उम्र के एक पड़ाव पर आकर अक्सर लोग अपनी वसीयत जिसे अंग्रेजी में विल भी कहते हैं बनवा ही लेते हैं. ऐसा कर वो अपनों को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं. यानी उनके न रहने पर भी उनकी पत्नी और बच्चों को आर्थिक रुप से कमजोर नहीं होना पड़ेगा. हम अपनी इस खबर में आपको वसीयत से जुड़ी काफी सारी अहम बातें बताने जा रहे हैं.
क्या होती है वसीयत
मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति की संपत्ति पर किसका हक होगा, इसके लिए वसीयत बनाई जाती है. समय रहते इसे बनवाने से मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे को लेकर पारिवारिक झगड़ों की गुंजाइश नहीं रहती. अमूमन रिटायरमेंट लेने के बाद ही वसीयत बनवा लेनी चाहिए. अगर कोई शख्स कम उम्र में किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो समय रहते वसीयत बनवा लेनी चाहिए.
वसीयत न होने की स्थिति में क्या होता है
अगर किसी व्यक्ति कि मृत्यु बिना विल बनाए हो जाती है तो उस स्थिति में उसकी संपत्ति सक्सेशन लौ के आधार पर परिवार के सभी सदस्यों में बांट दी जाती है. हिंदु, सिख, जैन और बौध धर्म के लोगों के संदर्भ में संपत्ति हिंदु सक्सेशन एक्ट 1956 के तहत उत्तराधिकारियों को बांट दी जाती है.
क्या वसीयत बनवाने के लिए वकील की होती है जरूरत?
अपनी वसीयत बनवाने के लिए वकील की जरूरत नहीं होती. लेकिन एक अनुभवी वकील की मदद से आप एस्टेट प्लानिंग कर सकते हैं. भारत में, किसी कागज के टुकड़े पर लिखी वसीयत जिसपर दो गवाहों के हस्ताक्षर हों, को वैध माना जाता है. आजकल ऐसे कई प्लेटफौर्म्स हैं जहां पर आप औनलाइन वसीयत लिख सकते हैं.
क्या होता है प्रोबेट
प्रोबेट (वसीयतनामा की सर्टिफाइड कौपी) ही वसीयत का साक्ष्य होता है. प्रोबेट की एप्लीकेशन कोर्ट में की जाती है और कोई भी रिश्तेदार आपत्ति होने पर, उसे चुनौती दे सकता है. प्रोबेट के बारे में स्थानीय समाचार-पत्र में जानकारी देना जरूरी होती है.
वसीयत के लिए कौन हो सकते गवाह
कोशिश करें कि अपनी वसीयत के लिए भरोसेमंद व्यक्ति को गवाह बनाएं. भारत में वसीयत को नोटराइज करने की जरूरत नहीं है और इसलिए नोटरी की उपस्थिति में गवाहों के हस्ताक्षरों को नोटोराइज कराने की जरूरत नहीं है.
कौन होना चाहिए एग्जिक्यूटर
अपना एग्जिक्यूटर आपकी पत्नी, बच्चे (जो नबालिग न हो) या कोई ऐसा दोस्त या रिश्तेदार जिसपर भरोसा किया जा सकते, को बनाएं. अगर आपको लगता है कि आगे जाकर दिक्कतें आ सकती हैं तो बेहतर है कि वकील नियुक्त कर लें. वसीयत में एग्जिक्यूटर के पास बिल का भुगतान या कर्जदारों से कर्ज वसूलने जैसा अधिकार होता है.
विल को नीचे दी गई स्थितियों में चुनौती दी जा सकती है
- अगर विल सामान्य भाषा ने नहीं लिखी हो.
- अगर उसका कंटेंट स्पष्ट न हो.
- अगर विल ड्रग या अल्कोहोल के या होश में.
- अगर वसीयत जबरन, नशे का सेवन कराकर, या फिर कमजोर मानसिक स्थिति में बनवाई गई हो तो.
पति और पत्नी अगर चाहें तो ज्वाइंट विल बनवा सकते हैं जो कि दोनों की मृत्यु होने की स्थिति में वैलिड मानी जाएगी.
अपने पूरे जीवन के दौरान व्यक्ति जितनी बार चाहे अपनी वसीयत बना सकता है लेकिन उसकी आखिरी विल को ही कानूनी रुप से वैध माना जाता है.
क्या कहना है कोरपोरेट लौयर का
कौरपोरेट लौयर के अनुसार रजिस्ट्रेशन एक्ट के सेक्शन 18 के अंतर्गत विल को रजिस्टर कराना अनिवार्य नहीं है. बिना रजिस्ट्रेशन के सामान्य कागज पर लिखी गई वसीयत भी 100 फीसद कानूनी रुप से मान्य होती है. लेकिन रजिस्टर कराकर रखने से भविष्य में वसीयत को चुनौती देने की स्थिति में यह कानूनी विवादों से बचाता है. वसीयत को रजिस्टर्ड कराने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि भविष्य में अगर वसीयत को कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो रजिस्ट्रार सभी साक्ष्यों के साथ कोर्ट में वसीयत की प्रमाणिकता को साबित करता है.
VIDEO : कलरफुल स्ट्रिप्स नेल आर्ट
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