बौलीवुड बदलाव के दौर से गुजर रहा है, दर्शकों की रुचि बदली है, तो बौलीवुड फिल्में भी कंटैंट प्रधान हो रही हैं अब नईनई प्रतिभाओं को अपना हुनर दिखाने के अवसर मिल रहे हैं. इसी बदले दौर के परिणामस्वरूप साएशा सहगल भी बौलीवुड से जुड़ी हैं. साएशा सहगल की फिल्म ‘उड़न छू’ नए साल में प्रदर्शित हुई है. वे आत्मविश्वास से लबालब हैं. उन का दावा है कि उन्हें अपनी प्रतिभा पर भरोसा है और आने वाला कल उन का होगा. पेश हैं उन से हुई बातचीत के प्रमुख अंश :
आप ने किस प्रेरणा के वशीभूत हो कर अभिनय को कैरियर बनाने की बात सोची?
मेरी परवरिश बहुत ही ज्यादा दकियानूसी पंजाबी परिवार में हुई है. परिवारों में फिल्मों से जुड़ना अच्छा नहीं माना जाता है. मेरे दादाजी सैनिक स्कूल में प्रिंसिपल थे. मेरे पिता सरकारी सेवा में थे. मेरा जन्म नासिक के पास देवलाली में हुआ. फिर मैं ने स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की और किन्हीं वजहों से मेरा मुंबई आना हुआ. मुंबई पहुंच कर मैं थिएटर से जुड़ गई.
मैं बचपन से ही माधुरी दीक्षित की फैन रही हूं. टीवी पर उन की फिल्में देख कर मैं डांस किया करती थी. डांस करने का मेरा बहुत पुराना शौक रहा है. यों तो मैं ने अपने पारिवारिक माहौल को देखते हुए कभी भी अभिनय को कैरियर बनाने की बात नहीं सोची थी, लेकिन यदि प्रेरणा की बात की जाए, तो मुझे प्रेरणा माधुरी दीक्षित से ही मिली. मैं बचपन में उन की फिल्में देख कर डांस किया करती थी. उन के जैसा दिखने की कोशिश करती थी.
फिल्में देखने के बाद जिस तरह से उन्होंने अपनी फिल्मों में एक्सप्रैशन दिए होते हैं, वैसे एक्सप्रैशन शीशे के सामने खड़े हो कर अपने चेहरे पर लाने की कोशिश किया करती थी.
वैसे मेरे पिता ने साफ कह दिया था कि मुझे फिल्मों के बारे में नहीं सोचना चाहिए. पर कहीं न कहीं मेरे दिल में इच्छा थी कि मुझे भी माधुरी दीक्षित की तरह एक बार सिनेमा में आना है और उन की तरह दिखना है. कम से कम मैं एक बार उन की तरह परदे पर डांस जरूर करना चाहती थी.
आप के परिवार वालों को फिल्मों से नफरत क्यों थी?
यदि आप गैरफिल्मी माहौल में हैं, तो आप खुद इस बात को समझते होंगे कि फिल्म इंडस्ट्री को ले कर जिस तरह की खबरें आती रहती हैं, उन के चलते लोग अपने बच्चों के भविष्य को ले कर आशंकित रहते हैं.
जो लोग फिल्मों से नहीं जुड़े हुए हैं, उन की फिल्म इंडस्ट्री के प्रति सोच अच्छी नहीं रही है. मैं उन्हें गलत नहीं मानती, क्योंकि हर मांबाप यह बात सोचते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में उन की लड़की को पता नहीं किस तरह का ट्रीटमैंट मिलेगा.
मुंबई पहुंचने के बाद आप किस थिएटर ग्रुप के साथ जुड़ीं?
मैं ने मुंबई में मुजीब खान के थिएटर ग्रुप ‘आइडिया’ से शुरुआत की. वे प्रेमचंद की कहानियों पर ही नाटक किया करते थे. उन के साथ मैं ने कई नाटक किए. फिर दूसरे ग्रुप के साथ पृथ्वी थिएटर में भी मैं ने कुछ नाटकों में अभिनय किया. इसी के साथ मैं ने कई वर्कशौप किए. हकीकत में मेरी अभिनय की ट्रेनिंग ऐक्ंिटग के वर्कशौप में ही हुई. मैं अभिनय में अतुल मोंगिया को अपना गुरु मानती हूं.
फिल्मों में शुरुआत कैसे हुई?
मेरे कैरियर की पहली फिल्म ‘उड़न छू’ है. इस फिल्म के निर्माता रवींद्र की कंपनी आर विजन के कुछ कार्यक्रमों के लिए मैं एंकरिंग का काम किया करती थी. इसलिए उन से परिचय था. जब उन्होंने फिल्म ‘उड़न छू’ की योजना बनाई, तो सब से पहले मेरा औडीशन व स्क्रीन टैस्ट लिया और हीरोइन के लिए मेरा चयन हो गया.
कैरियर की पहली ही फिल्म में प्रेम चोपड़ा, आशुतोष राणा व रजनीश दुग्गल जैसे कलाकारों के साथ काम करने को ले कर कोई हिचक नहीं थी?
इस फिल्म के लिए हीरोइन के तौर पर सब से पहला चयन मेरा ही हुआ था. उस के बाद बाकी कलाकारों का चयन हुआ. जैसेजैसे इस फिल्म के साथ दिग्गज कलाकार जुड़ते गए, वैसेवैसे मेरे दिल की धड़कन बढ़ती रही. मैं नर्वस हो रही थी कि इन दिग्गजों के सामने मैं कैमरे का सामना कैसे करूंगी.
लेकिन पहली ही मुलाकात में ये सभी कलाकार मेरे साथ इस तरह से पेश आए, जैसे इन सब की भी पहली फिल्म हो और मेरे मन का सारा भय दूर हो गया. मैं ने इन सभी से काफीकुछ सीखा. मैं ने काफी एंजौय किया.
इन कलाकारों ने मुझे सिखाया कि आप चाहे जितने बड़े मुकाम पर पहुंच जाएं, पर हर फिल्म करते समय नवोदित कलाकार की तरह मेहनत करनी चाहिए.
फिल्म में खुद को स्वयंभू भगवान मानने वाले गुरुओं की बात की गई है. क्या कभी आप का वास्ता ऐसे गुरुओं से पड़ा है?
सच कहूं तो मैं आर्मी बैकग्राउंड में रही हूं. दूसरी बात मेरे मातापिता की वजह से निजी जीवन में कभी भी मेरा वास्ता ऐसे धर्मगुरुओं से नहीं पड़ा, लेकिन जो कुछ सुन रही हूं या जिस तरह की घटनाएं हम सुन रहे हैं, उस से लगता है कि बहुत गलत हो रहा है.
गांवों में रह रहे लोगों को ऐसे बाबाओं के संदर्भ में शिक्षित करने की जरूरत है. मुझे यकीन है कि हमारी फिल्म ‘उड़न छू’ लोगों में जागरुकता ले कर आएगी. जब तक लोग शिक्षित नहीं होंगे, तब तक यह सब चलता रहेगा.
आप दक्षिण भारतीय फिल्में भी कर रही हैं?
जी हां, मैं ने दक्षिण भारत में 2 फिल्में की हैं, पर उन फिल्मों में मेरे सिर्फ डांस नंबर ही हैं. एक एस शंकर की तमिल फिल्म ‘पुलीकेशी पार्ट 2’ है. इस के अलावा श्रीकांत की तेलुगू फिल्म में भी आइटम नंबर किया है.
किस तरह के किरदार निभाना चाहती हैं?
अब दर्शक काफी बदल चुका है. अब कंटैंट प्रधान फिल्में दर्शक देखना चाहता है. मैं कंटैंट प्रधान फिल्मों में विविधतापूर्ण व चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना चाहती हूं. जब मैं ने थिएटर करना शुरू किया था, तब सोचा था कि फिल्मों में हीरोइन बनना है. पर अब मैं काफी मैच्योर हो गई हूं. इसलिए अब मुझे मसाला फिल्मों की हीरोइन नहीं बनना है.
मैं खुद की पहचान वर्सेटाइल कलाकार के रूप में स्थापित करना चाहती हूं. फिल्म ‘उड़न छू’ खत्म करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरे अंदर अभिनय के कई शेड्स हैं. जिन्हें मैं अब ऐक्सप्लोर करना चाहती हूं. मैं मान कर चल रही हूं कि आकाश ही मेरी सीमा है.
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