किसी तरह की पाबंदी लगाता है, तो वह उसे बरदाश्त नहीं करती और रिश्ते बिगड़ जाते हैं. ऐसे में पति के पास समझौता कर के आगे बढ़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है.

पहले संबंध को न छिपाएं

अगर ट्रौफी पत्नी दूसरी वाली है, तो पहली पत्नी के साथ बीते संबंधों की उसे थोड़ीबहुत जानकारी जरूर दें. कई बार दूसरी पत्नी से संबंधों के समय में पहली पत्नी से जुड़ी तमाम बातों को छिपाने की कोशिश होती है. इस तरह की बातें कभी न कभी खुलती हैं, जिस की वजह से संबंध खराब होते हैं. ये संबंध केवल शारीरिक और मानसिक ही नहीं होते, कई बार संपत्ति और बच्चों से जुड़े विवाद भी होते हैं. ऐसे में दूसरी शादी करने से पहले पहली शादी से जुड़े विवाद को सुलझा लें. यह पतिपत्नी दोनों के लिए लाभकारी होता है.

खुल कर करें बातें

ट्रौफी पत्नी के साथ जरूरी है कि खुल कर बातें हों. जिन बातों को गैरजरूरी समझा जाता हो उन्हें भी साझा करें. मसलन, सैक्स और दूसरे दोस्तों के संबंध को ले कर भी परहेज न करें. कई बार पतिपत्नी दोनों के ही अपने निजी दोस्त होते हैं, जो बहुत करीबी होते हैं. इन के रिश्तों को देख कर सहज भरोसा करना संभव नहीं होता कि ये कितने करीबी हैं. जब इन्हें ले कर आपस में बात नहीं होती तो मन में शंका पनपने लगती है और फिर शंका एक ऐसे मुकाम तक पहुंच जाती है जहां संबंध का निर्वहन मुश्किल हो जाता है.

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इस का एक ही इलाज है कि आपस में खुल कर बातें करें. सैक्स को ले कर ऐसी पत्नी कुछ और की चाहत रखती है. इस में पोर्न सैक्स से ले कर पार्टी और मौजमस्ती सब कुछ होता है. कई बार ट्रौफी पत्नी अपने दोस्तों के साथ इतना घुलमिल जाती है कि पति को शक होने लगता है. यहां पति को समझदारी दिखाने की जरूरत है. ऐसे संबंधों में टोकाटाकी पत्नी को पसंद नहीं आती है.

रूढिवादी विचारों को छोड़ें

समाज में रूढिवादी विचार बहुत गहरे तक फैले हुए हैं कि पत्नी को पति से काबिल नहीं होना चाहिए. ऐसे विचार सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी के सामने कोई माने नहीं रखते हैं. अगर पत्नी बेहतर है, तो उसे काबिल मान लेने में कोई बुराई नहीं है. कई सफल जोड़े इस बात की मिसाल हैं, जिन की बीवी उन से अधिक सुंदर, बुद्धिमान और व्यवहारकुशल है. आज समाज में पति से उम्र में बड़ी, पति से ज्यादा कमाने वाली और पति से अधिक मानसम्मान वाली पत्नियां मौजूद हैं. अपने आसपास देखें तो कई ऐसे उदाहरण मिल जाते हैं जहां हम पत्नी को जानते हैं पर उस के पति का नाम नहीं सुना है. राजनीति से ले कर समाजसेवा तक के क्षेत्र में तमाम ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं. पतियों को अपने रूढिवादी विचारों को छोड़ कर पत्नी के गुण को सम्मान देते हुए उसे पूरा मौका देना चाहिए.

सुंदरता की परेशानी

जब पत्नी सुंदर हो तो उस की तारीफ करने वालों की कमी नहीं होती है. इसे पति जलन के रूप में लेने लगता है. सुंदर पत्नी जब अल्ट्रामौडर्न ड्रैस पहन कर बाहर निकलती है, तो उस की तारीफ में कई तरह के ऐसे शब्दों का भी प्रयोग होता है जो सैक्स की भावना से ग्रस्त होते हैं. किसी भी पति के लिए इसे स्वीकार करना संभव नहीं होता. ऐसे में वह पत्नी पर तमाम तरह के आरोप लगाने लगता है. पार्टी में जाने पर लोग पति से अधिक पत्नी की तारीफ करते हैं. ऐसे में पति कुंठित होता है. जब तारीफ होती है तो पत्नी अपनी सुंदरता पर कुछ ज्यादा ही घमंड करती है. कई बार पति को लगता है कि यह उस की उपेक्षा कर रही है जबकि यह उपेक्षा नहीं होती है.

कई बार एक ओर पत्नी सुंदर और स्मार्ट दिखने की कोशिश करती है और पति पुराने तौरतरीकों से रहता है. ऐसे में पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट सी दिखती है. पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट न दिखे, यह प्रयास करें. पति को खुद को इस तरह से रखना चाहिए कि उन की जोड़ी सुंदर दिखे.

सोच में खुलापन जरूरी

आज के समय में तारीफ करने के ऐसे तमाम मौके भी मिल जाते हैं. फेसबुक इन में सब से प्रमुख है. सुंदर इनसान के फोटो पर तमाम तरह के कमैंट और बहुत सारे लाइक मिलते हैं. ट्विटर पर उस के कमैंट की तारीफ करने वालों की लाइन लगी रहती है. फ्रैंडलिस्ट में उस के दोस्तों की संख्या अधिक होती है.

ऐसे में कई बार समयबेसमय मैसेज भी आते हैं. पत्नी भी ऐसे मैसेज को खुले दिल से लेती है. इस पर जब पति की नजर पड़ती है तो उसे बुरा लगता है.

यहां यह सोचने वाली बात है कि जब 2 दोस्तों में किसी भी तरह की बातचीत होती है तो पत्नी भी अपने दोस्तों के साथ कुछ भी बात कर सकती है. समाज में अभी भी औरत और मर्द की दोस्ती को सही नजरिए से नहीं देखा जाता है. उसे चरित्रहीनता से जोड़ कर देखा जाता है. अब इस तरह की सोच बदलनी चाहिए.

सोच बदल कर आगे बढ़ रही औरतें

लड़कियों की पढ़ाई के आंकड़ों के बाद भी देखा जाता है कि पढा़ई के बाद नौकरियों में उन का स्थान काफी पीछे है. आंकड़े बताते हैं कि केवल 29% लड़कियां नौकरी में आती हैं. सिविल सेवा में लड़कियों का प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले काफी पीछे है. आईएएस में 13%, आईपीएस में 5%, आईएफएस में 13% और आईआरएस में 7% महिलाओं की संख्या है. हर 20 में से केवल 3 महिला अफसर हैं. 1991 में नौकरीपेशा महिलाओं की संख्या 33.7% थी.

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2012 में यह घट कर 29 फीसदी ही रह गई. भारत में स्नातक करने वाली केवल

22 फीसदी लड़कियां ही नौकरी करती हैं. इस की मुख्य वजह यह है कि लड़कियों को आज भी पीछे रखने का काम किया जाता है. सामाजिक सोच है कि लड़कियों को केवल शादी तक की शिक्षा दी जाए. इस के बाद जैसा उस की ससुराल वाले चाहे करें. लड़की ससुराल और मायके के 2 पाटे में जिंदगी भर पिसती रहती है. जो लड़कियां अपनी सोच बदल रही हैं वे आगे बढ़ रही हैं. ऐसे में चतुर, स्मार्ट और सुंदर पत्नियों के पतियों को भी अपने विचार बदलने पड़ते हैं.

आईआईएम जैसी जगहों में भी लड़कियां काफी पीछे हैं. 2015-17 के बैच में ऐडमिशन लेने वाली लड़कियों की संख्या 31 फीसदी घट गई है. आईआईएम अहमदाबाद में इस साल केवल 14 फीसदी लड़कियों ने ही प्रवेश लिया जबकि पिछले साल लड़कियों की संख्या 29 फीसदी थी. स्नातक करने वाली लड़कियों में इंजीनियरिंग में 29 फीसदी, कंप्यूटर साइंस में 37 फीसदी, मैनेजमैंट में 32 फीसदी और कानून में 32 फीसदी लड़कियां होती हैं. इस के उलट सीबीएससी बोर्ड की परीक्षा के आंकड़े देखें तो लड़कियों का दबदबा साफ दिखता है. 2012 से ले कर 2015 तक की बोर्ड परीक्षाओं को देखें तो लगेगा कि लड़कियों ने हर साल लड़कों को पीछे छोड़ा है. इन परीक्षाओं में पास होने वाले लड़कों का प्रतिशत 77.77 रहा तो लड़कियों का 87.57.

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