दिल्ली के मयूर विहार इलाके की रिहाइश में पहली मंजिल के बाहर ‘मोंगाज’ की तख्ती देख मैं ने आश्वस्त हो कर घंटी बजाई. स्वयं प्रीति मोंगा ने दरवाजा खोला और मुसकराते हुए हाथ मिला कर अपना परिचय दिया. फिर मुझे घर के अंदर आमंत्रित कर सोफे पर बैठने को कहा और खुद कमरे की बत्ती जला कर किचन से मेरे लिए ट्रे में पानी का गिलास ले आईं.

जब मेरे पास बैठ कर उन्होंने बताया कि वे पूरी तरह नेत्रहीन हैं, तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ. उन की मुझे देखती सी आंखें, मुझ से हाथ मिलाना, बत्ती जलाना, बिना किसी सहायता के चल कर पानी लाना यानी कोई भी काम ऐसा नहीं था जिस की अपेक्षा हम किसी नेत्रहीन व्यक्ति से कर सकते हैं.

प्रीति मोंगा की कहानी सुनने को मैं लालायित थी. सुना था कि वे एक प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर हैं, जिन्होंने न सिर्फ भारतीय, बल्कि विदेशी विद्यार्थियों को, महिला उ-मियों को भी भाषण दिए हैं.

उन के पास बैठ कर मेरे मुंह से पहला वाक्य यह निकला, ‘‘आप को देख कर लगता ही नहीं कि आप नेत्रहीन हैं.’’

वे बोलीं, ‘‘यही मेरा उद्देश्य है. विकलांगता न योग्यता है और न ही अयोग्यता. जब अपने जीवन से जुड़े सारे कार्य मैं स्वयं करती हूं तो सामने वाले को यह आभास क्यों हो कि मैं विकलांग हूं? यही सुझाव मैं अन्य विकलांगों को भी देती हूं.’’

रोशनी गई लगन नहीं

प्रीति का जन्म 1959 में अमृतसर में हुआ था. जब वे 6 वर्ष की थीं तब उन के अभिभावकों को यह पता चला कि उन की नजर लगातार कमजोर होती जा रही है. जब प्रीति 8वीं कक्षा में थीं तब वे पूरी तरह नेत्रहीन हो गईं. उन्हें विद्यालय से निकाल दिया गया. उन दिनों नेत्रहीन लड़कियों के लिए विद्यालयों की कमी के कारण प्रीति ने फौर्मल ऐजुकेशन सिर्फ 10वीं तक प्राप्त की.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...