31 वर्षीय अनामिका और उन के परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा जब उन्हें पता चला कि वह जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली है. कहां तो उन की शादी के 6 साल बाद भी 1 औलाद होने का सुख नहीं मिल पा रहा था और कहां अब जुड़वां बच्चे अमायरा और अरमान के जन्म से उन्हें जिंदगी का सब से खूबसूरत तोहफा मिला. अनामिका ने दोनों बच्चों को आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक के जरीए बिना किसी परेशानी के जन्म दिया था.
आईवीएफ के जरीए गर्भधारण करने के बाद जब अनामिका और उस के पति कुशाल डाक्टर के पास अल्ट्रासाउंड कराने गए, तो उन्हें अंदाजा भी न था कि अनामिका के गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं. अनामिका और उस के पति कुशाल ने जुड़वां बच्चों के लिए कोशिश भी नहीं की थी. लेकिन अनामिका के डाक्टर ने आईवीएफ के जरीए 2 भू्रण अनामिका के गर्भ में प्रत्यारोपित किए थे. उसी के परिणामस्वरूप उसे जुड़वां बच्चे हुए और उन की खुशी दोगुनी हो गई.
इस तकनीक से संभव
मगर अनामिका और कुशाल की तरह कई दंपती ऐसे भी होते हैं, जो जुड़वां बच्चे पाने की चाह में आईवीएफ तकनीक अपनाते हैं. वास्तव में आईवीएफ तकनीक के द्वारा मातापिता बनने की चाह रखने वाले दंपती जब अस्पताल आते हैं, तो आधा समय वे यही पूछते रहते हैं कि क्या आईवीएफ के जरीए जुड़वां या 3 बच्चों को एकसाथ जन्म देने के अवसर बढ़ जाते हैं?
तो इस प्रश्न का उत्तर है कि यह दंपती के ऊपर निर्भर करता है. एकसाथ 2 या 2 से अधिक बच्चों का जन्म होना पहले के मुकाबले आज के दौर में कहीं ज्यादा आम है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि आज ज्यादातर महिलाएं बांझपन का इलाज करा लेती हैं. इस के साथ ही आज ज्यादातर दंपती कामकाजी हैं. ऐसे में उन की यही सोच होती है कि क्यों न एक बार में ही 2 बच्चों को जन्म दिया जाए. इस तरह एक बार में ही परिवार पूर्ण हो जाएगा.
बुनियादी तौर पर आईवीएफ के जरीए आप और आप के डाक्टर इस बात का निर्धारण कर सकते हैं कि आप के गर्भ में कितने भू्रण हस्तांतरित किए जाएं. यहां यह जानना जरूरी है कि अगर आप केवल एक ही भू्रण हस्तांतरित कराती हैं, तो आप को जुड़वां या एकसाथ 3 बच्चे होना असंभव है. यहां तक कि एकल भू्रण हस्तांतरित कराने से सफल गर्भधारण की संभावना भी कम हो जाती है, क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि आप का भू्रण बच्चेदानी में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित हो ही जाएगा.
यही कारण है कि बहुत सी महिलाएं, जो बारबार गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, वे एकसाथ 1 से ज्यादा भू्रण प्रत्यारोपित कराती हैं.
बढ़ रही है मांग
यह जानना मजेदार है कि एकल भू्रण के मुकाबले गर्भ में एकसाथ कई भू्रण स्थानांतरित कराने से गर्भधारण करने के अवसर में जहां बहुत मामूली वृद्धि होती है, वहीं एकसाथ कई बच्चों के जन्म देने के अवसर भी बढ़ जाते हैं. आईवीएफ चक्र की सफलता में कई कारकों के साथ ही महिला की उम्र, उस का स्वास्थ्य, भू्रण की जीवनक्षमता आदि मुख्य भूमिका निभाते हैं.
अगर आप अपने आईवीएफ चक्र के दौरान 1 से ज्यादा भू्रण हस्तांतरित कराने का विकल्प चुनती हैं, तो आप के जुड़वां या 3 बच्चों के जन्म देने के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं. एकसाथ कई भू्रण प्रत्यारोपित कराने का चलन आज युवा दंपतियों के बीच आम हो चला है, क्योंकि एक बार में ही उन के घर 2 बच्चों का जन्म हो जाता है. आईवीएफ की मांग आजकल इसलिए भी है, क्योंकि आज आम राय है कि 1 बच्चे का जन्म हो या 2 का, खर्च तो बराबर ही आता है. चूंकि आईवीएफ तकनीक बेहद खर्चीली है, इसलिए ज्यादातर दंपती चाहते हैं कि एक बार में ही उन का परिवार पूरा हो जाए.
इस का मतलब यह नहीं है कि दंपती 1 से ज्यादा बच्चों के लिए दबाव डालते हैं, लेकिन हां, इस के लिए अपनी इच्छा जाहिर जरूर करते हैं, खासकर कामकाजी महिलाएं, क्योंकि वे चाहती हैं कि 1 बार में ही उन का परिवार पूरा हो जाए ताकि उस के बाद वे अपने कैरियर पर पूरा ध्यान दे सकें.
– डा. अरविंद वैद, फर्टिलिटी ऐक्सपर्ट