दुनियाभर में कुदरती स्वास्थ्यवर्धक पेयों की मांग दिनबदिन बढ़ रही है. नारियल रस या कहें नारियल के दूध ने स्वास्थ्यवर्धक पेयों में अपना स्थान बना लिया है. चूंकि नारियल के गूदे को निचोड़ कर नारियल दूध प्राप्त किया जाता है, इसलिए नारियल में निहित सारे पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक गुण नारियल दूध में भी निहित होते हैं.

कद्दूकस की गई नारियल की गिरी में पानी डाल कर निचोड़ने से जो नारियल का दूध प्राप्त होता है, पानी की मात्रा के अनुसार उस के संघटन में अंतर आ जाता है. यह नारियल रस के नाम से भी जाना जाता है.

नारियल दूध का प्रयोग व्यंजन, मिठाई और सूप बनाने के लिए तो किया ही जाता है, इस का प्रयोग पीने के लिए भी किया जाता है. चाय, कौफी आदि में दूध की जगह भी इस का प्रयोग किया जा सकता है. नारियल दूध का उपयोग शाकाहारी लोगों द्वारा विशेष कर उन लोगों द्वारा किया जाता है, जिन्हें जानवरों के दूध से ऐलर्जी होती है. फल रस में मिलाने के लिए भी इस का उपयोग किया जा सकता है.

नारियल दूध का उत्पादन विविध जायकों में एक पौष्टिक एवं गुणकारी पेय के रूप में होता है. जानवरों के दूध से भिन्न नारियल के दूध में लैक्टोज नहीं होता है. इसलिए लैक्टोज असहिष्णु लोग भी इस का उपयोग कर सकते हैं. विविध जायकों में फ्लेवर्ड नारियल रस बनाने की टैक्नोलौजी नारियल विकास बोर्ड के इंस्टिट्यूट औफ टैक्नोलौजी में विकसित की गई है.

फ्लेवर्ड नारियल दूध बनाने के लिए9 से 10 महीने का कच्चा नारियल प्रयोग किया जाता है. इस नारियल से जो दूध मिलता है वह अधिक गाढ़ा होता है और उस में वसा की मात्राभी कम होती है. नारियल दूध की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए उस में नारियल पानी भी मिलाया जाता है.

नारियल रस के पौष्टिक गुण

नारियल दूध में मीडियम चेन संतृप्त वसा होती है. इस में 50% लारिक अम्ल होता है. लारिक अम्ल मानव शरीर में मोनोलारिन बन जाता है. मोनोलारिन में वायरसरोधी, बैक्टीरियारोधी और फफूंदरोधी गुण होते हैं. इसलिए नारियल दूध का उपयोग करने से वायरस एवं बैक्टीरिया के प्रकोप को रोका जा सकता है और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है.

लारिक अम्ल कोलैस्ट्रौल और ट्राइग्लीसराइड स्तर भी कम करता है, जिस से हृदयरोग और पक्षाघात का खतरा कम हो जाता है. प्राकृतिक नाममात्र आहार सामग्री में लारिक अम्ल पाया जाता है. अत: नारियल दूध नियमित प्रयोग करने से शरीर को लारिक अम्ल के स्वास्थ्यकारी गुण प्राप्त होते हैं.

नारियल दूध में निहित मध्यम शृंखला वसा अम्ल शरीर में जमता नहीं है. इस के बजाय ऐसे वसा अम्ल शरीर को विशेष कर कोशिकाओं को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं. इसीलिए मोटापा कम करने में तथा इंसुलिन प्रतिरोध की अवस्था में नारियल दूध फायदेमंद है. इन वसा अम्लों के अलावा नारियल दूध में अनिवार्य पौष्टिक तत्त्व भी होते हैं, जिन के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं.

विटामिन और खनिज

नारियल दूध विटामिन और खनिजों का अच्छा स्रोत है. इस में विटामिन सी, ई, के, डी और बी समूह के कई विटामिन होते हैं. विटामिन सी और ई से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. विटामिन बी से कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है. नारियल दूध में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फासफोरस और आयरन बड़ी मात्रा में होते हैं.

मैग्नीशियम से हृदय की धड़कन नियमित रहती है और नाड़ी सूत्र का काम भी ठीक तरह से होता है. फासफोरस दांतों और हड्डियों को मजबूत बनाता है. एक व्यक्ति को प्रतिदिन संस्तुत आयरन का 22% नारियल दूध से प्राप्त होता है और यह लाल रक्ताणुओं के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाता है. आयरन की कमी यानी ऐनीमिया में नारियल दूध पीना लाभकर होता है. इन के सिवा कैल्सियम, जिंक आदि भी इस में पर्याप्त मात्रा में होते हैं.

प्रतिओक्सीकारक

नारियल दूध प्रतिओक्सीकारकों से भरपूर होता है, जो शरीर को खतरनाक मुक्त रैडिकलों और कोशिकाओं व ऊतकों पर उन के हानिकारक प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करता है. मुक्त रैडिकलों से कैंसर, हृदयरोग, अलजाइमर्स आदि होने का खतरा रहता है.

नारियल दूध में पाचनशक्ति बढ़ाने तथा पोषक तत्त्वों के अवशोषण के लिए सहायक ऐसिड फास्फेट, कैटालैस, डिहाईड्रेजनैस, पैरोक्सिडैस जैसे सारे तत्त्व होते हैं. इस संपूर्ण पेय को फंक्शनल फूड का दर्जा दिया जा सकता है. इस तरह कई गुणों से संपन्न नारियल रस को रोजाना पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है.

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