‘लोगों से प्यार करो, चीजों से नहीं’ सहित कई छोटे छोटे संदेश देने वाली फिल्म ‘‘होप और हम’’ जिंदगी के छोटे छोटे पलों के साथ ही आशा व उम्मीदों की बात करती है. इंसानी भावनाओं की सीधी सादी कहानी के साथ फिल्म में लघु प्रेम कहानी भी है.

फिल्म की कहानी मुंबई के एक मध्यमवर्गीय परिवार की है. जिसके मुखिया नागेश श्रीवास्तव (नसिरूद्दीन शाह) हैं. उनके दो बेटे नीरज (अमीर बशीर) व नितिन (नवीन कस्तूरिया) हैं. नितिन दुबई में नौकरी कर रहा है. नीरज की पत्नी अदिति (सोनाली कुलकर्णी) और उनकी बेटी तनु (वृति वघानी) व बेटा अनुराग (मास्टर कबीर साजिद) है. अनुराग को क्रिकेट का शौक है. नागेश श्रीवास्तव के पास एक जर्मन कंपनी की एक फोटो कापी मशीन है, जिसे वह मिस्टर सोनेकेन बुलाते रहते हैं. जिसका लेंस खराब हो गया है, इसलिए अब फोटो कापी सही नहीं निकलती, परिणामतः हर ग्राहक उन्हे दस बातें सुनाकर चला जाता है.

अदिति चाहती हैं कि उनके ससुर जी अब उस मशीन को बेच दें,तो उस जगह पर तनु के लिए एक कमरा बन जाए. जबकि नागेश का फोटो कापी मशीन से दिल का लगाव है और वह अपने काम को एक कलात्मक काम मानते हैं. वह मशीन के लिए लेंस तलाश रहे हैं. इसके लिए उनकी पोती तनु कंपनियों को ईमेल भेज कर लेंस के बारे में पूछताछ करती रहती है, पर हर बार उसे एक ही जवाब मिलता है कि उस फोटोकापी मशीन का लेंस नही है. मगर नागेश को उम्मीद है कि फोटो कापी मशीन का लेंस जरुर मिलेगा.

इसी बीच अनुराग की नानी (बीना बनर्जी) के बुलावे पर नीरज व अनुराग राजपीपला में उनकी पुरानी कोठी पर जाते हैं, जहां अनुराग के मामा, नानी की इच्छा के बगैर कोठी को होटल बनाने के लिए किसी को बेच रहे हैं. नानी की कोठी में अनुराग अपने नाना के कमरेमें जाता है और उनकी किताबें पढ़ने के साथ ही संगीत सुनता रहता है. एक दिन वह क्रिकेट खेलने निकलता है और गेंद कोठी के एक कमरे में जाती है तो जब वह गेंद लेन जाता है,तो उसके साथ एक ऐसा हादसा होता है, जिससे वह अपराधबोध से ग्रसित हो जाता हे और फिर उसका व्यवहार ही बदल जाता है.

इधर अनुराग का चाचा दुबई से वापस आता है, वह हर किसी के लिए कुछ न कुछ उपहार लेकर आया है. वह अपने पिता नागेश के लिए नई फोटोकापी यानी मशीन लेकर आया है. एक दिन नाटकीय तरीके से पिता को नई मशीन पर काम करने के लिए राजी कर लेता है. जबकि इस बार नागेश ने जर्मन भाषा में तनु से एक कंपनी को लेंस के लिए ईमेल भिजवाया है. नागेश अपनी फोटोकापी मशीन को बेचकर उस जगह पर तनु के लिए कमरा बनवा देते हैं. नागेष अपना मोबाइल फोन टैक्सी में भूल गया है. पर उसे उम्मीद है कि उसका मोबाइल फोन मिल जाएगा.

एक दिन एक लड़की उसका फोन उठाती है और मोबाइल फोन लेने के लिए काफीशौप बुलाती है, पर कई घंटे इंतजार के बाद जब नितिन वापस लौटने लगता है तो वही लड़की (नेहा चौहान) नाटकीय तरीके से उसे औटोरिक्शा में उसका मोबाइल फोन वापस देकर गायब हो जाती है. बाद में अनुराग की नानी, नितिन की शादी के लिए उसी लड़की की फोटो दिखाती है. इतना ही नही नागेश को जर्मन कंपनी से लेंस मिलने की खबर मिलती है. पर अब नागेश क्या करे, उन्होंने तो फोटोकौपी मशीन बेच दी. इससे अदिति को भी तकलीफ होती है. दुबारा अपनी नानी के घर जाने पर अनुराग के मन का अपराध बोध गलत साबित होता है. और वह फिर से क्रिकेट खेलने वाला पहले जैसा अनुराग बन जाता है. यानी कि फिल्म में हर किरदार की उम्मीदें पूरी होती हैं.

फिल्मकार सुदीप बंदोपाध्याय ने नसीहते देने व उम्मीदों के पूरे होने की बात करने वाली फिल्म का कथा कथन शैली बहुत बचकानी रखी है. यदि सुदीप बंदोपाध्याय ने एक खुशनुमा फिल्म बनाने का प्रयास किया होता, तो इंसानी बदलाव व विकास की एक बेहतर फिल्म बन सकती थी. मगर फिल्म देखते हुए अहसास होता है जैसे कि वह लोगों को धूल से सने फोटो अलबम में झांकने के लिए कह रहे हों. फिल्म जीवन की मीठी मगर व्यर्थताओं को पकड़ने की कोशिश है. फिल्म में नवीनता नहीं है. इस तरह की कोशिशें अतीत में‘फाइंडिंग फैनी’ और ‘ए डेथ इन द गंज’ फिल्मों में भी की जा चुकी हैं. इतना ही नहीं उम्मीदों व आशा की बात करते करते पटकथा लेखक द्वय सुदीप बंदोपध्याय व नेहा पवार तकदीर की बात कर फिल्म पर से अपनी पकड़ खो देते हैं. फिल्म का गीत संगीत फिल्म की संवेदनशीलता को खत्म करने काम काम करता है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो नागेश के किरदार को नसिरूद्दीन शाह ने बाखूबी निभाया है. नसिरूद्दीन शाह के सामने बाल कलाकार कबीर साजिद ने बेहतरीन परफार्मेंस देकर इशारा कर दिया है कि वह आने वाले कल का बेहतरीन कलाकार है. सोनाली कुलकर्णी, अमीर बशीर व नवीन कस्तूरिया भी ठीक ठाक रहे.

एक घंटा 35 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘होप और हम’’ का निर्माण समीरा बंदोपाध्याय ने किया है. सह निर्माता दिव्या गिरीशशेट्टी, लेखक सुदीप बंदोपाध्याय व नेहा पवार, निर्देशक सुदीप बंदोपाध्याय, संगीतकार रूपर्ट फेंमंडेस, कैमरामैन रवि के चंद्रन तथा कलाकार हैं- नसिरूद्दीन शाह, सोनाली कुलकर्णी, अमीर बशीर, नवीन कस्तूरिया, मास्टर कबीर साजिद, वृति वघानी व अन्य.

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