उत्तराखण्ड को प्रकृति ने बड़ी शिद्दत से संवारा है. यहां कुदरत के करिश्मों का अंबार है. जिधर नजर डालो वहां हरियाली और खूबसूरत वादियां ही नजर आते हैं. उत्तराखण्ड के पौडी जिले में स्थित ऐसी ही एक सुन्दर जगह है लैंसडाउन. समुद्री तल से 1706 मीटर की ऊंचाई पर बसे लैंसडाउन में सेना की छावनी भी है. चारों तरफ पहली हरियाली आपको एक अलग ही एहसास दिलाएगी. 1887 में, भारत के वाइसरॉय रहे लोर्ड लैंसडाउन ने इस हिल स्टेशन की खोज की थी. इस जगह को पहाड़ों को काटकर बसाया गया था. लैंसडाउन का वास्तविक नाम कालूडांडा था.

बलूत और देवदार के जंगलों से घिरा यह हिल स्टेशन सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है. साथ ही, यह पर्यावरणीय पर्यटन के लिए भी उत्तम स्थान है.

कहां घूमें?

प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर लैंसडाउन में देखने के लिए काफी कुछ है.

टिप एन टॉप

टिप एन टॉप को टीफिन टॉप भा कहा जाता है. अगर आप प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लेना चाहती हैं तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए. आप यहां से बर्फीली चोटीयों का मनोरम दृश्य देख सकती हैं. दूर-दूर तक फैले पर्वतों और उनके बीच बसे छोटे-छोटे गांवों यहां से देके जा सकते हैं.

गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक

गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट युद्ध स्मारक और गढवाली मैस यहां के लोकप्रिय पर्यटक स्थल है. गढवाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक का निर्माण 11 नवंबर 1923 में, भारत के पूर्व कमांडर इन चीफ, ट्रेंट के लोर्ड लोरींस्न ने करवाया था. 1888 में, अंग्रेजों द्वारा बनाई गई गढ़वाली मैस लैंसडाउन की प्राचीन इमारत है. जो आज, एशिया के प्रमुख संग्रहालयों में से एक है.

भुल्ला तालाब

भुल्ला तालाब गढ़वाल राइफल्स के योद्धाओं को समर्पित, अप्राकृतिक सुन्दर झील, लैंसडाउन का आकर्षक स्थल है. इस झील का नाम गढ़वाली शब्द ‘बूल्ला’ पर रखा गया है. आपने डूबते सूरज को तो कई बार देखा होगा, पर इस झील के किनारे बैठकर डूबते सूरज को देखना एक अलग ही एहसास कराता है.

सेंट मैरी चर्च

1895 में ए.हेच.बी ह्यूम द्वारा बनाई गई सेंट मैरी चर्च, लैंसडाउन के सुन्दर चर्चों में से एक है. इस विक्षिप्त चर्च को गढ़वाल रेजिमेंटल राइफल्स सेंटर फिर से खड़ा किया है और अब यहां आजादी के पहले के भारत के चित्रों का प्रदर्शन किया जाता है.

भीम पकोड़ा

2 किमी के ढलान पर ट्रेक कर के यहां पहुंचना पड़ता है. यहां एक के ऊपर एक दो बड़े पत्थर बिल्कुल बैलेंस में रखे हैं. वैसे तो पत्थरों को हिलाया जा सकता है, पर कोई भी पत्थरों को गिरा नहीं पाया है.

अगर आपको ऐडवेन्चर पसंद है तो आप यहां ट्रेकिंग और जंगल सफारी भी कर सकती हैं.

कैसे पहुंचे?

दिल्ली से लैंसडाउन आसानी से पहुंचा जा सकता है.

रोड से: आप कैब बुक कर के या बस द्वारा लैंसडाउन पहुंच सकती हैं.

रेल से: कोटद्वार यहां पहुंचने का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है. कोटद्वार से फिर टैक्सी से लैंसडाउन पहुंचा जा सकता है.

हवाई अड्डा: जौलाग्रांट एयरपोर्ट यहां पहुंचने का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है. यह लैंसडाउन से 152 कि मी की दूरी पर है.

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