पायल अपने जन्मदिन पर कपड़े लेने के लिए शौपिंग मौल गई और बड़े जतन से अपनी पसंद के कपड़े और अन्य सामान ट्रौली में भर कर बिल काउंटर पर पहुंची. बिलिंग काउंटर पर बिल बनवाने के बाद पैसे निकालने के लिए जैसे ही उस ने अपना पर्स खोला तो उस के होश उड़ गए क्योंकि पर्स में वौलेट ही नहीं था. पहले तो उसे लगा कि वौलेट किसी ने उड़ा लिया जिस में ढेर सारी नकदी, क्रैडिट और डैबिट कार्ड थे. उस ने घटना की सूचना देने के लिए घर में फोन किया तो मम्मी ने बताया कि जल्दबाजी में उस ने वौलेट घर पर ही छोड़ दिया था और घर में  मम्मी के अलावा और कोई नहीं था जो उस का वौलेट उसे ला कर दे जाता.

अब उस के पास घर जा कर अपना वौलेट लाने के सिवा और कोई चारा नहीं था. यही सोच कर उस ने काउंटर क्लर्क से कहा कि घर जा कर अपना वौलेट ले कर आने में उसे करीब 2 घंटे लगेंगे तब तक वह सामान वैसे ही रखे लेकिन काउंटर क्लर्क ने अधिक देर तक सामान रखने से मना कर दिया. पायल ने इतनी मेहनत से अपनी पसंद के रंग और साइज के कपड़े निकाल कर अच्छी तरह से पहन कर चैक किए थे और वह इसे इतनी आसानी से उन्हें वापस नहीं लौटाना चाहती थी परंतु उस के पास ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

उस दिन पायल यही सोच रही थी कि काश कोई ऐसा मोबाइल ऐप होता जिस के माध्यम से वह अपने स्मार्ट फोन से ही यह भुगतान कर देती. पायल जैसे कई लोग हैं जिन्हें  इस तरह की समस्याएं आती हैं. दूसरी ओर नकद खरीदने में कई बार खुले पैसे नहीं होने के कारण अधिक पैसे भी देने पड़ते हैं या उस राशि का ऐसा सामान खरीदना पड़ता है जो उन के लिए कतई जरूरी नहीं होता वहीं नकदी नोट के लुटने, खोने या फटने का भी खतरा होता है. सब से बड़ी बात तो नकदी लेनदेन से कालेधन को भी बढ़ावा मिलता है जिस के कारण देश की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित होती है. यही कारण है कि सरकार ही नहीं अब कंपनियां भी कैशलैस यानी नकदी रहित भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ा रही हैं.

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