वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने में अब सिर्फ एक महीने का ही समय बचा है. अभी भी तमाम लोग ऐसे होंगे जो ऐसे निवेश विकल्पों की तलाश में हैं जो उनके लिए इस वित्त वर्ष टैक्स की बचत करने में मदद कर सकें. आपको बता दें कि एक वित्त वर्ष के दौरान किसी भी निवेश पर तभी टैक्स फायदा मिलता है जब उसे 31 मार्च से पहले शुरू कर दिया गया हो. हम अपनी इस खबर में आपको बताएंगे कि जिन करदाताओं ने अब तक निवेश नहीं किया है उनके लिए अब कहां निवेश करना और कहां निवेश न करना बेहतर होगा.
कहां ना करें निवेश
टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ टैक्स बचाने के लिए बीमा खरीदना सरासर मूर्खता है. आपको आपके ऊपर निर्भर व्यक्तियों की आर्थिक सुरक्षा के लिए ही बीमा खरीदना चाहिए और वो भी औनलाइन टर्म प्लान. इसलिए आप सिर्फ टैक्स बचाने के लिए बीमा पौलिसी न खरीदें न ही कोई यूलिप प्लान खरीदें.
वैसे ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) एक अच्छा विकल्प है. लेकिन यहां मिलने वाला रिटर्न शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है. ऐसे में इस विकल्प में एकमुश्त राशि निवेश करना समझदारी नहीं होगी. ईएलएसएस में निवेश पूरे साल में औसत तरीके से किया जाना चाहिए.
कहां करें निवेश
अब चूंकि ब्याज की दरें कम हो रही हैं और इसके भविष्य में भी कम होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. आपको निवेश ऐसे विकल्प में करना चाहिए जहां ब्याज दरों के कम होने के बाद भी आपका रिटर्न न घटे. मेरे हिसाब से पांच साल की टैक्स सेविंग फिक्सड डिपौजिट या नेशनल सेविंग सर्टीफिकेट में निवेश किया जा सकता है. बैंक एफडी में आपको 6.50 फीसद से 7.50 फीसद तक का रिटर्न अगले पांच वर्षों तक मिलेगा. वहीं एनएससी में मौजूदा ब्याज दर 8 फीसद है, जो आने वाले पांच वर्षों के लिए निश्चित है. आरबीआई की ओर से ब्याज दरें घटाने का भी इस रिटर्न पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बैंक एफडी की तुलना में एनएससी ज्यादा आकर्षक है.
एफडी से ज्यादा एनएससी आकर्षक क्यों?
बैंक एफडी के मुकाबले एनएससी ज्यादा आकर्षक विकल्प है क्योंकि जरूरत पड़ने पर आप एनएससी के सामने बैंक से लोन भी ले सकती हैं. इसके अलावा एनएससी पर मिलने वाला ब्याज आपकी आय में जुड़ता है लेकिन शुरू के चार वर्षों में मिले ब्याज पर आप सेक्शन 80सी में कटौती का लाभ भी ले सकती हैं.
फिक्सड डिपौजिट और एनएससी के अलावा तीसरा वित्तीय उत्पाद जिसमें आप अभी भी निवेश कर सकती हैं वह पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) है. चूंकि आप पीपीएफ खाते से कर्ज भी ले सकती हैं और कुछ समय बाद निकासी भी कर सकती हैं. लेकिन आपकी ओर से जमा करवाया हुआ पूरा पैसा आप सिर्फ 15 साल बाद ही निकाल सकती हैं. हालांकि पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह करमुक्त है. परंतु भविष्य में होने वाली ब्याज दर में कटौती का असर आपके पीपीएफ खाते के पूरे बैलेंस पर पड़ेगा. अत: आप अपनी भविष्य की जरूरत के हिसाब से निश्चित कर सकती हैं कि आप पीपीएफ में निवेश करेंगे या बैक एफडी और एनएससी जैसे विकल्प आपके लिए बेहतर होंगे.
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