मैंने अचानक अपनी बेटी को सरप्राइज देने के लिए उसके पी.जी. में जाने के बारे में सोचा. वह 3 महीने पहले ही बंबई के उस पी.जी. में रह कर एम.बी.ए. करने गयी थी. वहां पहुंच कर मैंने देखा कि जो एड्रेस उसने दिया था, उस घर में ताला लगा था. मैंने वाचमैन से पूछा तो उसने बताया कि वह तो अपार्टमेन्ट का एक फ्लैट है. वहां एक लड़का और लडकी रहते हैं.
सुनकर मैं सकते की हालत में आ गयी और वापिस अपने घर लौट आई. आकर मैंने अपनी बेटी को कौल करके कहा, “बेटा तुम अपने बौयफ्रेंड को लेकर घर आओ, मैं उससे मिलना चाहती हूं.” वह बहुत खुश होते हुए बोली, “सच ममा...! मैं उससे बात करके बताती हूं...” लेकिन उसका कोई फोन नहीं आया और जब मैं करती तो उसका स्विच औफ आने लगा तो मेरा माथा ठनका.
इससे पहले कि मैं दुबारा वहां जाने की सोचती, वह स्वयं मेरे पास आ गयी. उसका चेहरा उतरा हुआ था, वह रोते हुए बोली, “ममा मेरे पूछने के अगले पल ही वह अपना सामान लेकर, बिना बताये कहीं चला गया. उसने मुझे धोखा दिया.” मैंने कहा, “देर आये दुरुस्त आये, कम से कम तेरी आंखें तो खुलीं...जब भी अपने माता- पिता से छिपकर कुछ करोगे तो उसका परिणाम कभी सही नहीं निकलेगा.”
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन