ठंड होते ही हम अपने लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव कर लेते हैं. घर से कहीं बाहर जाते वक्त तो हमें लगता है कि जितने ज्यादा गर्म कपड़े पहनकर खुद को ठंड से बचाया जाए, लेकिन हमें फिर भी ठंड महसूस होती रहती है. लेकिन जरा आप सोचिये आपको ऐसे जगह पर भेज दिया जाए जहां का तापमान माइनस में हो और वहां हर चीज जम जाती हो तो आपका क्या रिएक्शन होगा.

आप भी ऐसे जगहों पर जाने से कतराते हैं क्योंकि कुछ दिन घूमकर आना और वहां रहने में जमीन आसमान का अंतर होता है.

लेकिन क्या आपको पता है दुनिया में एक गांव ऐसा भी है, जो चाहे ठंड से निपटने के लिए कितने भी जतन क्यों न कर ले लेकिन वहां लोगों की पलकें और बाल ठंड में जम ही जाते हैं.

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हो सकता है आपने इस गांव के बारे में बीते कुछ दिनों में सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर आपने  इस गांव के बारे में सुना और देखा हो. आज हम आपको इसी गांव के सैर पर ले जाने आएं हैं क्योंकि दुनिया में जितनी ठंड यहां पड़ती शायद ही पूरे विश्व भर में उतनी ठंड पड़ती हो.

क्या सामान के साथ इंसान भी जम जाते हैं

रूस के साइबेरिया में बर्फ की घाटी में बसा एक छोटा सा गांव और इस गांव का नाम है ‘ओइमाकौन’ या Oymyakon. ये एक ऐसा गांव है जहां के छात्र तब स्कूल नहीं जा सकते हैं जब तक यहां का तापमान -52 डिग्री सेल्सियस (-62 डिग्री फारेनहाइट) तक नहीं पहुंच जाता. दूर-दराज के इस साइबेरियन गांव को स्थायी रूप से दुनिया का सबसे ठंडा गांव माना जाता है. और सर्दी के इस मौसम में हाल ही में यहां के तापमान में -62 डिग्री सेल्सियस (-80 डिग्री फारेनहाइट) तक की गिरावट आई है.

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ओइमाकौन गांव रूस की राजधानी मास्को से पूर्व की तरफ 3000 मील दूर स्थित है. बर्फ की चादर ओढ़े इस गांव में दूर-दूर तक कहीं हरा मैदान नहीं दिखता. अब आपको ये भी बता दें कि ओइमाकौन का मतलब होता है, ऐसी जगह जहां पानी न जमता हो, मगर प्रकृति की लीला देखिये कि यहां पानी तो पानी, बल्कि आदमी भी जम जाए. यहां पर इतनी ठंड होने की वजह से आजकल लोगों का रोजमर्रा का काम ठप्प पड़ा हुआ है

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