मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा किये जाने वाले सैनिटरी नैपकिन्स के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की बाते की जा रही हैं. एक ओर जहां फिल्मों के माध्यम से इसके इस्तेमाल को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने की कोशिश की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर कई तरह की अफवाहें भी लोगों के बीच जड़ें जमा रही हैं. सैनिटरी नैपकिन्स को लेकर बहुत से लोगों का मानना है कि इससे महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
महिलाएं भी इस खबर को पढ़ रही हैं और इससे काफी डर रही हैं. वो सैनिटरी नैपकिन्स के ऊपर खड़े हो रहे इस सवाल की सच्चाई जानना चाहती हैं. वो ये जानना चाहती हैं कि वाकई इसमें जरा भी सच्चाई है, तो आपको बता दें कि यह बिल्कुल ही भ्रामक तथ्य है. इस बारे में जाइनेकोलौजिस्ट रागिनी अग्रवाल बताती हैं कि ऐसा कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण या फिर शोध अभी तक उपलब्ध नहीं है जो यह बता सके कि सेनिटरी नैपकिन्स के इस्तेमाल से सर्वाइकल कैंसर होता है, हालांकि बाजार में मौजूद तमाम तरह के सैनिटरी नैपकिन्स में बहुत से ऐसे भी नेपकिन हैं जिनके इस्तेमाल से महिलाओं को कुछेक समस्याएं जरूर झेलनी पड़ती हैं लेकिन यह किसी भी तरह के कैंसर का कारण नहीं होता.
रागिनी कहती हैं कि सैनिटरी नैपकिन्स सर्वाइकल कैंसर का कारण नहीं बनते. हालांकि, इनके इस्तेमाल से इर्रिटेशन, खुजली और वेजिनल रिएक्शन जैसी समस्याएं होती हैं. उनका कहना है कि आज बाजार में कई तरह के सैनिटरी नैपकिन्स मौजूद हैं. उनमें बहुत से ऐसे हैं जिन्हें बनाने में प्लास्टिक कंटेंट का इस्तेमाल होता है, जो महिलाओं में एलर्जी और इर्रिटेशन की वजह बनता है. इसके अलावा लंबे समय तक नैपकिन्स न बदलने की वजह से भी यह महिलाओं के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं.
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