नीना बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी. मातापिता ने उस के सपनों को पंख दिए. उस का सिलैक्शन मैडिकल में हो गया. वहीं उस की मुलाकात समीर से हुई. मैडिकल फाइनल में नीना टौप कर गई. पढ़ाई पूरी करने के बाद घर वालों की रजामंदी से दोनों ने शादी रचाई. नीना की हसरत थी कि वह क्लीनिक खोले. उस में 2-3 साल लग गए. इसी बीच, उस की गोद में रोहन आ गया.
सासससुर का कोई दबाव नहीं था लेकिन इस बात का जिक्र वे हमेशा करते कि बच्चों के सही पालनपोषण के लिए मां का घर पर रहना जरूरी है. 2 वर्ष बाद निधि का जन्म हो गया. नीना कशमकश में थी. बच्चों के लिए समय कम पड़ रहा था. उस ने समीर से बात की. दोनों ने मिल कर निर्णय लिया कि फिलहाल नीना कैरियर से ज्यादा बच्चों पर ध्यान दे. यह ज्यादा सही रहेगा. सासससुर ने न सिर्फ बहू के फैसले का स्वागत किया बल्कि वे सब के सामने बहू के त्याग की प्रशंसा करते.
ऐसा ही कुछ बैंककर्मी विजयलक्ष्मी के साथ हुआ. उस ने और राकेश ने एकसाथ बैंक जौइन किया. दोनों की अरेंज मैरिज थी. बच्चों के जन्म के बाद विजयलक्ष्मी ने फैसला किया कि वह प्रमोशन नहीं लेगी. बच्चों की पढ़ाईलिखाई के लिए किसी एक को स्थायी रहना होगा. भले ही उस ने जौब नहीं छोड़ी लेकिन इस निर्णय के कारण वह कभी आगे नहीं बढ़ सकी. उस के जूनियर बौस होते गए. उस के पति राकेश आज जीएम हैं और वह आज तक उसी टेबल पर कलम घिस रही है.