सरकार ने महिलाओं को धर्म के जाल में उलझाए रखने के लिए बिंदी पर लगे जीएसटी को तो कम कर दिया पर जिस तरह से सैनिटरी पैड से जीएसटी हटाने की मांग हो रही थी उसे नजरअंदाज कर दिया है. सैनिटरी पैड महिलाओं की हैल्थ और हाइजीन के लिए सब से अहम है. ऐसे में जरूरी है कि इस पर लगे टैक्स को खत्म किया जाए ताकि यह सस्ता हो और ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इस का प्रयोग कर सकें.
महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की बात करें तो माहवारी सुरक्षा सब से प्रमुख विषय है. आज भी भारत में 70 फीसदी महिलाएं माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड का प्रयोग नहीं करती हैं. इस की जगह गंदे घरेलू कपड़ों का प्रयोग माहवारी के समय करती हैं. सैनिटरी पैड के अलावा महावारी के दिनों में कुछ भी प्रयोग करना सेहत के लिए खतरा होता है. इस से संक्रमण फैलता है. कई बार यह संक्रमण इतना बढ़ जाता है कि महिला बांझपन का शिकार हो सकती है. माहवारी के दौरान फैलने वाले संक्रमण से माहवारी के समय रक्तस्राव अधिक हो सकता है, जिस से महिलाओं में ऐनीमिया का रोग बढ़ सकता है.
प्रयोग को बढ़ावा
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए सैनिटरी नैपकिन के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए. केंद्र सरकार से महिलाओं को यह उम्मीद थी कि सैनिटरी पैड के प्रयोग को देखते हुए इस पर लगने वाले टैक्स को सरकार जीएसटी में कम करेगी.
सैनिटरी नैपकिन के कम प्रयोग का सब से प्रमुख यह कारण है कि इस की कीमत ज्यादा है. बाजार में इस की कीमत क्व20 प्रति पैकेट से शुरू हो कर क्व120 प्रति पैकेट तक है. एक पैकेट में
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