आजकल नौकरी बदलने, लोन लेते वक्त या ट्रांस्फर के समय लोगों के मल्टीपल एकाउंट खुल जाते हैं. ऐसे में लोग कुछ एकाउंट में ट्रांजेक्शन करते रहते हैं और जबकि कुछ में वो लंबे समय तक कोई लेनदेन नहीं कर पाते हैं. अगर किसी खाते में दो वर्ष तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं किया जाता तो वह इनऔपरेटिव घोषित कर दिया जाता है. ऐसे में अगर आप अपने डौरमेट एकाउंट को एक्टिव कराते हैं तो आरबीआई की गाइसलाइंस के मुताबिक इसपर कोई चार्ज नहीं लगता है. जानिए क्या होते हैं इनऔपरेटिव एकाउंट और इससे जुड़ी हर छोटी बड़ी बात.

क्या होते है इनऔपरेटिव या डौरमेट एकाउंट

जिन बैंक खातों में दो वर्षों से ज्यादा समय तक कोई लेनदेन नहीं होता उन्हें इनऔपरेटिव या डौरमेट एकाउंट कहा जाता है. भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश के अनुसार यह नियम सेविंग्स और करंट दोनों एकाउंट पर लागू होता है. जानकारी के लिए बता दें कि किसी एकाउंट का डौरमेट होने का मतलब एकाउंट फ्रीज होना नहीं होता. खाते को डौरमेट इसलिए किया जाता ताकि इन्हें किसी भी फ्रौड के जोखिम से बचाया जा सके.

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बैंकिंग एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बैंक खाते में तीन साल तक कोई लेनदेन नहीं किया जाता तो इसे इनऔपरेटिव घोषित कर दिया जाता है. वहीं, दस वर्ष तक कोई लेनदेन न करने की स्थिति में इसे डौरमेट एकाउंट घोषित कर दिया जाता है. इन्हें फिर से एक्टिव करवाने पर किसी भी तरह के कोई चार्जेस नहीं लगते हैं. साथ ही अगर ग्राहकों को किसी बैंक खाते में कोई लेनदेन न करना होता तो वह इसे समय रहते बंद करा दें. डौरमेट या इनऔपरेटिव एकाउंट में फ्रौड होने की संभावना ज्यादा होती है.

बैंक एकाउंट को इनऔपरेटिव करने से पहले अकाउंट होल्डर्स से संपर्क करता है बैंक

अगर खाते में एक साल तक कोई लेनदेन नहीं होता तो बैंक खाताधारक या होल्डर को संपर्क करने की कोशिश करता है. संपर्क करने पर अगर कोई जवाब नहीं मिलता है तो बैंक खाताधारक को दो से तीन महीने तक संपर्क करने की कोशिश करता रहेगा. जवाब न मिलने पर खाते को दो वर्ष तक इनएक्टिव कर दिया जाएगा. मसलन इसका स्टेटस इनऔपरेटिव करार कर दिया जाएगा. इसके बाद खाताधारक के पास बैंक एक कौरसपौडेंट को भेजता है यह बताने के लिए कि एकाउंट डौरमेट घोषित कर दिया गया है.

एक साल तक कोई वैध लेनदेन न होने पर खाता इनएक्टिव घोषित कर दिया जाता है. वहीं दो वर्ष तक कोई वैध लेनदेन न होने पर खाता इनऔपरेटिव घोषित कर दिया जाता है.

डौरमेट एकाउंट पर कितना शुल्क लगता है

बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस न होने की स्थिति में चार्ज वसूल सकते हैं. हालांकि, बैंक ग्राहकों से इनऔपरेटिव खातों को एक्टिवेट कराने की स्थिति में कोई शुल्क नहीं ले सकता. वर्ष 2014 में आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी कर बताया था कि इनऔपरेटिव खातों में मिनिमम बैलेंस न होने की स्थिति में बैंक ग्राहकों से किसी तरह का कोई भी चार्ज नहीं ले सकता है.

जानकारी के लिए बता दें कि बैंक इनएक्टिव या इनऔपरेटिव खाते से एटीएम, इंटरनेट बैंकिंग, फोन बैंकिंग औ अन्य सेवाएं बंद कर सकते हैं. साथ ही एकाउंट का स्टेटस कुछ भी हो खाते में नियमित रूप से ब्याज क्रेडिट किया जाता रहेगा.

क्या यह सिबिल पर असर डालता है

खाते को इनऔपरेटिव रखने से खाताधारक के क्रेडिट हिस्ट्री पर कोई असर नहीं पड़ता है. हालांकि, ऐसा सुझाव दिया जाता है कि अगर खाता इस्तेमाल में नहीं आ रहा है तो उस इनऔपरेटिव एकाउंट को बंद कर दें. ऐसा करने से आप अपने बैंक खाते को फ्रौड से बचा सकते हैं.

कैसे करें डौरमेट बैंक एकाउंट को एक्टिव

इनऔपरेटिव खाते को ऑपरेटिव खाता 24 घंटों में कर दिया जाता है. डौरमेट अकाउंट को एक्टिव करवाने के लिए ब्रांच मैनेजर के नाम से आवेदन को ड्राफ्ट करें. इसमें अकाउंट डौरमेट होने से कारण बताएं और अकाउंट को एक्टिव करने के कारण स्पष्ट करें. साथ ही पहचान प्रमाण, पासबुक या बैंक की चेक बुक जमा करें. नो योर कस्टमर की औपचारिकताऔं के बाद बैंक ग्राहक के एकाउंट को एक्टिव मोड में 24 घंटों के भीतर रख देता है. जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी डौरमेट एकाउंट को एक्टिव कराने के लिए कोई शुल्क नहीं पड़ता है.

अगर आपके एक से ज्यादा बैंक खाते हैं तो उन्हें एक्टिव रखने के लिए हमेशा छोटा मोटा लेनेदेन करते रहें. नेट बैंकिंग के समय में अपने खाते को बड़ी आसानी से एक्टिव मोड में रखा जा सकता है.

एक्टिव अकाउंट में करें ट्रांस्जेक्शन

अकाउंट के एक्टिव होने पर उसमें ट्रांस्जेक्शन शुरू कर दें. ऐसा करने से पहले का पैसा भी डिपौजिट हो जाएगा और आप उसे फिर से इस्तेमाल कर सकेंगे.

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