कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती. 33 वर्षीय लेखिका, उद्यमी और वक्ता प्राची गर्ग इसी फलसफे के साथ युवाओं के बीच एक रोल मौडल बन कर उभरी हैं. प्राची करीब 50 से अधिक सैमिनार में भागीदारी कर चुकी हैं. प्राची महिलाओं से जुड़ी हर समस्या का समाधान करने का प्रयास भी करती हैं. वे कंप्यूटर साइंस से पोस्ट ग्रैजुएट हैं और आईआईटी समेत कई मैनेजमैंट कालेजों के सेमिनार, डिसकशन पैनल, सम्मेलनों जैसी गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेती हैं. महिलाओं को प्रोत्साहित करने को ले कर खासी सजग हैं.

लेखन को मिली नई दिशा

प्राची बताती हैं कि यों तो कुछ पाने के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है, मगर मुझे अपना सपना पूरा करने में मातापिता का पूरा सहयोग मिला. वे कहती हैं, ‘‘मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक बिजनैस फैमिली में हुआ. मेरी फैमिली ने शुरू से ही मुझे प्रोत्साहित किया तभी तो मैं ने छठी, सातवीं क्लास से ही ‘लैटर टू एडिटर’ लिखना शुरू कर दिया था. मुझे लिखने का शौक था और इसी के माध्यम से मेरे लेखन को नई दिशा मिली. ‘‘3 सालों में मेरी 3 किताबें लौंच हुईं और मेरी तीनों किताबें यूनीक विषयों पर हैं जैसे मेरी पहली  बुक ‘सुपर वूमन’ 2016 में लौंच हुई. इस में मैं ने उन 20 महिलाओं के अनुभवों को शामिल किया जिन्होंने मात्र 25-30 साल की उम्र में अपना स्टार्टअप शुरू किया. 2017 में मेरी दूसरी किताब ‘सुपर कपल’ लौंच हुई. इस में 20 कपल्स की कहानी है.

2018 में मेरी किताब ‘सुपर सिबलिंग’ आई जिस में भाईबहनों के स्टार्टअप शुरू करने और उसे सफल बनाने के बारे में बताया गया है.’’

नई चुनौती नए अवसर

प्राची कहती हैं कि जब हम नए चैलेंज को ऐक्सैप्ट करते हैं तो उस के बाद हमें जो खुशी मिलती है उस का अंदाजा लगाना मुश्किल है. वे बताती हैं. ‘‘जब मैं ने अपनी पहली बुक साइन की तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था. इसी के साथ मैं ने एक वैबसाइट बनाई, जिस में कौरपोरेट कंपनियों को घूमने के लिए बाहर ले जाते हैं. ‘‘अकसर परिवारों में यह सोचा जाता है कि महिलाएं व लड़कियां अकेले बाहर घूमने नहीं जा सकतीं क्योंकि आजकल का माहौल ऐसा नहीं है, लेकिन इस के माध्यम से हम उन्हें सुरक्षित माहौल दे कर आउटिंग का लुत्फ उठाने का मजा देते हैं.’’ इस के लिए मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड की तरफ से प्राची को अवार्ड भी मिला.

महिलाएं अब खुल कर बोलें

प्राची का मानना है कि भारतीय महिलाएं अपने विचारों को खुल कर व्यक्त नहीं करतीं. उन्हें लगता है कि उन की सोच से न तो किसी को कोई लेनादेना है और न ही इस से उन की स्थिति में कोई बदलाव आएगा. वे आगे कहती हैं आज भी ज्यादातर महिलाएं पुरानी परंपराओं के अनुसार ही जिंदगी जी रही हैं. इन सब से बाहर निकल उन्हें खुद के लिए आवाज उठानी ही होगी तभी समाज बदलेगा.’’

सफलता पाने का फार्मूला बताते हुए प्राची कहती हैं, ‘‘सफलता पाना तभी संभव है जब आप अपने भीतर के डर को बाहर निकाल कर आगे बढ़ेंगी और यह सोचना छोड़ देंगी कि मैं पैदा ही समझौता करने के लिए हुई हूं. जब हम अपने लक्ष्य को ऊपर रखेंगे तभी आगे बढ़ पाएंगे.’’

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