धारावाहिक ‘ये मेरी लाइफ है’ से चर्चित होने वाली अभिनेत्री शमा सिकंदर राजस्थान के मकराना शहर की हैं. अभिनय के अलावा वह फिल्मों का निर्माण भी करती हैं. स्वभाव से बोल्ड और आत्मविश्वास से परिपूर्ण शमा को इंडस्ट्री में अपनी पहल बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. उन्होंने हिंदी के अलावा दक्षिण की कई फिल्मों में भी काम किया है. इस समय वह कई वेब सीरीज और फीचर फिल्म में काम कर रहीं है. इसके अलावा उनकी प्रोडक्शन हाउस ‘शमासिकंदर फिल्म्स’ के अंतर्गत वह एक प्रोजेक्ट ‘अब दिलकी सुनो’ पर भी काम कर रही हैं. जो मानसिक बीमारी से लड़ने के बारें में जानकारी देगी. उनसे बात करना रोचक था पेश है अंश.
प्र. आपकी अब तक की जर्नी से कैसी थी?
मैं एक छोटे शहर से हूं अब तक की जर्नी काफी रुचिपूर्ण थी. इतने बड़े शहर मुंबई में आना और काम करना मेरे लिए चुनौती थी. मैंने इतनी बड़ी दुनिया कभी देखी नहीं थी, क्योंकि तब तक माता-पिता ने बड़ी सुरक्षा देकर रखी थी. पहले तो सब कुछ बहुत चौकाने वाला था, क्योंकि लोगो की सोच और उनका नजरिया पता नहीं था. लोग कहते कुछ थे और होता कुछ था. जब ये चीज समझ में आई तो पहले बहुत दुःख हुआ. मैंने 13 साल की उम्र में अभिनय शुरू कर दिया था. ऐसे में सबकुछ समझ पाना मुश्किल था,क्योंकि मुझे कभी ऐसे माहौल में रहने की आदत नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे उससे निकली और अपने काम की ओर फोकस किया. फिर मैं आगे बढ़ती गयी.
हालांकि मैंने काम अधिक नहीं किया, लेकिन जो भी किया, वह अच्छा किया. इसके लिए मैं जो भी स्क्रिप्ट सुनती हूं अगर वह रुचिपूर्ण हो तो ही आगे बढती हूं. जिस चरित्र के साथ मैं न्याय नहीं कर सकती उसे मैं मना कर देती हूं, क्योंकि जो पैसा मुझे उस भूमिका को करने से मिलता है उसमें अगर ईमानदारी न हो तो में चैन की नींद नहीं सो सकती.
प्र. अभिनय की इच्छा कहाँ से पैदा हुई?
मैं बचपन से ही अभिनय करने में तेज हूं. स्कूल बंक करने के लिए सफाई से झूठ बोला करती थी. जब भी स्कूल में नाटक होता था तो मेरे पिता को लगता था कि मैं अभिनय कर सकती हूं और वे मुझे नाटकों में भाग लेने के लिए कहा करते थे. उन्हें फिल्में देखने का बहुत शौक था. मैं उस समय बहुत ‘शाय नेचर’ की थी मुझमें हिम्मत नहीं थी कि मैं अभिनय करू,पर उनके कहने पर मैं करने लगी थी. छोटे शहर में रहने के बावजूद भी वे चाहते थे कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूं. उन्होंने हर तरह की आजादी दी,पर मुझे अपने आपको समझने में काफी समय लगा कि मैं अभिनय कर सकती हूं.
दरअसल मेरे पिता का मार्बल का व्यवसाय था. काम के दौरान वे मुंबई आये और यहां पर कुछ फिल्मी हस्तियों के घर पर उन्होंने मार्बल लगवाया था. वे उनके लाइफ स्टाइल को देखकर काफी प्रभावित हुए. उनके पार्टियों में भी हम सभी जाया करते थे. ऐसे में पिता को लगा कि मैं अभिनय कर सकती हूं और मुझे एक्टिंग स्कूल में प्रशिक्षण के लिए डाल दिया. पहले तो मुझे अभिनय पसंद नहीं था और लगता था कि मैं सुंदर नहीं हूं ,मैं अभिनेत्री नहीं बन सकती, पर धीरे-धीरे मुझे भी अच्छा लगने लगा. मैं शुरू से टौमबौय जैसी थी.
प्र. पहला ब्रेक कब मिला?
मैंने 13 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था. इसकी वजह हमारी वित्तीय अवस्था का अचानक खराब हो जाना था .परिवार काफी आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. मैं परिवार में बड़ी हूं और जब पिता की ये हालत देखी, तो काम करने की ठान ली. कोशिश की और फिरोज खान ने फिल्म ‘प्रेम अगन’ में मुझे पहला ब्रेक दिया.
मुझे याद आता है कि एक रात को मैंने अपने माता-पिता को रोते हुए देखा था. तब मुंबई में दंगे चल रहे थे, ऐसे में पैसे की व्यवस्था कैसे होगी, कैसे वे हमें भरपेट भोजन देंगे इसकी चिंता उन्हें सता रही थी, क्योंकि व्यवसाय ठप हो गया था. हम सब दंगे के शिकार थे. उसके बाद पिता को वापस अपनी आर्थिक अवस्था सुधारने में काफी वक्त लगा, लेकिन तब तक हमारे पास घर चलाने के लिए कुछ नहीं था. इसलिए मुझे जल्दी काम करना पड़ा. उस समय मेरा मन भी पढ़ाई में नहीं लगता था. घर चलाना है बस यही सोचती थी, क्योंकि मुझसे छोटे तीन भाई- बहन है उनको सम्हालना था.
वहां से मेरा अभिनय कैरियर शुरू हुआ. मैं छोटी-छोटी भूमिका जो भी मिलता उसे करने लगी थी, मुझे डांस आता था, इसलिए एक्स्ट्रा में खडी हो जाती थी, कोरियोग्राफर जो डांस सिखाते थे वही मुझे हर जगह ले जाते थे, ऐसे कर जो चार पांच सौ रूपये मिलते थे, वही बहुत बड़ी बात उस जमाने में हुआ करती थी. जब मैंने पहली कमाई 500 रुपये लेकर मम्मी के हाथ में दिया तो वह मुझे गले लगाकर रोने लगी थी.
प्र. इंडस्ट्री से न होने की वजह से आपको ‘कास्टिंग काउच’ का सामना करना पड़ा?
मेरे हिसाब से आउटसाइडर सभी कलाकारों को कभी न कभी इसका सामना करना पड़ता है,जो कहते हैं कि उन्हें सामना नहीं करना पड़ा ,वे झूठ बोलते है. मैंने छोटी उम्र में इसका सामना किया है, क्योंकि मैंने 13-14 की उम्र में काम शुरू किया था, उस समय तो मुझे ठीक तरह से इस बारें में पता भी नहीं था कि वे मुझे छू क्यों रहे हैं. जब पता चला तो उन लोगों से घिन आने लगी थी, पर पिता की एक बात मैंने हमेशा ध्यान में रखी. उनका कहना था कि हम जो भी काम करें इमानदारी और मेहनत से करें, ताकि रात में चैन की नींद सो सके.
‘कास्टिंग काउच’ केवल लड़कियों के साथ ही नहीं लड़कों के साथ भी होता है. ये एक तरह की ‘एब्यूज’ है. 90 प्रतिशत लोग ऐसे ही हैं. मैं खुशनसीब हूं कि मेरा परिवार हमेशा हर हालात में मेरे साथ रहा है. समस्या तो उन्हें आती है, जो ऐसी बातों को किसी से शेयर नहीं कर सकते और कई बार डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.
मुझे याद आता है कि जब मैं शुरू-शुरू में एक फिल्म के लिए फिल्म मेकर से मिलने अपने पिता के साथ गयी थी, तो उस फिल्ममेकर की सेक्रेटरी ने मुझे मेरे पिता के साथ अंदर जाने से मना किया. मैं अकेली अंदर बात करने गयी. बात करते-करते उसने मेरे जांघ पर हाथ रख दिया. मैं डर गयी और थोड़ी देर के लिए फ्रिज हो गयी. फिर मैंने उनके हाथ को जोर से हटा दिया. उनका कहना था कि ये बहुत ही नार्मल बात है और इसके बिना मुझे काम नहीं मिल सकता. मैं झट से उठी और वहां से चल दी. ये घटना काफी दिनों तक मेरे दिमाग में चलती रही.
प्र. इंडस्ट्री में आये बदलाव को कैसे देखती हैं?
अभी पहले से काफी बदलाव है, आज मीडिया के आगे काफी बातें आती है. इसलिए एक्सप्लौइटेशन कुछ कम हुआ है. लोग डरते नहीं और ये सही है. आज के यूथ काफी सुलझे हुए हैं. मुझमें भी परिवर्तन आया है. मुझे सब कुछ साफ-साफ अब दिखता है. इसलिए मैं किसी गलत काम में नहीं फंसती.
प्र. तनाव होने पर कैसे निकलती हैं?
तनाव होता है, उससे निकलने का रास्ता भी खुद को ही निकालना पड़ता है. मेरे हिसाब से कोई भी तनाव इतना बड़ा नहीं होता,जिससे आप निकल न सके. मुझे डिप्रेशन के साथ-साथ बायोपोलर नामक बीमारी हुई थी, जिससे निकलने में काफी समय लगा. अभी मैं बिलकुल ठीक हो चुकी हूं. लाइफ जैसे आती है, मैं उसमें ही खुश रहने की कोशिश करती हूं. इसके अलावा मैं बात बहुत करती हूं. इससे लाइफ आसान हो जाती है. मैं बातचीत के दौरान कभी किसी पर आरोप नहीं लगाती, बल्कि अपना पक्ष सबके सामने रखना पसंद करती हूं.
प्र. पर्सनल लाइफ में अभी कौन-कौन है?
मेरे साथ मेरे ‘फियानसे’ रहते हैं, जो अमेरिका के हैं. उनके साथ मेरी सगाई हो चुकी है. शादी करने वाली हूं.
प्र. समय मिले तो कहां जाना पसंद करती हैं?
मुझे ट्रेवलिंग बहुत पसंद है. समय मिलने पर घूमने चली जाती हूं. स्विट्ज़रलैंड बहुत पसंद है.
प्र. किस क्षेत्र में अभी सुधार जरुरी है?
लोगों में आत्म जागरूकता की कमी है, उसे बढ़ाना जरुरी है. इससे सही गलत का अंदाज आपको पता चलता है.
प्र. क्या कुछ मेसेज देना चाहती हैं?
जब भी तनाव किसी को भी हो, अपने परिवार और दोस्तों से शेयर करें,इससे आप काफी हल्का महसूस कर सकते हैं.