स्मार्ट सिटी की चर्चा के बीच बात करें, तो आजादी के बाद देश का पहला नियोजित शहर है चंडीगढ़. यह शहर ऊर्जा क्षेत्र में भी देश को नई राह दिखा रहा है. यह देश का ऐसा पहला शहर होगा जिसके इस साल के आखिर तक अक्षय ऊर्जा पर निर्भर हो जाने की उम्मीद है. आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का सपना था कि देश में एक ऐसा आधुनिक शहर बसाया जाए जो नए गणतंत्र की रचनात्मक क्षमता को दर्शाए. इस सपने की नींव चंडीगढ़ के रूप में 1948 में रखी गई. इसके लिए मंजूर जमीन में 24 गांव आए जिनमें एक का नाम चंडीगढ़ था. शक्ति की प्रतीक मां चंडी के दुर्ग यानी गढ़ के रूप में चंडीगढ़ शहर बसा. आज हर घुमक्कड़ की सूची में इसका नाम अनिवार्य रूप से शुमार होता है.
इतना खास है चंडीगढ़
इस शहर के साथ हरियाणा का पंचकूला तथा पंजाब का मोहाली भी जुड़ गया है, इसलिए इसे ‘ट्राइसिटी’ भी कहा जाने लगा है. यह एकमात्र ऐसा केंद्रशासित प्रदेश है, दो प्रदेशों पंजाब तथा हरियाणा की राजधानी भी है. ली कार्बूजिए की वास्तु संरचना इस शहर के निर्माण की जिम्मेदारी फ्रांस के मशहूर वास्तुकार ली कार्बूजिए को सौंपी गई. उन्होंने मानव शरीर की कार्यप्रणाली को ध्यान में रखते हुए इस शहर का ढांचा तैयार किया, जिससे कि एक स्वस्थ व संपूर्ण शहर का अक्स उभर कर आए. शहर के फेफड़ों की संज्ञा दी गई लेजर वैली को, जो कई पाकरें की श्रृंखला है. सड़कों के जाल को उन्होंने संचार व्यवस्था कहा और इंडस्ट्रियल एरिया को विसरा.
करीब 44 वर्ग मील में फैले इस शहर की खूबसूरती सभी को आकर्षित करती है. शहर के हर सेक्टर की बसावट कमोबेश एक जैसी है, इसके बावजूद उनकी अपनी अलग विशेषता और पहचान है. बर्फी की तरह आयताकार वर्ग में सेक्टर बंटे हैं जहां ग्रीन बेल्ट है. ली कार्बूजिए के निधन के बाद उनके कजिन पियेरे जेनरे तथा मैक्सवेल फ्राए ने उनके काम को आगे बढ़ाया. वास्तुकारों का स्वर्गचंडीगढ़ की हेरिटेज बिल्डिंग्स में आर्किटेक्ट्स की काफी दिलचस्पी रहती है ऐसा कहते हैं चंडीगढ़ टूरिज्म के डायरेक्टर जितेंद्र यादव. इन बिल्डिंग्स में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, ओपन हैंड, पंजाब यूनिवर्सिटी का गांधी भवन, कैपिटल कौम्पलेक्स, विधानसभा और सचिवालय शामिल हैं. यूनेस्को द्वारा इन्हें हेरिटेज का दर्जा दिया गया है. इनमें कैपिटल कौम्प्लेक्स की बात करें तो इसे ली कार्बूजिए ने ही डिजाइन किया था. इसे शहर की शान भी कहा जाता है. 100 एकड़ में बनी यह इमारत पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट, विधानसभा और सचिवालय बिल्डिंग को एक साथ जोड़ती है. वर्ष 2016 में इन्हें यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया और फिर आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया.
सभी इमारतें ज्यामेट्रिकल शेप में डिजाइन की गई हैं. इसी कौम्प्लेक्स का हिस्सा है ‘ओपन हैंड मौन्यूमेंट’. इसे ली कार्बूजिए ने चंडीगढ़ के प्रतीक चिह्न के रूप में 1948 में डिजाइन किया था, पर अपने रहते उसे बनवा न सके. उनकी याद में इसे 1985 में बनाया गया. एक अन्य धरोहर है गांधी भवन. इसे ली कार्बूजिए के कजिन पियरे जेनरे ने डिजाइन किया था. पंजाब यूनिवर्सिटी के परिसर में बनी यह बिल्डिंग अपने बेहतरीन आर्किटेक्ट के लिए जानी जाती है.
चंडीगढ़ के लगभग हर सेक्टर में एक खूबसूरत गार्डन है लेकिन सबसे लोकप्रिय है रोज गार्डन जो हर रंग के गुलाबों से गुलजार रहता है. देश के पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के नाम पर स्थापित रोज गार्डन, सेक्टर 16 में स्थित है. यहां गुलाब की करीब 900 किस्में लोगों को लुभाती हैं. पौधों की संख्या करीब 50,000 है. यहां फरवरी महीने के मध्य में वार्षिक रोज फेस्टिवल का आयोजन होता है, जिसे देश-विदेश से पर्यटक देखने आते हैं. इस गार्डन का उद्घाटन 1967 में हुआ था.
हस्तियों का बसेराफैशन और अभिनय हो या फिर खेलों का क्षेत्र, इस शहर ने इन सभी क्षेत्रों में एक से बढ़कर एक हस्तियां दुनिया को उपहार में दिया है. वान्या मिश्रा 2012 में फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड रह चुकी हैं. इसी तरह अभिनय के क्षेत्र में किरण खेर, गुल पनाग, गुरलीन चोपड़ा, यामी गौतम जैसे बड़े नाम हैं, जो इसी शहर से आते हैं. निशानेबाजी में देश को ओलंपिक्स में पहला गोल्ड दिलाने वाले अभिनव बिंद्रा चंडीगढ़ के ही हैं. वहीं, क्रिकेट में युवराज सिंह, कपिल देव, दिनेश मोंगिया जैसे खिलाड़ी चंडीगढ़ ने दिए हैं.
यहां का गोल्फ रेंज बेहद खास है जो दो भागों में बंटी है. यहां कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट भी खेले गए. एथलीट मिल्खा सिंह, जीव मिल्खा सिंह, बलबीर सिंह सीनियर भी शहर की शान हैं.
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खुलेपन का प्रतीक ‘ओपन टू गिव, ओपन टू रिसीव’, यह मर्म छिपा है ओपन हैंड के प्रतीक के पीछे. यह शहर के स्वभाव को दर्शाता है. जो सभी के लिए खुला है और सदैव देने का भाव रखता है. 26 मीटर ऊंचा और 50 टन भारी यह ओपन हैंड हवा में हर दिशा में घूमता है. सड़कों का नायाब जाल खूबसूरती के साथ आधुनिकता में भी अव्वल है यह शहर. क्वालिटी लाइफ की तलाश यहां आकर पूरी होती है.
इस खूबसूरत शहर की एक और विशेषता यह है कि यातायात के लिए यहां सात प्रकार की सड़कें बनाई गई हैं जिन्हें कार्बूजिए ने 7 वीएस का नाम दिया था. ये सड़कें जहां शहर की खूबसूरत बढ़ाती हैं वहीं रिहायशी इलाकों को यातायात के शोर और प्रदूषण से भी दूर रखती हैं. इनमें वी-1 वे सड़कें हैं जो चंडीगढ़ को अंबाला, शिमला व खरड़ से जोड़ती हैं. वी-2 वे सड़कें हैं जिनमें चंडीगढ़ के मुख्य व्यावसायिक व प्रशासनिक संस्थान बने हुए हैं. वी-3 सड़कें सेक्टर्स में से गुजरते तेज वाहनों के लिए हैं. वी-4 सड़कें बाजारों और सेक्टर्स के बीच बनी हैं. वी-5 सेक्टर्स के बीच की सड़कें हैं और वी-6 घरों तक जाने वाली व वी-7 फुटपाथ या फिर साइकिल-रिक्शालेन है. सुहावनी सुखना झीलमानव निर्मित सुखना झील शहरवासियों की जान है.
प्रकृति के मनोरम नजारों का आनंद लेने या वौक अथवा जौगिंग करने सुबह और शाम यहां लोग पहुंचते हैं. इसके अलावा नौका विहार, ऊंट की सवारी, अपना स्केच बनवाना, कैफेटेरिया में भोजन का आनंद, चंडीगढ़ के सिंबल के साथ फोटो खिंचवाना भी यहां आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है. इस झील का निर्माण भी आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए ने चंडीगढ़ के लिए जल प्रबंधन और उसका बाढ़ से बचाव करने के लिए करवाया था. इसके लिए 1958 में सुखना झील पर बांध बनाकर तीन वर्ग किलोमीटर में यह झील बनाई गई और बाद में उस झील की राह ही बदल दी गई. यह 8 से 16 फीट गहरी है, और तीन किलोमीटर तक फैली हुई है. इसके दक्षिणी छोर की ओर गोल्फ कोर्स तथा दूसरे छोर पर ‘गार्डन औफ साइलेंस’ या ‘बुद्धा पीस पार्क’ है.
लीड के आसपास कला का बेजोड़ नमूना ‘रौक गार्डन’ नेक चंद द्वारा निर्मित रौक गार्डन न केवल चंडीगढ़ में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है. करीब 40 एकड़ में फैले इस विशाल गार्डन में वेस्ट मैटीरियल यानी बेकार के सामानों से ही एक से बढ़कर एक नायाब कलाकृतियां बनाई गई हैं. 1958 में नेकचंद ने अपने खाली समय के सदुपयोग के लिए इसे गुप्त रूप से बनाना शुरू किया. तब 18 साल तक अधिकारियों को इसका पता भी नहीं था.
1975 में जब इसकी जानकारी मिली तो इस कार्य को गैरकानूनी करार दिया गया लेकिन अद्भुत रचनात्मकता देखते हुए और जनता की मांग पर नेक चंद को न केवल इसका कार्य आगे चलाने की अनुमति मिली बल्कि ‘सबडिवीजन इंजीनियर, रौक गार्डन’ की उपाधि, वेतन व 50 मजदूर काम में सहायता के लिए भी दिए गए. आज इसके एक भाग में मनभावन झरनों का कोलाहल है तो शेष भाग में अलग-अलग खंडों में घरों से एकत्रित किए गए कबाड़ से बनी कलाकृतियां हैं. हालांकि अब नेकचंद तो नहीं हैं, लेकिन उनकी क्रिएटिविटी यहां हर तरफ देखी जा सकती है.इंटरनेशनल डौल म्यूजियम सेक्टर 23 में बने डौल म्यूजियम में देश-विदेश की करीब 300 से ज्यादा डौल्स दुनिया के विभिन्न देशों की संस्कृति की पहचान कराती हैं.
खाने-पीने के शौकीनों के लिए खास
पंजाबी खुशबू वाले लजीज खानेसिटी ब्यूटीफुल में यदि आप रोड साइड पंजाबी ढाबे ढूंढ़ेगे तो वे आपको नहीं मिलेंगे क्योंकि यहां उनका आधुनिकीकरण हो चुका है. लेकिन लगभग हर सेक्टर के रेस्टोरेंट्स में पंजाबी खानों की खुशबू जरूर मिल जाती है. बटर चिकन खाने वालों के लिए तो जैसे चंडीगढ़ स्वर्ग है. सेक्टर 28 डी का पाल का ढाबा नौन-वेज पसंद करने वालों के लिए मशहूर डेस्टिनेशन है तो सेक्टर 22 बी के मार्केट में तहल सिंह चिकन कौर्नर पर पहुंच जाएंगे और रुमाली रोटी के साथ बटर चिकन खाएंगे तो मजा ही अनोखा होगा. ऐसा नहीं है कि चंडीगढ़ में नौनवेज रेस्तरांओं में वेज खाना मजेदार नहीं मिलेगा. विशुद्ध पंजाबी स्वाद का चना मसाला, शाही पनीर, दाल मक्खनी ऐसी मिलेगी कि स्वाद नहीं भूल पाएंगे.