पोषाहार पाककला और चिकित्सा विज्ञान का उत्तम समन्वय ही नहीं, रोग के निदान और स्वस्थ जीवन की कुंजी भी है. बहुत कम डाक्टर सही मानों में मरीजों को यह कुंजी थमाने में प्रवीण होते हैं.

पाकशास्त्री डाक्टर के नाम से मशहूर डाक्टर टिमोथी हार्लन सैंटर के कार्यकारी निदेशक हैं. उन का मत है कि हर चिकित्सक का एक ही ध्येय है जन स्वास्थ्य. लोगों के जंक और फास्ट फूड की तरफ बढ़ते रुझान से मोटापा और मधुमेह आज विकराल रूप धारण करते जा रहे हैं. आज इन के उपचार से पहले इन की रोकथाम करनी ज्यादा जरूरी है. इसीलिए अब डाक्टर सही खानपान की सलाह देने लगे हैं. महंगी खाद्यसामग्री के कम खर्चीले विकल्प बताने लगे हैं. बाल चिकित्सक सब से अधिक गुणकारी सब्जियों में छोटे बच्चों की रुचि बढ़ाने के तरीके सुझाने लगे हैं.

स्वाद में सेहत जगाएं ऐसे

दैनिक खानपान को सुस्वादु बनाने के बहुत से सरल तरीके हैं. जैसे कि:

ब्रेकफास्ट का सब से उत्तम विकल्प है स्मूदी. शहद, लो फैट दूध, दही और सहज उपलब्ध फल या ज्यादा पके केलों का पौष्टिक ब्लैंड पी कर भूख जल्दी नहीं लगेगी. संतरे, अनार, आम, स्ट्राबैरी के अलावा खरबूजे, तरबूज, अमरूद या टमाटर, पालक आदि के चटपटे जूस की कौकटेल्स बनाइए.

गाजर, मूली, खीरे, ककड़ी आदि के पतले कतलों को थोड़ से शहद, कुचली लहसुन की कलियों, सेंधा नमक, साबूत काली व लालमिर्च के साथ नीबू या सिरके की खटास में धनिएपुदीने के पेस्ट से चटपटा सलाद या अचार बनाया जा सकता है.

आलू, गोभी, ब्रोकली, शकरकंदी, गाजर, बींस, कद्दू, बैंगन आदि को छौंकने के लिए तेल की कुछ बूंदें ही काफी हैं. जीरा अजवाइन, करीपत्ता, मोटी कुटी कालीमिर्च, धनिया और मेथी पाउडर के साथ धीमी आंच पर भूनने या बेक करने से इन का स्वाद और बढ़ेगा. साइड डिश की तरह खाइए या फिर दाल के पानी में उबाल कर सूप बनाएं.

भारतीय रसोई की दाल उत्तम सूप है. सादे पानी में सब्जियों के छिलके उबाल कर स्टौक बना कर रखें. उस में दाल या सब्जी अधिक रुचिकर बनेगी. मीट स्टौक से नौनवैजिटेरियन डिशेज का स्वाद बढ़ेगा. घी, मक्खन या मलाई का विकल्प है गाढ़ा दही.

दाल में मनपसंद सब्जियां या फिर चाहें तो चिकन वगैरह डालें और नाममात्र घी या तेल से छौंकने के बाद गाढ़े दही से स्वाद बढ़ाएं. सादे बेसन या दाल की पकौडि़यों को तलने के बजाय भाप में या खौलते खुले पानी में पकाएं या फिर ढोकले सरीखी बना कर तवे पर हलकी चिकनाई लगा सेंक कर या वैसे ही खाएं.

चोखा केवल आलू या बैंगन का ही नहीं, अन्य सब्जियों का भी बन सकता है. गोभी, कद्दू लौकी, तुरई, गाजर, मटर आदि का अलगअलग या मिलाजुला बनाएं. काले चनों, चुकंदर, राजमा, लोबिया या मूंग की दाल का भी कम स्वादिष्ठ न होगा.

फ्राइड के बजाय बेक्ड पोटैटो चिप्स, पापड़, खाखरा, सूखा पोहा, चना, मुरमुरा, पौपकौर्न, खील, सूखे मेवे, फल, पपीता, कद्दू, सनफ्लौवर के भुने बीज और ग्रनोला आदि से स्नैकिंग कीजिए. केले के स्लाइस प्लास्टिक बैग में फ्रीज कर के खाएं. किशमिश की तरह सूखी स्ट्राबैरी, चैरी, कमरख, पाइनऐप्पल, आम, करौंदे, अनारदाना, बेर आदि भी फांकने के लिए उत्तम हैं. सुखाने के लिए धूप न मिले तो बेक कर लें.

शाम के समय हलदी व अदरक मिली कौफी या चाय को शहद से हलका मीठा करें. चीनी के बजाय शहद मिली शिकंजी में खीरेककड़ी का रस, चुटकीभर नमक, पिसा जीरा व कालीमिर्च, क्लब सोडा और कुटी बर्फ मिलाने से तरावट का भरपूर मजा आएगा.

शाही स्वाद के लिए घी या तेल ही जरूरी नहीं, काजू, बादाम, तिल, पोस्तादाना से भी ग्रेवी को रिच किया जा सकता है. मसालों का जादू जगाया जा सकता है. रिच ग्रेवी के लिए प्याज, लहसुन, अदरक, टमाटर के पेस्ट को घी या तेल में भूनने के बजाय इन्हें कड़ाही या तवे पर साबूत अलगअलग सूखा भून लें.

5-6 बादाम, काजू या एक चम्मच खसखस और तिल भी सूखे भून कर सभी चीजों के साथ थोड़े से दूध में उबाल कर मिक्सी में पीस लें. चाहें तो छान भी सकती हैं.

बच्चों को मैकरोनी, चीज बहुत भाता है, तो उसे मैदे की जगह आटे के पास्ता, लो फैट चीज से बनाएं. सौस में मक्खन वगैरह कम कर के भुनीपीसी सब्जियां आदि बढ़ा दीजिए.

बाजार में उपलब्ध बने बनाए खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए चीनी, नमक, चिकनाई और ऐडिटिव, प्रिजर्वेटिव पर नियंत्रण नहीं हो सकता. खाना बनाना भी एक तरह की थेरैपी है. समय और सुविधानुसार ताजा खाना बनाएं और खाएं.

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