आपने भगवान के मंदिर तो बहुत देखे होंगे लेकिन हम आपको अमिताभ बच्चन का मंदिर दिखाने जा रहे हैं. ये दुनिया में बिग बी का इकलौता मंदिर बताया जा रहा है. इस मंदिर में रोज 6 मिनट की फिल्मी आरती गाकर बिग बी और उनके जूतों की पूजा होती है. आरती से पहले 9 पन्ने की खास अमिताभ चालीसा भी पढ़ी जाती है. इन सबके बाद प्रसाद भी मिलता है.

जूतों और कुर्सी के साथ होती है अमिताभ की पूजा

यहां अमिताभ की तस्वीर के साथ अग्निपथ मूवी में पहने गए उनके सफेद जूते की भी पूजा होती है. इतना ही नहीं, अक्स मूवी में जिस कुर्सी पर वो बैठे दिखे थे, उसे भी यहां लाकर रखा गया है. इसी पर अमिताभ की फोटो रखकर रोज पूजा-आरती होती है. बता दें, ये मंदिर कोलकाता के श्रीधर राय रोड़ पर बना है. यहां देश-विदेश से लोग आते हैं.

खुद अमिताभ ने मंदिर के लिए भेजा था जूता और कुर्सी

2001 में ये मंदिर बिग बी के एक फैन संजय पटौदिया ने बनवाया था. उसी साल खुद अमिताभ ने अपने मंदिर के लिए ये जूते और कुर्सी 2001 में संजय की रिक्वेस्ट पर भेजे थे. तब से 2 कमरों के इस मंदिर में कुर्सी और सफेद जूते की पूजा होती है.

भगवान की तरह है ‘अमिताभ चालीसा’ और स्पेशल आरती

संजय ने बताया, ‘अमिताभ हमारे भगवान हैं. हमने पूरी श्रद्धा के साथ उनकी 9 पन्ने की अमिताभ चालीसा और आरती गीत भी बनाया है.’ 79 लाइन की इस चालीसा में दोहे और चौपाई के साथ बिग बी की उपलब्धियों और संघर्ष की बात लिखी है. संजय ने ‘अमिताभ नम:’ के नाम से संकट मिटाने वाला मंत्र भी तैयार किया है.

साल में 2 बार निकलती है अमिताभ तीर्थ यात्रा

संजय और बिग बी के फैन्स साल में 2 बार इस मंदिर से अमिताभ तीर्थ यात्रा निकालते हैं. पहली अमिताभ के बर्थडे 11 अक्टूबर को दूसरी 2 अगस्त को. ये तीर्थ यात्रा इस मंदिर से अमिताभ के मुंबई वाले घर तक जाती है.

संजय का कहना है कि बिग बी ‘कुली’ मूवी की शूटिंग के दौरान घायल होने के बाद 2 अगस्त को ठीक होकर घर वापस आए थे. इस दिन को उनके दूसरे बर्थडे के तौर पर मनाते हैं.

दीया मिर्जा भी कर चुकी हैं इस मंदिर का दर्शन

2014 में दीया एक मूवी के लिए कोलकाता आईं थीं. तब उन्होंने अमिताभ के इस मंदिर में आकर दर्शन किया था. इस दौरान उन्होंने आरती भी की थी. कुछ लाइनें चालीसा भी पढ़ी थीं.

बिग बी बोले-मुझे इंसान ही रहने दो, भगवान मत बनाओ

जब बिग बी को इस मंदिर के बारे में पता चला तो उनकी आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने संजय पटौदिया को चिट्ठी लिखते हुए कहा, मुझे इंसान ही रहने दो, भगवान का दर्जा मत दो.

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