2016 में प्रदर्शित सफल फिल्म ‘‘बागी’’ की सिक्वअल फिल्म है-‘बागी 2’, जिसमें इस बार टाइगर श्राफ के साथ दिशा पटनी ने मुख्य भूमिका निभायी है. एक्शन से भरपूर यह फिल्म इंटरवल तक दर्शकों को बांधकर रखती है. मगर इंटरवल के बाद दर्शक निराश होते हैं.
फिल्म शुरू होती है गोवा के एक स्कूल के सामने से. जहां नेहा (दिशा पटनी) अपनी चार वर्ष की बेटी रिया को स्कूल छोड़ने आयी है. अचानक उसकी कार के पीछे एक दूसरी गाड़ी आकर रुकती है, जिसमें से दो लोग निकलकर नेहा को उसकी गाड़ी से निकालकर घायल कर सड़क पर फेक देते हैं. और उसकी गाड़ी व बेटी रिया को लेकर भाग जाते हैं. फिर कहानी दो माह के बाद गुरुद्वारा से शुरू होती है, जहां नेहा मदद मांगने हर दिन आती रहती है.
गुरुद्वारा के ग्रंथी उसे आश्वासन देते हैं कि कोई न कोई उसकी मदद करेगा, तब उसे अपने पूर्व प्रेमी रौनी (टाइगर श्राफ) की याद आती है. और वह रौनी को फोन करती है. उधर कश्मीर मे सैनिक छावनी में रौनी उर्फ कमांडो रणवीर प्रताप सिंह (टाइगर श्राफ) को मानवाधिकार आयोग के सवालों का सामना कर रहा है. उस पर आरोप है कि आतंकवादियों की हत्या करने के बाद लोगों के पत्थरों से बचने के लिए एक इंसान को ढाल के तौर पर अपनी गाड़ी के आगे बोनट पर बांधने का. उसे साफ बरी कर दिया जाता है. तभी उसे नेहा का फोन मिलता है.
सात दिन की छुट्टी लेकर वह गोवा के लिए रवाना होता है. कश्मीर से गोवा पहुंचते पहुंचते रौनी को कौलेज दिनों में नेहा से अपनी पहली मुलाकात, प्यार और फिर किस तरह नेहा के पिता ने नेहा की शादी शेखर (दर्शन कुमार) से करा दी थी, वह सब याद आता है. इस प्यार में गम सहने के बाद वह गुस्से से आर्मी से जुड़ जाता है.
गोवा में नेहा, रौनी को बताती है किस तरह उसकी बेटी रिया का दो माह पहले अपहरण हुआ था, पर अब तक उसकी बेटी नहीं मिली. पुलिस ने यह मसला बंद कर दिया है. रौनी, नेहा के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचता है. पुलिस इंस्पेक्टर से कुते के गलत व्यवहार पर रौनी मारामारी कर लेता है. जिसके चलते उसे लौकअप में डाल दिया जाता है. रात में ढाई बजे डीआईजी शेरगिल (मनोज बाजपेयी) आकर उसे छोड़ देते हैं.
अब रौनी, उस्मान (दीपक डोबरियाल) से किराए पर गाड़ी लेकर रिया की तलाश में लग जाता है. एक दिन उसे पता चलता है कि शेखर का छोटा भाई सनी (प्रतीक बब्बर) हमेशा ड्रग्स में डूबा रहता है और उसका संबंध ड्रग्स के धंधे से है. इसी बीच उसकी मुलाकात हौटेल में अपने बगल वाले कमरे में ठहरे लखनऊ के पुलिस इंस्पेक्टर त्यागी से होती है. वह चालाकी से त्यागी का पहचान पत्र हथिया लेता है. अब वह उत्तर प्रदेश का पुलिस औफिसर त्यागी बनकर अपने मिशन में जुट जाता है. पर सफलता नहीं मिलती है. तब वह अखबार में रिया के लापता का विज्ञापन छपवा देता है.
विज्ञापन छपने के बाद रौनी के पास कई फोन आते हैं. वह एक इंसान से हौटेल में मिलता है, जो कि खुद को रिया का पिता बताता है और रिया का जन्म प्रमाणपत्र सहित सारी चीजें दिखाता है. उसका दावा है कि उसकी बेटी मुंबई में गुम हुई थी. तो वहीं शैखर, रौनी को बुलाता है और उसे एक नयी कहानी सुनाता है. शेखर के अनुसार उनकी अपनी कोई बेटी नहीं है. नेहा का गर्भपात हो गया था. इस सदमें वह पगला गयी है और नेहा को लगता है कि उसकी बेटी रिया थी, जबकि हमारी कोई बेटी नहीं है.
शेखर से सारा सच सुनने के बाद रौनी को भी यकीन हो जाता है कि रिया गलत है और वह नेहा के पास पहुंच कर कह देता है कि उसकी कोई बेटी नहीं है, फिर वह क्यों नाटक कर रही है? नेहा कहती है कि सारे लोग झूठ बोल रहे हैं. पर रौनी,नेहा की बात पर यकीन नहीं करता है. वह उसे अलविदा कह कर वापस आने लगता है, तो अचानक उसकी नजर दीवार पर लिखे कुछ वाक्यों पर पड़ती है और उसे अहसास हो जाता है कि नेहा सच बोल रही है. पर तब तक देर हो चुकी होती है. नेहा छठे माले से छलांग लगाकर आत्महत्या कर चुकी होती है.
इधर अब गोवा पुलिस स्टेशन में पंजाब के मशहूर पुलिस इंस्पेक्टर एलएसडी (रणदीप हुड्डा) का आगमन हो चुका हैं, जिनकी वेषभूषा पुलिस की नहीं, बल्कि चरसियों वाली है. बहुत तेज तर्रार है. एलएसडी के आने से डीआईजी शेरगिल भी अंदर से डर जाते हैं. नेहा की मौत की जांच करते हुए एलएसडी, शेखर से पूछताछ करते हुए कह देता है कि वह सब कुछ झूठ बोल रहा है.
उधर नेहा की मौत के बाद उस्मान, रौनी को बता देता है कि रिया, सनी के पास है. वास्तव में उस्मान भी सनी के ड्रग्स के व्यापार से जुड़ा हुआ है. रौनी, सनी के अड्डे पर उसे पकड़ने का प्रयास करता है, पर वह भागता है और बीच सड़क पर इन दोनों को एलएसडी पकड़ लेता है. पुलिस स्टेशन में पूछताछ के दौरान ही डीआईजी शेरगिल पहुंच जाते हैं और बडे़ नाटकीय तरीके से वह सनी को गोली मार देते हैं. फिर शेरगिल अपने घर रौनी को समझाते हैं कि वह ऐसा कदम ना उठाए, जिससे चीजें उलझ जाए. उसी दौरान वह किसी को फोन पर कहते हैं कि मैं तुम्हारे लिए कुछ भेज रहा हूं.
रौनी, शेरगिल के पास से निकलकर उस्मान के पास पहुंचता है, तो वहां पता चलता है कि उस्मान को दो लोगों ने अधमरा कर दिया है, रौनी गुस्से में उन दोनों की हत्या कर देता है. इस बीच उस्मान भी मर जाता है, तभी मेरे हुए इंसान का फोन बजता है. उससे रौनी को पता चलता है कि शेरगिल ने उसकी तस्वीर खींच कर इन आदमियों के पास भेजी थी, जिससे कि वह रौनी को मार सके.
अब रौनी को रिया के होने की जगह का पता चल जाता है. रौनी रवाना होता है. एलएसडी भी अपनी फौज के साथ उसका पीछा कर रहा है और जब लोग बीच पर बने फार्महाउस में तमाम हत्याएं करते हुए अंदर पहुंचते हैं. तो उसका सामना शेरगिल से होता है. एलएसडी की गोलियों सेशेरगिल मारा जाता है. लेकिन उससे पहले शेरगिल कबूल कर लेता है कि पैसा कमाने के लिए असली ड्रग्स माफिया तो वही है, उसी के आदेश पर ही गोवा में सारा ड्रग्स का कारोबार फैला हुआ है.
रिया भी उसी के कब्जे में है. शेखर और सनी ने शेरगिल के कहने पर स्कूल सहित हर जगह पैसा खिला रखा था, वास्तव में शेखर को एक दिन पता चल जाता है कि नेहा कभी मां नहीं बन सकती. क्योंकि शेखर नपुंसक है. तब शेखर को अहसास हो जाता है कि रिया उसकी अपनी बेटी नहींहैं और अब वह रिया को खत्म करने की कोशिश करता है. इसलिए सनी से कहकर उसने रिया का अपहरण करवाया, जो बाद में शेरगिल के पास पहुंच गयी. अंत में अब रौनी को अहसास होता है कि रिया, रौनी और नेहा की प्रेम की निशानी है, फिर वह बेटी को अपने साथ रख लेता है.
कथानक के स्तर पर नवीनता न होते हुए भी इंटरवल तक फिल्म की पटकथा अच्छी है, मगर इंटरवल के बाद फिल्म बिखर जाती हैं. फिल्म का जो रहस्य अंत में आता है, पटकथा लेखन की कमी के चलते उस रहस्य का आकलन दर्शक बीच में ही कर लेते हैं. इंटरवल के पहले ही दिशा पटनी का किरदार खत्म हो जाता है. फिल्म के संवाद ठीक ठाक हैं.
फिल्म का गीत संगीत प्रभावित नहीं करता. फिल्म में एक पुरानी फिल्म का अति मशहूर गाना ‘एक दो तीन ..’ का रीमेक किया गया है. पहले इस गाने पर माधुरी दीक्षित ने नृत्य किया था. मगर इस बार इस फिल्म में यह गाना जैकलीन फर्नांडिज पर फिल्माया गया है. यह गाना पुराने गीत की तुलना में कहीं नहीं ठहरता.
एक्शन प्रधान फिल्म के हिसाब से काफी अच्छे एक्शनन दृश्य है. मगर फिल्म के अंतिम तीस मिनट में एक्शन जबरन ठूंसा हुआ लगता है, जिसके चलते फिल्म भी लंबी हो गयी है. इतना ही नहीं टाइगर श्राफ द्वारा प्रतीक बब्बर का पीछा करने का सीन भी बेवजह टीवी सीरियल की तरह लंबा खींचा गया है. यदि इसे एडीटिंग टेबल पर कसा जाता तो बेहतर होता.
जहां तक अभिनय का सवाल है, तो टाइगर श्राफ व दिशा पटनी की केमिस्ट्री काफी अच्छी जमी है. वैसे भी निजी जीवन में उनके बीच जिस तरह के रिश्ते की चर्चाएं होती रहती हैं, उसे देखते हुए यह केमिस्ट्री अच्छी होनी ही थी. फिल्म में टाइगर श्राफ की मेहनत भी नजर आती है. मगर टाइगर श्राफ को अभी भी संवाद अदायगी पर मेहनत करने की जरुरत है. दिशा पटनी ने प्रेमिका व पत्नी दोनों ही किरदारों को बेहतर तरीके से जिया है. खुशी व गम हर तरह के भाव उनके चेहरे पर अच्छे ढंग से उभर कर आते हैं. जबकि टाइगर श्राफ ने अपने एक्शन दृश्यों पर मेहनत करने के अलावा अपने शरीर को दिखाने पर ही ज्यादा ध्यान दिया है.
छोटे किरदार में भी प्रतीक बब्बर निराश करते हैं. दर्शन कुमार की प्रतिभा को जाया किया गया है. ड्रग माफिया और डीआईजी शेरगिल दोनों ही किरदारों में मनोज बाजपेयी अपनी छाप छोड़ते नजर आते हैं, मगर उनके अभिनय में कई जगह दोहराव नजर आता है. दीपक डेाबरियाल ठीक ठाक ही हैं.
दो घंटे 14 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘बागी 2’’ का निर्माण साजिद नाड़ियादवाला ने किया है. फिल्म के निर्देशक अहमद खान, संवाद कथा लेखक हुसेन दलाल, पटकथा लेखक जो जो खान, अब्बास हैरापुरवाला, नीरज कुमार मिश्रा, संगीतकार जुलियस पक्कियम, मिठुन, संदीपशिरोड़कर, गौरव रोशिन व प्रणय रिजय, कैमरामैन संथाना कृष्णन व रविचंद्रन तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं – टाइगर श्राफ, दिशा पटनी, प्रतीक बब्बर, मनोज बाजपेयी, दर्शन कुमार, रणदीप हुड्डा, दीपक डोबरियाल और ‘एक दो तीन’ गाने में जैकलीन फर्नांडिज.