दुनियाभर में होने वाली महिलाओं की मौतों में से एकतिहाई मौतें दिल की बीमारी की वजह से होती हैं. हाल के आंकड़ों में यह बात सामने आई है कि पुरुषों के मुकाबले स्ट्रोक के चलते महिलाओं में मृत्युदर अधिक रही है. कैंसर, टीबी, एचआईवी, एड्स और मलेरिया जैसी अन्य बीमारियों से होने वाली मौतों की तुलना में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के कारण होने वाली मौतों की संख्या ज्यादा है.
ऐसा अनुमान है कि दुनियाभर में हर साल करीब 86 लाख महिलाएं हृदय रोगों के कारण दम तोड़ देती हैं. हालांकि, चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं में हृदय रोग और स्ट्रोक के कारण मृत्यु या विकलांगता के जोखिम को गंभीरता से नहीं लिया जाता. इस का कारण यह भी है कि महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण पुरुषों के समान नहीं होते हैं, इसलिए महिलाओं को शुरुआत में डाक्टर से परामर्श लेने की जरूरत महसूस नहीं होती है.
मुरादाबाद स्थित कौसमौस अस्पताल के चीफ इंटरवैंशनल कार्डियोलौजिस्ट डा. नितिन अग्रवाल इस बारे में कहते हैं, ‘‘महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा कुछ शुरुआती चेतावनी संकेतों का अनुभव करता है. जरूरी नहीं कि इन में छाती के दर्द जैसे लक्षण शामिल हों. यह स्थिति पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लंबे समय तक रहती है और रजोनिवृत्ति के बाद इस का जोखिम तीनगुना बढ़ जाता है. महिलाओं में टूटा हुआ दिल यानी ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम भी हृदय रोग को बढ़ावा देता है. इस में अत्यधिक भावनात्मक तनाव से (लेकिन अकसर कम समय के लिए) हृदय की मांसपेशी विफल होती है.
‘‘इस अवस्था को तनावप्रेरित यानी स्ट्रैस इंडयूस्ड कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है. महिलाओं में हृदय रोग जोखिम के अन्य कारकों में उच्च रक्तचाप, कौलेस्ट्रौल और धूम्रपान के अलावा मधुमेह, मोटापा, खराब भोजन, शारीरिक निष्क्रियता व अत्यधिक शराब पीना शामिल है.
‘‘सामान्य जोखिम कारकों के अलावा, आज महिलाएं जीवनशैली से जुड़े अनेक अन्य कारकों के कारण भी हृदय रोगों की चपेट में आ रही हैं. इन में से कुछ में डब्बाबंद भोजन यानी प्रोसैस्ड फूड का अधिक उपभोग शामिल है जो कि संतृप्त वसा, चीनी और नमक में समृद्ध होता है. साथ ही, साबुत अनाज की कमी, उदासीन जीवनशैली और तनाव के स्तर में वृद्धि जब अन्य कौमोरबिड स्थितियों के साथ मिल जाते हैं तो महिलाओं में एस्ट्रोजेन स्तर कम होने लगता है. इसे महिलाओं के बीच हृदय रोगों में वृद्धि के लिए शीर्ष कारणों में से एक माना गया है.’’
डा. नितिन अग्रवाल आगे बताते हैं, ‘‘महिलाओं के बीच जागरूकता की कमी है, इसलिए वे हृदय रोग और स्ट्रोक के चेतावनी संकेतों को पहचान नहीं पाती हैं. हृदय रोगों को पारंपरिक रूप से केवल पुरुषों को ही प्रभावित करने वाला माना गया है. इसलिए इस स्थिति को महिलाओं में काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता है. महिलाएं छाती के दर्द के बारे में बताती हैं जो तेज होता है और जलन भी होती है. इस में गरदन, जबड़े, गले, पेट या पीठदर्द भी होता है. कई बार हृदय रोग खामोशी से चलता है और दिल का दौरा, दिल की विफलता या स्ट्रोक के संकेत व लक्षण सामने आने तक इस का निदान नहीं किया जा सकता है.’’
महिलाओं के लिए कुछ सुझाव
रक्तचाप और मधुमेह पर काबू रखें : समय पर अपने रक्तचाप और शर्करा के स्तर को जांचना महत्त्वपूर्ण है. किन्हीं भी तरह की जटिलताओं से बचने के लिए इन पर नियंत्रण रखें.
धूम्रपान छोड़ना होगा : धूम्रपान की घातक आदत को छोड़ कर न केवल कौलेस्ट्रौल के स्तर को कम किया जा सकता है, बल्कि शरीर में खून के प्रवाह और औक्सीजन के स्तर को बेहतर भी किया जा सकता है.
स्वस्थ भोजन खाएं : मोटापा दिल की बीमारी के लिए जोखिम वाले कारकों में से एक है, इसलिए स्वस्थ भोजन अपना कर वजन को काबू में रखना बेहतर है. अपने आहार में बहुत सारे ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करें.
पर्याप्त व्यायाम करें : व्यायाम रक्त के प्रवाह में सुधार करता है और अनावश्यक वजन पाने की संभावना को कम करता है. हर दिन लगभग 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जरूर करें.
तनाव प्रबंधन : तनाव हृदय की सेहत पर बुरा असर डालता है, इसलिए तनावमुक्त रहें.