महिलाओं के नाम पर संपत्ति लेने में सबसे बड़ा फायदा रजिस्ट्री में मिलने वाली छूट के तौर पर देखा जा सकता है. देश के तमाम राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांम्प ड्यूटी में 2 फीसदी की छूट मिलती है. अगर संपत्ति का मालिकाना हक पूरी तरह से किसी महिला के नाम पर नहीं है और उसे प्रौपर्टी में जौइंट ओनर बनाया गया हो तो इस स्थिति में भी रजिस्ट्री में एक फीसदी की छूट का लाभ उठाया जा सकता है.
घर खरीदने में महिलाओं की सलाह बेहद काम की होती है. इसकी एक वजह यह है कि घर में सबसे ज्यादा वक्त महिलाओं का ही बीतता है. लेकिन कहते हैं कि वक्त कभी भी एक जैसा नहीं रहता है. मौजूदा समय की ही बात करें तो पिछले कुछ वर्षों में जहां घर खरीदने में महिलाओं की सलाह की अहमियत में इजाफा हुआ है तो वहीं अब महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में भी अच्छा-खास इजाफा देखने को मिलता है. वैसे ऐसा हो भी क्यों नहीं, आखिर महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने के कई तरह के लाभ भी तो मिल जाते हैं.
संपत्ति मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदकर टैक्स प्लानिंग को जहां आसान बनाया जा सकता है तो वहीं कई तरह की छूट का लाभ भी हासिल किया जा सकता है. ऐसे में अगर आप भी किसी संपत्ति में निवेश करने का मन बना रहे हैं तो इसे अपने घर की महिला के नाम पर खरीद सकते हैं. या फिर उन्हें संपत्ति के मालिकाना हक में अधिकार देकर भी कई तरह से लाभ उठा सकते हैं। जानते हैं, यह किस तरह संभव है.
बढ़ाएं लोन की रकम
अगर आप होम लोन लेकर संपत्ति खरीदने पर विचार कर रहे हैं तो ऐसे में अपनी पत्नी को इस एप्लीकेशन में को-एप्लीकेंट बना सकते हैं. बशर्ते आपकी पत्नी कोई नौकरी या फिर अपना व्यापार कर रही हो. ऐसा होने से आपकी आय में उनकी आय भी शामिल हो जाएगी. साथ ही आय में इजाफा होने से आपको मिलने वाली होम लोन की रकम में भी इजाफा हो जाएगा.
बैंकिंग मामलों के जानकारों का कहना है कि होम लोन के लिए ऐसी एप्लीकेशन, जो महिलाओं की तरफ से आई हों या फिर जिनमें महिलाओं को को-एप्लीकेंट बनाया गया हो, उनके लिए बैंकों की कोशिश होती है कि लोन जल्दी और आसानी से पास किया जाए. ऐसी एप्लीकेशन को बैंक जल्दी से खारिज नहीं करते.
रजिस्ट्री में छूट
संपत्ति मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं कि महिलाओं के नाम पर संपत्ति लेने में सबसे बड़ा फायदा रजिस्ट्री में मिलने वाली छूट के तौर पर देखा जा सकता है. देश के तमाम राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांम्प ड्यूटी में 2 फीसदी की छूट मिलती है. अगर संपत्ति का मालिकाना हक पूरी तरह से किसी महिला के नाम पर नहीं है और उसे प्रौपर्टी में जौइंट ओनर बनाया गया हो तो इस स्थिति में भी रजिस्ट्री में एक फीसदी की छूट का लाभ उठाया जा सकता है.
किसी प्रौपर्टी में जब आप लाखों रुपयों का निवेश कर रहे हों तो वहां एक या फिर दो फीसदी की बचत भी आपके लिए फायदे और समझदारी की बात ही कही जा सकती है. इस बचत का इस्तेमाल प्रौपर्टी की फर्निशिंग पर या फिर दूसरे कामों पर खर्च की जा सकती है.
प्रौपर्टी टैक्स में बचत
अगर आप दिल्ली जैसे शहर में कोई प्रौपर्टी लेने की योजना बना रहे हैं तो इस शहर में महिला के नाम पर प्रौपर्टी खरीदना समझदारी भरा कदम होगा. आप वाकिफ होंगे कि एरिया की देख-रेख के लिए हर साल एमसीडी को प्रौपर्टी टैक्स चुकाना होता है. इस टैक्स में भी महिलाओं के लिए छूट के प्रावधान किए गए हैं. बशर्ते संपत्ति का स्वामित्व किसी महिला के नाम पर हो.
महिला खरीदारों बढ़ती संख्या
विशेषज्ञ कहते हैं कि जब से स्टांप ड्यूटी में महिलाओं के लिए छूट के प्रावधान किए गए हैं, उसके बाद से महिलाओं के नाम पर होने वाली संपत्तियों की रजिस्ट्री की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिलता है. सामाजिक लिहाज से तो इस कदम से उन्हें गर्व होता ही है, साथ ही आर्थिक स्वावलंबन की दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि ईंट, सरिये और सीमेंट की मदद से खड़ी की गई चारदीवारी, जिसे मकान की संज्ञा दी जाती है, उसे घर के रूप में परिवर्तित करने का काम तो महिलाएं ही करती हैं.
आखिर जब घर की जिम्मेदारी उन पर होती है तो उस संपत्ति के मालिकाना अधिकार में उनका हिस्सा क्यों नहीं हो सकता? जबकि ऐसा करना न सिर्फ कई लिहाज से लाभदायक है साथ ही उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला कदम भी कहा जा सकता है.