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दोस्त और लड़की में से जब भी किसी एक का चयन करना हो, तो एक लड़का किसे चुनेगा? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए फिल्मकार लव रंजन रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘‘सोनू के टीटू की स्वीटी’’ लेकर आए हैं, जो कि प्रभावित नहीं करती.

फिल्म ‘‘सोनू के टीटू की स्वीटी’’ की कहानी शुरू होती है टीटू (सनी सिंह) द्वारा शादी के लिए स्वीटी (नुसरत भरूचा) को देखने जाने से. टीटू के साथ उसका भाई समान दोस्त सोनू (कार्तिक आर्यन), उसके माता पिता, दादा घसीटे (आलोकनाथ) दादी व आदि भी जाते हैं. उससे पहले टीटू और सोनू में बहस होती है कि टीटू क्यों शादी करना चाहता है. सोनू, स्वीटी को पसंद नहीं करता. मगर स्वीटी को टीटू पसंद कर लेता है. सगाई के दिन स्वीटी, सोनू से कह देती है कि वह बहुत बुरी है, वह विलेन है और उसकी शादी के बाद सोनू की इस घर से हमेशा के लिए विदाई हो जाएगी. उसके बाद सोनू अपनी तरफ से स्वीटी को गलत और स्वीटी हर बार खुद को एक नेक भली लड़की साबित करने में जुट जाते हैं.

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कहानी आगे बढ़ती है तो टीटू की पूर्व प्रेमिका पिहू भी आ जाती है. अंततः एक दिन स्वीटी खुलेआम सोनू को चैलेंज करती है कि उसकी शादी होकर रहेगी. क्योंकि जब एक लड़के को दोस्त और लड़की में से किसी एक को चुनना होता है, तो वह लड़की को ही चुनता है. कई घटनाएं तेजी से घटित होती हैं. शादी के लिए बारात पहुंच जाती है. स्वीटी, टीटू के गले में माला डाल देती है. पर फिर क्या होता है, इसके लिए फिल्म देखनी ही पड़ेगी.

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