12 वर्ष की उम्र से रोमांटिक कविताएं लिखते आ रहे तथा नौंवीं कक्षा में अपनी पहली प्रेमिका के लिए छह माह के अंदर 2500 पन्ने लिखकर भी उसे दे पाने की जुर्रत न कर पाने वाले जेन खान दुर्रानी अब 16 फरवरी को प्रदर्शित हो रही ओनीर निर्देशित फिल्म ‘‘कुछ भीगे अल्फाज’’ में रोमांटिक किरदार में नजर आने वाले हैं. वह भी वैलेंटाइन डे के प्रबल समर्थक हैं.

प्रस्तुत है उनसे बातचीत के अंश-

आपके लिए मोहब्बत क्या है?

मोहब्बत सिर्फ एक एहसास है. मोहब्बत होने का एक आलम है. मेरे लिए मोहब्बत में हम होते नही हैं, बल्कि खुद मोहब्बत बन जाते हैं. मेरे लिए मेरा प्यार मुकम्मल है. भले ही सामने वाला उसे ठुकरा दे. भले ही मैं अपने प्यार का इजहार ना कर पाऊं. पर मैं अपनी बात सामने वाले तक पहुंचा जरूर दूंगा.

तो फिर आपने 2500 पन्ने पहली प्रेमिका को क्यों नहीं सौपे थे?

आज जो बात कर रहा हूं, यह समझ आते आते काफी देर लग गयी. उस वक्त मैं बहुत छोटा था. पर अब बहुत देर हो चुकी है.

वैलेंटाइन डे मनाते हैं या नहीं..?

मैं वैलेंटाइन डे का बहुत बड़ा समर्थक हूं. हमें किसी को भी कुछ भी करते हुए देखकर कभी गुस्सा नहीं आता, तो फिर किसी को मोहब्बत मनाते हुए देखना क्यों पसंद नहीं करते. मेरे हिसाब से मोहब्बत को हर दिन मनाना चाहिए. मैं तो यही कहूंगा कि वेंलेटाइन के दिन मोहब्बत का जश्न मनाए और आपको याद रखना चाहिए कि सिर्फ 14 फरवरी नहीं बल्कि हर दिन मोहब्बत कर जश्न मनाना है.

पर कुछ लोग इसका विरोध करते हैं?

हम सबके पास अपनी बात कहने का हक है. पर मेरी राय में मोहब्बत से हर समस्या खत्म की जा सकती है.

आपको नहीं लगता कि वैलेंटाइन डे के नाम पर बाजार वाद हावी हो रहा है?

यह सच है कि बाजार वाद हावी हो रहा है. मेरी राय में बाजार वाद और मैटेरियलाइजेशन का विरोध किया जाना चाहिए. जिस इंसान के पास टेडीबियर तक खरीदने के पैसे नहीं, क्या वह वेलेंटाइन डे नहीं मना सकता? क्या वह अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकता? क्या प्यार का एहसास कराने के लिए लाल रंग का टेडीबियर या लाल रंग का तकिया खरीद कर देना जरूरी है. मेरी राय में वैलेटाइन डे को आप बिना कुछ दिए महज मोहब्बत का एहसास कर मना सकते हैं.

मगर जिनके पास धन है, वह कुछ भी खरीदें, उन्हें इसकी छूट है. मैं किसी भी चीज को बाजार वाद के नाम पर तौलने के खिलाफ हूं. जो लोग बैंकबैलेंस या चेहरा देखकर प्यार करते हैं, वह गलत है. असली मोहब्बत आपको सतही चीजों की तरफ कभी नहीं ले जाती. मोहब्बत में सामने वाले इंसान को बदलने की जरूरत नहीं होती. पर मटेरियलाइजेशन के इस युग में सब कुछ करप्ट हो रहा है. वैलेटाइन डे पर आप कहीं भी बैठकर बात करते हुए भी मना सकते हैं.

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