23 वर्षीय ईशान खट्टर की परवरिश फिल्मी माहौल में हुई है. उनकी मां नीलिमा अजीम, पिता राजेश खट्टर और सौतेले भाई शाहिद कपूर यह सभी अभिनय के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं. ऐसे में ईशान खट्टर का अभिनय के क्षेत्र से जुड़ना कोई अनहोनी बात नहीं है. मगर खुद ईशान का दावा है कि यदि उनकी परवरिश गैर फिल्मी परिवार में हुई होती, तो भी वह अभिनय को अपना करियर बनाते. बहरहाल, ईशान खट्टर के करियर की पहली फिल्म ‘‘बियांड द क्लाउड्स’’ 20 अप्रैल को प्रदर्शित हो रही है, जिसका निर्देशन मशहूर ईरानियन फिल्मकार माजिद मजीदी ने किया है.
आप जिस परिवार से हैं, उसे देखते हुए आपके अभिनय से जुड़ने में कोई नई बात नजर नहीं आती?
आप ऐसा कह सकते हैं. पर मुझे लगता है कि यदि मैं गैर फिल्मी परिवार से होता तो भी देर सबेर फिल्मों से जुड़ता. सिनेमा और अभिनय मेरा पैशन है. मुझे याद है एक बार मैं अपने भाई शाहिद कपूर के साथ महेश मांजरेकर की फिल्म ‘‘लाइफ हो तो ऐसी’’ के सेट पर गया था. वहां बच्चों के साथ दृष्य फिल्माया जाना था. जिसे देख मैंने भी जिद की, कि मैं भी अभिनय करुंगा. महेश मांजरेकर सर ने बच्चों के साथ मुझे भी शामिल कर लिया. मेरा काम देखकर उन्होंने मेरे दो तीन दृष्य बढ़ा दिए थे. उसके बाद फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में मैं सहायक निर्देशक के तौर पर काम कर रहा था, पर एक छोटा सा किरदार निभाया था.
आपने अभिनय की ट्रेनिंग नहीं ली?
जी नही! मैं तो सेट पर काम करते हुए सीखना चाहता था. मगर पूरी फिल्म मेंकिंग को समझने के लिए मैंने कश्मीर में फिल्माई गयी फिल्म ‘‘हाफ विडो’’ और ‘‘उड़ता पंजाब’’ में बतौर सहायक निर्देशक काम किया. पर मैने शामक डावर से नृत्य का प्रशिक्षण हासिल किया है.
फिल्म ‘‘बियांड द क्लाउड्स’’ कैसे मिली?
मेरे लिए फिल्म निर्देशक माजिद मजीदी का नाम नया नहीं था. मैंने उनकी कई फिल्में देख रखीं थी. जब कास्टिंग डायरेक्टर हनी त्रेहान ने मुझे इस फिल्म के लिए बुलाया और कहा कि माजिद मजीदी सर से मिलना है, तो मैं पूरे जोश व उत्साह के साथ उनसे मिलने गया. हमारे बीच कुछ बातचीत हुई. उसके बाद उन्होंने मुझे मेरे किरदार के बारे में थोड़ी सी जानकारी दी. फिर उन्होंने मुझसे कहा कि मैं कुछ चीजे मूड के आधार पर मोबाइल पर फिल्माकर लाउं. मैंने वह लाकर दिया और मेरा चयन हो गया.
तमाम कलाकार ऐसे हैं, जिन्हें ऐसा सुनहरा मौका नहीं मिलता. माजिद मजीदी की यह फिल्म काफी जटिल है. मेरे किरदार में कई लेअर हैं. लेकिन मुझे कोई डर नही लगा. क्योंकि इस फिल्म ने मुझे चुना था, मैंने इस फिल्म को नहीं चुना. जब मुझे यह फिल्म मिली तब और आज भी मैं इस स्थिति में नहीं हूं कि मैं माजिद मजीदी की फिल्म को चुन सकूं. मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि जब माजिद मजीदी ने मेरा आडीशन लेकर मुझे इस फिल्म के लिए चुना, उस वक्त उन्हें नही पता था कि मैं फिल्मी परिवार से संबंध रखता हूं.
फिल्म ‘’बियांड द क्लाड्स’’ क्या है?
यह फिल्म भाई बहन के बीच के रिश्ते और उनके बीच के गठबंधन की बात करती है. यह फिल्म पारिवारिक रिश्तों की बात करती है. इस फिल्म को करते हुए मैने जो मूल्य सीखे हैं, वह आजीवन मेरे साथ रहेंगे.
अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगें?
मैंने आमीर का किरदार निभाया है. उसकी बड़ी बहन तारा है. दोनों अनाथ हैं. वह अपनी बहन के साथ ही रह रहा है. मगर 13 वर्ष की उम्र में कुछ परिस्थितियों के चलते आमीर बहन का घर छोड़कर चला जाता है और खुद जुगाड़ कर अपनी जिंदगी गुजारने लगता है. सड़क पर घूमते हुए जल्द से जल्द धन कमाने के जुगाड़ में लगा रहता है. आमीर अतिमहत्वाकांक्षी व इंटरप्रायजिंग है.
कुछ खास तैयारी करनी पड़ी?
वजन घटना पड़ा. पर सेट पर मैं हमेशा मौजूद रहता था. जब मेरे दृष्य नहीं होते थे, तो भी मैं सेट पर रहकर माजिद सर को काम करते हुए देखता और सीखता था.
माजिद मजीदी के साथ काम करने के अनुभव क्या रहे?
माजिद सर मेरे लिए पिता के समान हैं. जब तक आपके साथ उनका इक्वेशन ना बन जाए, वह आपसे बात नहीं करते हैं. एक बार उनके साथ आपकी ट्यूनिंग बैठ गयी, तो वह आपको इंसानों की तरह प्यार करने लगते हैं. वह पारिवारिक इंसान हैं और उनके लिए रिश्ते बहुत अहमियत रखते हैं. यही वजह है कि वह अपनी फिल्मों में भी रिश्तों को बड़ी खूबसूरती से पेश करते हैं.
फिल्म‘‘बियांड द क्लाउड्स’को कहां पर फिल्माया गया है?
मुंबई के अलावा इसे राजस्थान में सांबर के एक गांव के मकान में फिल्माया गया है.
क्या वजह है कि राजस्थान से आपका संबंध कुछ ज्यादा ही बन गया है?
आपने बड़ा दिलचस्प सवाल पूछ दिया. मेरी पहली फिल्म ‘बियांड द क्लाउड्स’की शूटिंग राजस्थान में हुई. मेरी दूसरी फिल्म ‘धड़क’ की भी शूटिंग राजस्थान में हुई. सच कहूं तो मैं सबसे पहली बार राजस्थान 2016 में गया था. तब मैं जयपुर और अजमेर शरीफ गया था. अजमेर शरीफ में दुआ करके जैसे ही मैं मुंबई लौटा, मुझे फिल्म ‘‘बियांड द क्लाउड्स’’ मिल गयी. इत्तफाक की बात यह है कि ‘बियांड द क्लाउड्स’ की पूरी कहानी मुंबई बेस है. पर घर के आंतरिक हिस्से की शूटिंग के लिए हमें राजस्थान जाना पड़ा. जयपुर से कुछ दूर पर गांव है सांबर, वहां पर हमने शूटिंग की. मेरी दूसरी फिल्म है ‘धड़क’. इस फिल्म में मैं राजस्थान में उदयपुर के लड़के का किरदार निभा रहा हूं. इसलिए दोबारा राजस्थान में बहुत सारा वक्त बिताया. पिछले 2 वर्षों के अंदर मैं करीबन 6-7 बार राजस्थान जा चुका हूं. मैंने वहां काफी समय बिताया है. इससे लगता है कि मेरा राजस्थान से कुछ नाता बन गया.
सोशल मीडिया पर कितना व्यस्त हैं?
मुझे इंस्टाग्राम का उपयोग करना अच्छा लगता है. क्योंकि वहां फोटो डालनी होती है. मुझे वीडियो डालना पसंद है. क्योंकि मैं वीडियो बहुत बनाता हूं. अपने बनाए गए वीडियो को इंस्टग्राम पर शेयर करना पसंद है. इसके अतिरिक्त मैं किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं हूं.
पढ़ना लिखना क्या होता है?
मैंने 12 वीं तक की शिक्षा हासिल की है. बचपन में मैं फिक्शन बहुत पढ़ा करता था. फिर बाद में मैं सिनेमा देखने लगा, तो पढ़ना बंद हो गया. पढ़ने की तरफ ध्यान कम जाता है. मुझे फिल्म देखना ज्यादा अच्छा लगता है. अब मैंने फिर से पढ़ना शुरू किया है. तो लघु कहानियां पढ़ रहा हूं. ज्यादातर उर्दू की कहानियां पढ़ता हूं. हिंदी की किताबें भी पढ़ता हूं. अंग्रेजी में भी कुछ पढ़ता हूं. मैंने हाल ही में एक नोबल प्राइज विनर की किताब पढ़नी शुरू की है, जिसमें दुनियाभर के लेखकों की लिखी कहानियां संग्रहित की है. गुलजार की नगमें व कविताएं पढ़ी हैं.
तब तो लिखते भी होंगे?
हां! छोटे छोटे निबंध व छोटी छोटी कविताएं लिखी हैं. जिंदगी से जो प्रेरणा मिलती है, उसे लिख देता हूं.
किस तरह का वीडियो बनाना पसंद करते हैं?
फोटोग्राफी और वीडियो यह मेरे शौक हैं. मुझे जो खूबसूरत लगता है, उसे अपने नजरिए से कैमरे में कैद करता हूं. लोगों के अलावा लैंडस्कैप, जानवर इन सबको कैमरे में कैद करता हूं. मुझे प्रकृति से बड़ा लगाव है. मुझे जगलों में झरने के किनारे समय बितना बहुत अच्छा लगता है. सिनेमा का शौक होने के कारण मुझे वीडियो बनाना बहुत पसंद है. अब तो हमारे फोन में भी एडीटिंग सिस्टम हो गया है, तो हम वीडियो बनाने के बाद उसे फोन पर एडीटिंग भी कर लेते हैं. जब भी मैं यात्राएं करता हूं, तो वीडियो बनाता रहता हूं. फिर मेरी कोशिश होती है कि जो कुछ वीडियो में कैद किया है, उसे चार-पांच मिनट की कहानी का रूप देते हुए कोलाज बना दूं.
किस तरह का संगीत सुनना पसंद है?
हर तरह का संगीत सुनना पसंद है. हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक व वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक सुनता हूं. हिपहौप जाज, बौलीवुड के पुराने फिल्मों के गाने भी सुनता हूं. इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक सुनना मुझे बहुत पसंद है. संगीत सुनते समय मेरे लिए जरूरी नही हैं कि उसमें शब्द यानी कि गीत हों.
अब किस तरह की फिल्में करना पसंद करेंगे?
मैं उन फिल्मों को करना पसंद करुंगा, जिनकी सशक्त होंगी. इसी के साथ वह फिल्म कुछ अच्छा संदेश भी देती हो.
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